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एक दिवसीय न्याय पंचायत स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता हुई संपन्न

नारी का जीवन : डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

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  नारी का जीवन :  डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" बरसों से खामोशी में जीती- मरती नारी , कभी भू्ण हत्या, कभी दहेज प्रथा, कभी बाल विवाह का शिकार होती नारी। रीति रिवाजों के पर्दों में छुपकर, अंधेरों में  सिसकती नारी। रसोई की कलम पकड़ कर, दुनिया में इतिहास रचती नारी। कभी दुर्गा कभी सरस्वती कभी लक्ष्मी का रूप धारण करती नारी, देवी स्वरूप देवालय तक सीमित,  घर- घर में बरसों से शिवालय में बैठी रोती नारी। कभी समाज की  कुप्रथाओं , कभी समाज के तानों का शिकार होती नारी। अपमान सहती, मानसिक तनाव सहती, नारी। बदल रहा है, जमाना। सशक्त भारत में जहाज उड़ाती नारी। बदलते परिवेश में, शिक्षा और अधिकार के लिए लडती नारी। सदियों पुरानी बेड़ियों से, शिक्षा का दामन थाम आगे बढ़ती नारी । बरसों पुरानी परंपराएं बदली, रूप बदला, अधिकार बदले, ढूंढती है, अपना अस्तित्व नारी।

प्रकृति की सुषमा

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प्रकृति की सुषमा प्रकृति भू का आत्म तत्व है, आओ इसका करे जतन। सबको सुलभ उसके संसाधन, विविध वस्तुएं,अन्य रतन।। प्रकृति की है छटा निराली, इसकी गोंद सौंदर्य की खान। इसीलिए तो कवि जन सारे, करते रहे सदा गुणगान।। पर्वत से निर्झर हैं झरते, नदियों का कल कल बहना। तितली भ्रमर सुमन पर उड़ते, इन दृश्यों का क्या कहना।। तरुओं पर पंक्षी के कलरव, जीव जंतु के अरण्य प्रवास। वर्ष पर्यन्त सुमनों की संगत, पाते हैं सुगंध व सुवास।। मलयागिरी की पवन सुखद तो, प्रमुदित करता तन और मन। प्रकृति के विशाल आंगन में, हरियाली संग मुक्त गगन।। तृण पर फबती ओस की बूंदें, मुक्ता सी लगती मन भावन। खिलते कमल कुमुदनी संग, पावस में मन हरता सावन।। सूर्योदय की किरणें फैलें, रश्मि पुंज बन तेज प्रखर। सभी जगह है सुषमा उसकी, प्रतिपल नीश दिन, अजर अमर।। प्रकृति है आनंद प्रदायिनी, मन को भाए बारंबार। सबकी करती आशा पूरी, विविध तत्व का है अंबार।। प्रकृति हमें तो सिखलती है, सहनशील बन करें करम। जीवन हो चलायमान हर दम, पाय प्रतिष्ठा रहे नरम।। प्रकृति की है छटा निराली, दिखती रंग बिरंगी। विविध रंग की सुषमा उसकी आकर्षक बहुरंगी।। प्रकृति

विकारों पर धर्म की विजय

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विकारों पर धर्म की विजय नवरात्रि बुराई और प्रचंड प्रकृति पर विजय पाने और जीवन के सभी पहलुओं और यहां तक ​​कि उन चीजों और वस्तुओं के प्रति श्रद्धा रखने के प्रतीकों से भरी हुई है जो हमारी भलाई में योगदान करते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों को तमस, रजस और सत्व के तीन मूल गुणों के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। दशहरा एक गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है, जो भक्तों को धार्मिकता की तलाश करने और उनके दिलों से नकारात्मकता को दूर करने के लिए प्रेरित करता है, इस प्रकार सद्गुण और आंतरिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करता है। यह हमेशा शक्ति के बारे में नहीं है बल्कि खुद को नकारात्मकता और विषाक्तता से मुक्त करने के बारे में है जो सबसे ज्यादा मायने रखता है। हमारे जीवन में जो कुछ भी मायने रखता है उसके प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता रखने से सफलता और जीत मिलती है। विजयादशमी अस्तित्व के मूल गुणों पर विजय पाने के बारे में है: तमस, रजस और सत्व। दशहरा प्रसिद्ध हिंदू महाकाव्य रामायण में रावण पर राम की जीत का प्रतीक है। रावण के दस सिर : पांच ज्ञान इंद्रियों और पांच कर्म इंद्रियां हैं , जो शारीरिक क्रिया के साधन हैं।

मिशन शक्ति चतुर्थ चरण के अन्तर्गत कन्या जन्मोत्सव एवं कन्या पूजन का किया गया आयोजन

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मिशन शक्ति चतुर्थ चरण के अन्तर्गत कन्या जन्मोत्सव एवं कन्या पूजन का किया गया आयोजन - बेटी खुशियां लाती है, वह किसी बेटे से कम नहीं है : मुख्य विकास अधिकारी  सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट) आज दिनांक 23 अक्टूबर 2023 को मिशन शक्ति चतुर्थ चरण के अन्तर्गत महिला कल्याण विभाग व पुलिस विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से कन्या जन्मोत्सव एवं कन्या पूजन कार्यक्रम का आयोजन जिला संयुक्त चिकित्सालय लोढ़ी में किया गया जिसमें मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गंगवार द्वारा आयोजित कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम में नौ नवजात कन्याओं के माताओं को बेबी किट, टावेल, व मिष्ठान वितरित करते हुए कहा कि ऐश्वर्य की सूरत बनकर है लक्ष्मी आई बिटियाँ के जन्म पर आपको ढेरो बधाई साथ ही सभी  पात्र नवजात कन्याओं  को मुख्यमन्त्री कन्या सुमंगला योजनान्तर्गत लाभान्वित कराये जाने हेतु जिला प्रोवेशन अधिकारी को निर्देशित किया गया। उसके उपरान्त वन स्टाप सेन्टर लोढ़ी में नवरात्रि के नवमी पर आयोजित कन्या पूजन कार्यक्रम में अपर पुलिस अधीक्षक मुख्यालय  कालू सिंह द्वारा या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

जय माँ सिद्धिदात्री ( माँ का अंतिम स्वरूप)

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जय माँ सिद्धिदात्री ( माँ का अंतिम स्वरूप) माँ    सिद्धिदात्री   की , आज   करें  आराधना,  माँ पूर्ण  करती लौकिक, पारलौकिक कामना।  कमल  पर   आसीन   माँ,  चार  भुजा    वाली,  अंतिम  स्वरूप अम्बे, आठों सिद्धि  देने वाली।  जो  करे   माँ   की  जप,  तप,   पूजा , अर्चना ,  बने  कृपापात्र   माँ  का , न  शेष   रहे  कामना।  माता    आज   आपसे  , केवल   एक  प्रार्थना,  प्राण  रक्षा  करें   सबकी  , यही  मेरी  याचना । सुरक्षित  रहें  सभी  , पाकर   मां   तेरा  वरदान ,  तन, मन , धन माँ सब अर्पित, करो कष्ट संधान।  माँ    रिद्धि, सिद्धि  सबके  हृदय  में भर दें ज्ञान,  बुद्धि दें वंश में सभी के ,और चित्त में भरें ध्यान।  माँ सबके दुःख दूर कर, प्रदान करें अभय वरदान,  सज्जनों का  हित कर, दें जगत में मान, सम्मान।  माँ  निरोगी तन कीजिए ,सुंदर सदा मन कीजिए,  कष्ट  का  कर  संहार , सुखमय जीवन  दीजिए।       रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय मुंबई, महाराष्ट्र 

न्याय मौन : डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

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 न्याय मौन : डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" समाज का रूप बदला,  यहां हर कोई शेर है। अत्याचारों के नाम पर मानवता  ढेर है‌। घटनाओं के नाम पर राज्य बदले, जिले बदले, गांव बदले, शहर बदले। एक स्त्री का नाम बदला, उम्र बदली, लिबास बदले। हिंसा के रूप, हिंसक के नाम बदले। अपंग खड़ा है, कानून हिंसा के द्वार पर, रोज बलि चढ़ जाती है, एक स्त्री के मान की। जयकारा लगाते हैं, भारत माता की जय का। सड़क पर बेजान लाशें, पड़ी होती है, न जाने कितनी माताओं की। अखबारों में छपती खबरें, चलती टीवी पर बखान है। ना हालात बदले ना हिंसा बदली। सशक्त कहते हो,  महिलाओं को।   न जाने किस महिला की तस्वीर बदली। लेकर मोमबत्तियां निकलते हैं, सड़कों पर न जाने की यह कौन है। जानते हुए,   हिंसकों के परिचय, चेहरे फिर यह कौन मौन है? निकलते हैं,  एकजुट होकर मोमबत्तियां हाथ में लेकर तस्वीरों पर फूल माला लगाकर। फिर हिंसक कौन है ?  गुनहगार कौन है,  फिर कानून क्यों मौन है? बदल रही है,  तस्वीर एक सशक्त देश की। यहां भेड़िए भी घूमते हैं, खरगोश के भेष में। शिक्षा, सशक्तिकरण का क्या मोल  है? हर स्त्री आज भी हिंसा के नाम पर मौन है।

नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कबड्डी प्रतियोगिता हुई संपन्न

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नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कबड्डी प्रतियोगिता हुई संपन्न  प्रयागराज : (जिला संवाददाता डॉ आलोक कुमार विश्वकर्मा की रिपोर्ट) नेहरू ग्राम भारती (मानित विश्वविद्यालय) प्रयागराज के मुख्य परिसर जमुनीपुर में तीन दिवसीय विश्वविद्यालयी कबड्डी प्रतियोगिता दिनांक 17 अक्टूबर, 2023 से 19  अक्टूबर 2023 तक सम्पन्न हुई। इस प्रतियोगिता का उद्घाटन शिक्षक - शिक्षा विभाग के प्रो. भावेश चन्द्र दुबे, मुख्य कुलानुशासक डॉ. देवनारायण पाठक, छात्र - कल्याण डॉ. छाया मालवीय ने किया। प्रतियोगिता में कुल 5 संकाय की टीमों ने प्रतिभाग किया (1) कला संकाय (2) शिक्षक - शिक्षा संकाय ( 3 ) विज्ञान संकाय (4) विधि संकाय ( 5 ) वाणिज्य संकाय ( 6 ) एन.सी. सी. फाइनल मैच (महिला वर्ग ) दिनांक – 18.10.2023 को विज्ञान संकाय बनाम कला संकाय के मध्य हुआ जिसमें कला संकाय की टीम विजेता रही तथा दूसरा फाइनल मैच (पुरूष वर्ग ) दिनांक- 19.10.2023 को वाणिज्य संकाय बनाम कला संकाय के मध्य हुआ इसमें भी कला संकाय की टीम विजेता रही। इस प्रकार दोनों ही वर्गों पुरुष तथा महिला वर्ग में कला संकाय की टीम ने शानदार प

अभाव में प्रभाव दिखती है स्काउटिंग : डॉक्टर बृजेश महादेव

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अभाव में प्रभाव दिखती है स्काउटिंग : डॉक्टर बृजेश महादेव फर्रुखाबाद : (ब्यूरो रिपोर्ट)  भारत स्काउट और गाइड उत्तर प्रदेश द्वारा रामानंद बालक इंटर कॉलेज फर्रुखाबाद में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण के समापन समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित डॉक्टर बृजेश महादेव एच डब्ल्यू बी स्काउट मास्टर सोनभद्र ने अपने संबोधन में कहा कि स्काउटिंग एक ऐसी विधा है जो अभाव में प्रभाव दिखती है। कम संसाधनों में अधिक से अधिक कार्य करना कोई भी स्काउटिंग से ही सिखाता है। प्रशिक्षक श्री गजेंद्र सिंह ने डॉक्टर बृजेश का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह हम सबके लिए गौरव की बात है। आज सोनभद्र की धरती से फर्रुखाबाद में आपका आगमन हुआ और हमारे बच्चों को आशीर्वाद मिला।  इस अवसर पर श्रीमती चमन शुक्ला राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता ने भी आभार प्रकट करते हुए स्काउटिंग को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही। जिला संगठन कमिश्नर फर्रुखाबाद योगेश कुमार ने डॉक्टर बृजेश का स्वागत किया। जिला कोऑर्डिनेटर फर्रुखाबाद गजेंद्र सिंह, पूर्व जिला संगठन कमिश्नर फर्रुखाबाद डॉक्टर जितेंद्र सिंह यादव, जिला फर्रुखाबाद जिला उप सचिव फर्रुख

न्याय पंचायत स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता हुई

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न्याय पंचायत स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता हुई सम्पन्न सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट) आज दिनांक 21 अक्टूबर 2023 को न्याय पंचायत स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता एवं संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन उच्च प्राथमिक विद्यालय ओरगाई में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती संतोष कुमारी अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ और श्री लल्लन सिंह संरक्षक प्राथमिक शिक्षक संघ रहे। विद्यालय के आयोजक श्री रामचंद्र मौर्य द्वारा सबका स्वागत किया गया। प्राथमिक स्तर बालक संवर्ग में अर्पित गिरी हिनौता प्रथम, प्रियांशु पसहीकला द्वितीय, हिमांशु महुलिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 100 मी दौड़ में प्राथमिक स्तर में अर्पित गिरी हिनौता प्रथम , राज पसही ने द्वितीय, हिमांशु महुलिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 200 मीटर दौड़ में अर्पित गिरी हिनौता, प्रथम द्वितीय हिमांशु महुलिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया । प्राथमिक स्तर बालिका 50 मीटर दौड़ में चांदनी यादव बहुअरा प्रथम , सुकमा पसहीकला द्वितीय, प्रियांशी पसहीकला ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्राथमिक स्तर बालिका 100 मीटर दौड़ में जीरा जूड़ी

जब प्रेम दया का भाव नहीं

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जब प्रेम दया का भाव नहीं घर समाज में फैली कटुता, पहले जैसा प्यार नही । कैसे खुशी धरा पर आए, जब ईमान से प्यार नही।। स्वास्थ्य भला कैसे चंगा हो, शुद्ध मिले आहार नहीं। पैसे की लालच है इतनी, उज्ज्वल कारोबार नही।। घटतौली, विष तुल्य मिलावट, मिटने का आसार नहीं। अपनी वाली करें सभी जन, करुणा का उद्गार नहीं।।  दया, प्रेम, मानवता के संग, दिखता अब व्यवहार नहीं। अपनी निज उन्नति की चाहत, दूजे का उपकार नहीं।। कैसे विश्व गुरु अब होंगें, न्यायोचित जब आचार नहीं । बच्चे अपने कैसे सुधरें, अच्छी संगत संगसंस्कार नहीं ।। देश में कैसे बने एकता , कुल में ही, नैतिक सार नही। जीवन अब है नहीं सरल, सत्य आचरण आधार नहीं।। परनिंदा, ईर्ष्या का तांडव, परहित, पर उपकार नही। हर घर की है हालत बिगड़ी, आपस में, अब प्यार नही।। बद अमली अब पैर पसारे, जब चरित्र आधार नहीं। कितने और पतित हम होंगे, सोचें जब एक बार नही।।  रचनाकार : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा                  सुंदरपुर  वाराणसी

ग़ज़ल : प्यार हो जाता है...

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ग़ज़ल :  प्यार हो जाता है... दोस्तों आशिक़ी में मरता कौन है। प्यार हो जाता है करता कौन है।। बयां करूं मैं कैसे इश्क की कहानी को। तड़पते दिल यहां उम्मीद की रवानी को।। दोस्तों आशिक़ी में मरता कौन है, प्यार हो जाता है करता कौन है। नज़र से ओ दिल में उतर जाती है, ज़हनों दिल इश्क जब हो जाती है। दुश्मनी ऐसे ज़माने से करता कौन है, मोहब्बत में ज़माने से डरता कौन है। दोस्तों आशिक़ी में मरता कौन है, प्यार हो जाता है करता कौन है। बड़े मोड़ आते हैं इश्क के राह में, मिली मंजिल कभी भटके हैं राह में। दोस्तों जान से गुजरता कौन है, प्यार हो जाता है करता कौन है। युवा साहित्यकार - आशीष मिश्र उर्वर कादीपुर, सुल्तानपुर

सोनभद्र से डॉ बृजेश बने प्रश्नाल्टी डेवलपमेंट लीडर

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सोनभद्र से डॉ बृजेश  बने प्रश्नाल्टी डेवलपमेंट लीडर  सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट) भारत स्काउट/गाइड उत्तर प्रदेश प्रदेश मुख्यालय गोल मार्केट महानगर लखनऊ के तत्वावधान में प्रादेशिक प्रशिक्षण केन्द्र शीतलाखेत अल्मोड़ा उत्तराखंड में आयोजित नेतृत्व एवं व्यक्तित्व विकास कोर्स का प्रशिक्षण सफलता पूर्वक प्राप्त किया।  इस सफलता पर डॉक्टर प्रभात कुमार स्टेट चीफ कमिश्नर भारत स्काउट और गाइड उत्तर प्रदेश एवं प्रशिक्षण संचालक श्री अरविन्द कुमार श्रीवास्तव स्टेट ट्रेनिंग कमिश्नर भारत स्काउट और गाइड उत्तर प्रदेश द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया। डॉ बृजेश महादेव ने हीरालाल यादव एस ओ सी उप्र, एन एल श्रीवास्तव एल ओ सी, नज़ीर मुकविल एल टी, धर्मेंद्र प्रताप सिंह ए एल टी, महेश कुमार, शिव प्रताप सिंह, अमित कुमार सहित का आभार व्यक्त किया,  जिनके सानिध्य में यह प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। तथा इस सुअवसर के लिए जिला स्काउट व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सोनभद्र को धन्यवाद दिया जिन्होंने यह सुअवसर प्रदान किया।  प्रशिक्षण में प्रदेश भर से पांच दर्जन से अधिक स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन सम्मि

कबड्डी प्रतियोगिता में नौगढ़ ब्लॉक के बच्चों ने दिखाया अपना दमखम, 1 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीत कर अपने ब्लॉक का बढ़ाया मान

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कबड्डी प्रतियोगिता में नौगढ़ ब्लॉक के बच्चों ने दिखाया अपना दमखम, 1 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीत कर अपने ब्लॉक का बढ़ाया मान चकिया - चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदनमोहन की रिपोर्ट) ज़िला स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन 12 अक्टूबर 2023 को पूर्व माध्यमिक विद्यालय चकिया में किया गया जिसमें सभी ब्लॉक के बच्चों ने भाग लिया। प्रतियोगिता का उद्घाटन विधायक श्री कैलाश आचार्य जी ने किया। उन्होंने बच्चों को अच्छा खेलने के लिए शुभकामनाएं दी।  इस प्रतियोगिता में ब्लॉक नौगढ़ के बच्चों ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखा। P.S बालिका वर्ग नौगढ़ विजेता और चकिया उपविजेता रहा। P.S बालक वर्ग शहाबगंज विजेता तो नौगढ़ उपविजेता रहा। UPS बालिका वर्ग चकिया विजेता और नौगढ़ उपविजेता और  UPS बालक सकलडीहा विजेता और बरहनी उपविजेता रहा। इस प्रकार नौगढ़ ने 1 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीता।   इस अवसर पर BEO Naugarh श्री नागेन्द्र सरोज जी, ब्लॉक व्यायाम शिक्षक श्री आशीष गुप्ता, प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष महिपाल यादव, रणविजय, सुदामा, शशिप्रकाश, विवेकानंद, लालबहादुर, दिनेश यादव, संज

आलेख - श्राद्ध पक्ष का सनातन संस्कृति में महत्व

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आलेख - श्राद्ध पक्ष का सनातन संस्कृति में महत्व           हमारा देश और हिन्दू संस्कृति सनातन संस्कृति की मान्यताओं को गहराई से आत्मसात कर सतत् सदियों से अनवरत आगे बढ़ रहा है। कहने को हम आधुनिक तकनीक के विकास और विज्ञान के बृहत्तर विस्तार की चर्चा चाहे जितना करें, अपनी पीठ थपथपायें लेकिन अभी भी हम सनातनी व्यवस्था और अपने पुरखों की बनाई परंपराओं, रीति रिवाजों का पालन ही करते हैं। यह अलग बात है कि हमारी सोच बहुत आधुनिक हो रही है और हम बहुत सारी चीजों पर नकारात्मक विचार या बेकार, ढकोसला, मूर्खता जैसे शब्दों से नवाजते हैं, पर खुद प्रतीकात्मक रूप से ही सही उस परंपरा को निभाते हैं।       तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध ही नहीं मृत्यूपरांत आज भी धनाढ्य से धनाढ्य व्यक्ति की शव यात्रा बांस की सीढ़ियों पर रखकर ही होती है। भले ही फिर शव सहित हम श्मशान तक की यात्रा तमाम साधनों से करते हैं। फिर दाह संस्कार भी परंपरा अनुसार ही करते हैं, हां आधुनिकता और तकनीक के विकास, लकड़ी की बढ़ती कमी से विद्युत शवदाह गृह के माध्यम से लाभ संस्कार जरूर करने लगे हैं, लेकिन विद्युत शवदाह गृह भी नदियों के करीब ही ह

सामुदायिक शौचालय के लिए लगा सबमर्सिबल पंप, तार व पाइप हुआ चोरी, तहरीर के बाद पुलिस कर रही है जांच पड़ताल

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सामुदायिक शौचालय के लिए लगा सबमर्सिबल पंप, तार व पाइप हुआ चोरी, तहरीर के बाद पुलिस कर रही है जांच पड़ताल नौगढ़- चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट) ग्राम पंचायत भाई सोडा के सामुदायिक शौचालय भवन के पास लगा समरसेबल पंप, तार और पाइप चोरी हो गया। यह बीती रात की घटना है। यह बात तब पता चली जब ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सद्दाम वारसी ने सुबह टंकी में पानी चलाने हेतु गए तो देखकर हक्का-बक्का रह गए।  घटना की जानकारी सुन ग्रामीण भी उपस्थित हुए इसके बाद प्रधान ने  सचिन को अवगत कराते हुए थाना चकरघट्टा में प्राथमिक दर्ज कराई जिसके तहत मौके पर जांच करते  हुए प्रशासन ने घटना की जांच पड़ताल में जुटी हुई है अभी तक चोरों का सुराग नहीं मिल पाया है।

जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की।

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जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की। जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की। ऐसे लोग ही बात करेंगे, विश्वकर्मा उत्थान की।। अपने को विश्वकर्मा कहते, लाज जिन्हें है आती। ऐसे लोग तो कुल घातक है, सचमुच है संघाती।। क्यों पीतो हो भैया मेरे, घूंट सदा अपमान की। जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की।। दम है तो, अपनी कौम का, टायटिल खूब लगाओ। अपनी जाति की गरिमा को, निश दिन खूब बढ़ाओ।। क्यों बेकार की आशा रखते, दूजे जाति के मान की। जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की।। अपनो से जब मिलो, सदा ही एका को बतलाओ। अपने कुल के लोगों से, आत्मीय प्यार निभाओ ।। बदले में तब आशा करना, खुद अपने सम्मान की। जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की।। ताकत मित्रों, लुका छिपी से, दिन प्रतिदिन है घटती। मिश्र उपाध्याय पाठक लिखने से, स्वयं श्री, न बढ़ती।। छोड़ो प्रियवर, सब ढकोसला, दूजे वर्ण, खानदान की। जाति छुपाए घूम रहे हो, गुप्त रखे पहचान की। बढ़ई और लुहारों में, हमको, जिसने  भी बांटा ।। उनको तो बस अपने कुल में आग लगाने आता। ऐसे विद्रोही को त्यागें, जो बनते, मुल्तान की।। जाति छुपाए घूम र

शहीदों की स्मृतियों को सहेजना हमारा कर्तव्य - मदन मुरारी

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शहीदों की स्मृतियों को सहेजना हमारा कर्तव्य - मदन मुरारी  सहजनवा (गोरखपुर): (ब्यूरो रिपोर्ट) मेरी माटी मेरा देश अभियान के तहत विकास खंड सहजनवा के ग्राम पंचायत हरपुर के ग्राम प्रधान मदन मुरारी गुप्ता उर्फ गुड्डू के नेतृत्व में ग्रामीणों ने घर -घर जाकर मिट्टी के कलश में चावल के दाने व मिट्टी इकट्ठा किया। तथा लोगों को पंच प्रण की शपथ दिलाते हुए प्रधान मदन मुरारी गुप्ता उर्फ गुड्डू ने कहा कि हम सबको आजादी शहीदों के कुर्बानियों के बाद मिली है। हमारा  कर्तव्य है कि उनकी स्मृतियों को सहेजने की। मिट्टी और अन्न अमृत कलश में एकत्रित करके  भारत की विरासत को सहेजना हम सबके लिए गर्व की बात है। हरपुर प्राथमिक विद्यालय की प्रधान अध्यापिका ममता श्रीवास्तव ने कहा कि मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल प्रस्तुत कर रहा है।   हमारी नई पीढ़ी को पर्यावरण की महत्ता बताना  जरूरी है । इस अवसर पर सहायक अध्यापिका आकांक्षा राय, शिक्षा मित्र साधना शुक्ला , आंगनबाड़ी बहनें इंदु शुक्ला, मीरा श्रीवास्तव, कमला देवी, शायरा, रमावती , जैनेंद्र  कुमार शुक्ला, पंचायत मित्र द

सत्यता का रंग : डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

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  सत्यता का रंग : डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"  कभी- कभी एक चुप्पी भी, गुनाह नाम लिख देती है। खुलती हैं परत, जब सच्चाई की, तो कई नजरों को शर्मशार कर देती है। ढूंढता है, शब्दों को पश्चाताप के लिए, शख्स  मगर वक्त की कलम नई कहानी लिख देती है। जीता है पश्चाताप में, हर जीता हुआ, जब सच्चाई उसे, स्वयं की नजरों में शर्मसार कर देती है। स्वयं को ईश्वर तुल्य प्रकट करने वाले को, पश्चाताप की अग्नि राख कर देती है। अंहकार में मैं ही नहीं मैं भी मरता है, कहो सत्य कहां, सौ पर्दो में छुपाता है। मिल जाए , भले ही किसी भी रंग में, "सत्य"  तब भी सत्य का रंग अनोखा होता है।

आइये पढ़ते हैं शेख रहमत अली "बस्तवी" जी द्वारा लिखी ग़ज़ल

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आइये पढ़ते हैं शेख रहमत अली "बस्तवी" जी द्वारा लिखी ग़ज़ल ज़माने   से  तू  बेख़बर   हो  गया  है। मोहब्बत का जबसे असर हो गया है।।  दिवाना  सा  फ़िरता  हमारी  गली में।  तुझे  रोग अब  इस क़दर  हो गया है।।  दुआ  है  ख़ुदा   से  तुझे   इल्म  दे दे।  मग़र  सब  दुआ  बेअसर हो  गया है।।  रहा उम्र भर  संग  तू उसकी जानिब।  अधूरा  मग़र  ये   सफ़र  हो  गया  है।।  कहानी सुनो  "रहमत" लब से बयां है।  ग़ज़ल  ये  तुम्हारे  नज़र  हो  गया  है।।  ग़ज़ल ये तुम्हारी - शेख रहमत अली "बस्तवी" बस्ती (उ. प्र.) 

राजकुमार सिद्धार्थ से भगवान् बुद्ध तक का सफ़र

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राजकुमार सिद्धार्थ से भगवान् बुद्ध तक का सफ़र एक बड़े आलीशान महल के राजकुमार सिद्धार्थ जो बचपन में बहुत ही विनम्र व दयालु प्रवृत्ति के थे, आप यूं कह सकते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के ही साक्षात् रूप थे। क्योंकि, उनकी शालीनता एकदम शांत शीतल नीर की भांति प्रतीत होती थी एवं भगवान श्रीराम की तरह आदर्शवादी थे। बचपन में उन्होंने एक तड़पते व घायल हंस को शरणागत दी एवं उस घायल हंस के सेवा-सुश्रुषा में कोई कटौती नहीं छोड़ी। इनकी सेवा-सुश्रुषा से फलीभूत होकर उस हंस को एक नयी ज़िंदगी मिली।  समय का दौर शनै:-शनै: व्यतीत होता गया एवं बालक सिद्धार्थ का भी यौवनारंभ होने लगी। वे किशोरावस्था की उम्र की दहलीज़ों को जब पार किया तो बालक सिद्धार्थ के माता-पिता उनके लिए एक सुंदर व सुसंस्कारी वधु की तलाश में भटकने लगे और आख़िरकार एक अमुक नगर में एक चांद-सा मुखड़ा की तरह एक ख़ूबसूरत वधु मिल ही गयी जो साक्षात् किसी स्वर्ग लोक की परी की तरह दिखती थीं। दोनों परिवारों की स्वीकृति से दोनों वर-वधु परिणय सूत्र में एवं दाम्पत्य जीवन में बंध गये एवं सात जन्मों तक अग्नि देवता के सन्मुख साक्षात्

विश्व शिक्षक दिवस (05 अक्टूबर)

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विश्व शिक्षक दिवस  शिक्षक  ज्ञान का  सुंदर  वाहक ,  करता ज्ञान का सर्वोत्तम प्रसार ।  खुद    दीपक  सा  जलकर  भी ,  पूरे    समाज   का   करे  उद्धार ।  अनगढ़  पत्थर को मूर्ति  बनाना ,  शिक्षक  का  कार्य  बड़ा  दुष्कर ।  अज्ञान     के    घोर  तिमिर   से  ,  दूर    निकाले   हो  खुद   तत्पर  ।  शिक्षक  सदा पूजित  समाज  में ,  समस्त गुरुजन को  सादर नमन ।  उपाधि ब्रह्मा , विष्णु , महेश  की  ,  कल्याणकारी है  जिनका  कथन ।  विद्या  माता  के   सदृश  हमारी  ,  पिता  सम शिक्षक  को  जानिए ।  यह   परम   ज्ञान मनु   ने   दिया  ,  उन्हें   आदि   गुरु   सम   मानिए ।   गुरु    वशिष्ठ  ,   गुरु    संदीपनी ,  शिक्षक   एक    से   एक   महान ।  ईश्वर     को    भी  शिष्य   बनाए  ,  स्थापित    किया   उत्तम    स्थान ।  शिक्षक   कर्मठता  की  प्रतिमूर्ति ,  बच्चों   को  आदर्श  बनाता    है  ।  प्रेरित  करता  निरंतर  छात्रों  को  ,  उन्नत , उचित  मार्ग  दिखाता  है  ।  शिक्षक  स्वयं   राष्ट्र   निर्माता  है  ,  खुद   ही   इतिहास   बनाता    है ।  प्रत्येक विषय का  ज्ञान  कराकर  ,  राष्ट्र       निर्माण   

लघुकथा- सुहागन की बिंदी

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लघुकथा- सुहागन की बिंदी      बाहर फेरीवाला आया हुआ था। कई तरह का सामान लेकर---बिंदिया, काँच की चूड़ियाँ, रबर बैण्ड, हेयर बैण्ड, कंघी, काँच के और भी बहुत सारे सामान थे। आस-पड़ोस की औरतें उसे घेर कर खड़ी हुई थीं।    काफी देर तक बाबा गेट पर अपनी लाठी टेककर खड़े रहे। जैसे ही औरतों की भीड़ छँटी, बाबा अपनी लाठी टेकते हुए फेरी वाले के पास पहुँच गए और उस का सामान देखने लगे।  शायद वे कुछ ढूँढ रहे थे। कभी सिर ऊँचा करके देखते, कभी नीचा। जो देखना चाह रहे थे, वह दिख नहीं रहा था।   हैरान परेशान बाबा को फेरी वाले ने देखा तो पूछा---"कुछ चाहिए था क्या बाबा आपको ?"    पर बाबा ने सुनकर अनसुना कर दिया। धीरे-धीरे लाठी टेकते हुए फेरी के ही चक्कर लगाने लगे। कहीं तो दिखे वो, जो वे देखना चाह रहे हैं। फेरी वाले ने दोबारा पूछा---"बाबा कुछ चाहिए था क्या ?"   अबकी बार बाबा ने फेरीवाले से कहा --"हाँ बेटा!"   क्या चाहिए ?-- बताओ मुझे, मैं ढूँढ देता हूँ।" "मुझे ना--वो बिंदिया चाहिए थी।" "बिंदिया क्यों चाहिए बाबा ?"   बाबा ने अम्मा की तरफ इशारा करते ह

लघुकथा - महाविद्यालय में साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम

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लघुकथा - महाविद्यालय में साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम  पायल अपने वर्ग की सबसे ख़ूबसूरत व होनहार छात्रा थी। वह लंबी, गोरी व चंचला थी। उसकी आवाज़ों में मिठास झर रही थी ऐसे मानों कि उसके कंठ में मां शारदे साक्षात् समाहित थी। उसकी स्मृतियां भी बहुत अच्छी थी, जो एक बार पूरी तन्मयता व मनोयोग पूर्वक अध्ययन कर लेती थी तो उसे सदा के लिए ही स्मरण हो जाती थी। उसकी सभी विषयों में समतुल्य ज्ञान थी। ख़ासकर हिंदी साहित्य में तो और भी ज़्यादा, हिंदी साहित्य तो मानों कि बहुत उत्कृष्ट व अनमोल थी। उसकी अल्फ़ाज़ों से सुंदर-सुंदर शब्दों की झरियां झर रही थी। उसकी मधुर अल्फ़ाज़ों को जब कोई श्रोतागण एक बार सुनते तो बस कायल ही हो जाते थे।  इसी क्रम में एक बार महाविद्यालय के प्रांगण में हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रखा गया, जिसमें जिला कलेक्टर मुख्य अतिथि के रूप में सांस्कृतिक मंच पर आमंत्रित व विराजमान थे। उस सांस्कृतिक कार्यक्रम में पायल भी प्रतिभागी हुई। वह सबसे पहले अपने सुंदर कंठ से छायावाद के महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित सरस्वती वंदना &quo

आओ हम नजरें घुमाएं गाँव गलियों में

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आओ हम नजरें घुमाएं गाँव गलियों में आओ हम नजरें घुमाएं गाँव गलियों में, जहाँ बीता बचपन छूटा वो ठिकाना है! पढ लिख कर के निकल गए गाँव से जो, बस गए शहरों में गाँवों में विराना है! आस लिए माता पिता सपने सजाते रहे , परदेश गए सभी बेटों को दिखाना है! बरसों बरस बीतें गए गाँव नहीं लौटे, कमाई के चक्कर में उलझा जमाना है!(१) गुमसुम गलियों को ताँकती बोझिल आँखें, घरों में है वृद्धजन याद ये दिलाना है! रोजगारी की है कमी पलायन मजबूरी, परिवार टूटने के संकट मिटाना है! जिंदगानी का आनंद परिवार के ही संग, पालकों की शरण में जीवन बिताना है! सार्थक प्रयास करें गाँवों में ही काम मिले, माता पिता कुटुंब का फर्ज भी निभाना है!(२) रचनाकार- अरविंद सोनी "सार्थक" रायगढ़, छत्तीसगढ़ 

काश मैं छोटा-सा नटखट कान्हा होता

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काश मैं छोटा-सा नटखट कान्हा होता  काश मैं छोटा-सा नटखट कान्हा होता तो  मेरे लिए वो छोटी-सी प्यारी राधा रानी बन जाती! जी भर के अपनी प्यारी राधा रानी से सच्चा प्रेम करता, उसे बड़े प्यार से पास बुलाकर गले लगाता! सुख-दुख में हमेशा उसे साथ देता, अपना सच्चा प्रेम का एहसास कराता! दोनों एक साथ ख़ूब खेला करते, एक दूजे को बहुत फ़िक्र रखा करते! मधुवन में वो मेरी प्रतीक्षा करती, उसके लिए कुरकुरे और डेयरी मिल्क लाकर देता! बड़े चाव से वो कुरकुरे और डेयरी मिल्क खाती, बीच-बीच में मीठी-मीठी बातें भी करती! सावन के झूले पर उसे प्यार से बिठाता, जी भर के उसके साथ हंसी और ठहाका लगाते! चंद्रमा की चांदनी में हम दोनों की मधुर मिलन होती, पास मेरे धीरे-धीरे आते ही वो सिसक जाती! चांद-सा मुखड़ा उसकी देखा करता, अपलक उसकी सुंदरता को निहारा करता! उसे अपना दिव्य रूप का दर्शन कराता, हम दोनों के पुनर्जन्म का स्मरण कराता! किस्मत में ना सही पर दिल में हमेशा उसे बसाकर रखा करता, पास होती मेरे पास तो उसे कभी अकेला नहीं छोड़ता! जबतक मेरी दो पल की ज़िंदगी रहती, उसके आंखों में कभी आंसू नहीं देख सकता!    

पितृ पीर को समझ न पाया

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पितृ पीर को समझ न पाया  आज पिता को तर्पण करते याद आ रही कर्मों की जब तक जीवित रहे भूलकर पानी भी है नहीं पिलाया।। रहा पड़ा परदेश कमाता बच्चों बीच उन्हें बिसराया, अन्तिम समय पुकारे हमको पर हमने न मुंह दिखलाया। लोग बताते मृत्यु पूर्व तक नीर नयन से रहा निकल, लाल देखने को मन उनका कितना होगा रहा विकल। मैं माया की चकाचौंध में पितृ पीर को समझ न पाया ।। जब तक..... जब तक रहते मात पिता न कोई मूल्य समझ पाता, जाने पर हर कोई उनके धुनता सिर मन पछताता। याद आती हैं सारी बातें कैसे पाला है उनको, खुद के सारे खर्च बंद कर विद्यालय डाला उनको। मां अँचार से रोटी खाती बिन घी कभी न उसे खिलाया।। जब....... आने पर बुखार सिरहाने बैठ बिताती रातें मां, पापा लाते दौड़ दवाई सारा काम छोड़कर जा। जिसकी जिद हम बच्चे करते निश्चित सायं आ जाती, बिना सामने बैठ खिलाये मम्मी कहीं नहीं जाती । कहते पापा तुम सब ही धन है कुर्बां तुम पर माया।। जब......... यह कविता उन सब की खातिर जो पितु मात सताते हैं, उनकी अनदेखी करके घर दिल को रोज दुखाते हैं। जब तक सिर पर इनका छाता दुख आने से डरता है, धिक् धिक् रहते बेटों के जब घर पितु म

आइए पढ़ते हैं चंद्रकान्त पाण्डेय जी द्वारा लिखी रचना- प्रेम

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आइए पढ़ते हैं चंद्रकान्त पाण्डेय जी द्वारा लिखी रचना- प्रेम  ढाई   अक्षर   का   शब्द    प्रेम ,  जीवन जीने  की कला सिखाता।  प्रेम   ही  तो  आधार  सृष्टि  का ,  विश्व   प्रेम   की  महिमा  गाता  । प्रेम   एक  अहसास  है  केवल  ,  अनुभव  बेहतर   करता  इंसान ।  प्रेम   आस्था  , प्रेम   भक्ति    है ,  प्रेम   है   जग   में   बड़ा  महान। प्रेम   समर्पण ,  प्रेम   ही  शक्ति ,  प्रेम     है   ऊर्जा   जीवन    का ।  प्रेम   स्रोत  है  पवित्र  दिलों  का ,  प्रेम  भक्ति  है  शांति  मिलन का। पिता  -  पुत्र   का    प्रेम   अमर ,  गाथा    जानी     पहचानी    है  ।  निष्प्राण  हुई   काया  चिंता   में ,  जग    विदित आदर्श  कहानी है। प्रेम    सत्य    से   हरिश्चंद्र   का  ,  स्वप्न   की  बात  भी   मान  गए ।  शानों   शौकत   छोड़  सिंहासन ,  श्मशान      पर     दास     बनें  । पुत्र    प्रेम   में   जननी   अपना  ,  दुर्लभ      जीवन    खर्च    करे  ।  देश    प्रेम    में    वीर   सिपाही  ,  जीवन  सरहद  पर  उत्सर्ग  करे ।  प्रेम   प्रभु  का   जीव   मात्र   से  ,  नित   नूतन  जीव  निर्माण  करें  । 

अच्छे उद्देश्य में दृढ़ता : सत्याग्रह

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अच्छे उद्देश्य में दृढ़ता : सत्याग्रह  सत्याग्रह का तात्पर्य स्वतंत्रता प्राप्त करने और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना है। महात्मा गांधी के अनुसार, अन्याय से लड़ने के लिए सत्याग्रह एक अनूठा हथियार था। सत्याग्रह के विचार ने सत्य की शक्ति और सत्य की खोज की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। सत्याग्रह जन आंदोलन की एक नवीन पद्धति थी, जिसमें सत्य, सहिष्णुता, अहिंसा और शांतिपूर्ण विरोध के सिद्धांत पर जोर दिया गया था। सत्याग्रह ने इस बात का समर्थन किया कि सच्चे कारण और अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए, उत्पीड़क से लड़ने के लिए शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। गांधी जी का मानना ​​था कि सत्याग्रह की लड़ाई जीती जाएगी और यह लड़ाई भारतीयों को सत्य और अहिंसा के इस धर्म से एकजुट भी करती है। गांधीजी ने सत्याग्रह की तुलना दुरग्रह से की, जो बलपूर्वक आयोजित किया जाता है, क्योंकि विरोध का अर्थ विरोधियों को प्रबुद्ध करने से अधिक परेशान करना है। गांधीजी ने सत्याग्रह शुरू किया क्योंकि उन्होंने अफ्रीका में इसका अनुभव किया था जहां यह एक बड़ी सफलता थी। सत्याग्रह के विचार ने सत्य की

आइए पढ़ते हैं शेख रहमत अली बस्तवी जी द्वारा लिखी गजल

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                ग़ज़ल दिल नशीं तुमसे  प्यार कर बैठे।  ख़ुद  को हम  बेक़रार  कर बैठे।।  प्यार शिद्दत  से  किया है तुमसे।  जाने   क्यों  ऐतबार   कर  बैठे।।  एक वादा जो मुस्कुरा के किया।  उम्र   भर    इंतज़ार   कर   बैठे।।  तन्हां भटका है इस क़दर  कोई।  ज़िंदगी  अपनी  ख़ार  कर  बैठे।।  आँखों से अश्क यूं  बहे "रहमत"।  दिल   मिरा  तार-तार  कर  बैठे।।  - शेख रहमत अली" बस्तवी" बस्ती (उ, प्र,) 

ब्रह्म द्रव्य है, यह पानी

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ब्रह्म द्रव्य है, यह पानी   जल तो केवल बूंद नहीं है, ब्रह्म द्रव्य है यह पानी। इसकी बर्बादी को रोकें, कहते सभी, संत स्वामी।। माँ की भांति यह पोषक है, ऊर्जा का भंडार सही। यह तो कल्याणक सबका, जीवन का आधार यही।। जल पवित्र करता है सबको, यह औषधि रसायन है। सेवन से मिलती है ऊर्जा, जीवन का तो विधायन है।। देव स्वरूप हम इसे मानकर, करते है इसकी पूजा। जल बिन जीवन दुर्लभ है, जल सा द्रव्य नहीं दूजा।। अनुपम जल है, एक धरोहर मान गए न्यायालय भी। इसके अतिदोहन को रोकें, बच्चे, बूढ़े और   सभी।। जल के भंडारण को सोचो, आओ करें, विचार सभी। जल के प्रति व्यवहार को बदलें, रोकें अत्याचार सभी।। पानी है तो जीवन सबका, पानी से ही सबका पानी । पानी का बस मोल जान लो, नहीं तो याद आए नानी।। रचनाकार : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा                 सुंदरपुर, वाराणसी