आइए पढ़ते हैं चंद्रकान्त पाण्डेय जी द्वारा लिखी रचना- प्रेम

आइए पढ़ते हैं चंद्रकान्त पाण्डेय जी द्वारा लिखी रचना- प्रेम 
ढाई   अक्षर   का   शब्द    प्रेम , 
जीवन जीने  की कला सिखाता। 
प्रेम   ही  तो  आधार  सृष्टि  का , 
विश्व   प्रेम   की  महिमा  गाता  ।

प्रेम   एक  अहसास  है  केवल  , 
अनुभव  बेहतर   करता  इंसान । 
प्रेम   आस्था  , प्रेम   भक्ति    है , 
प्रेम   है   जग   में   बड़ा  महान।

प्रेम   समर्पण ,  प्रेम   ही  शक्ति , 
प्रेम     है   ऊर्जा   जीवन    का । 
प्रेम   स्रोत  है  पवित्र  दिलों  का , 
प्रेम  भक्ति  है  शांति  मिलन का।

पिता  -  पुत्र   का    प्रेम   अमर , 
गाथा    जानी     पहचानी    है  । 
निष्प्राण  हुई   काया  चिंता   में , 
जग    विदित आदर्श  कहानी है।

प्रेम    सत्य    से   हरिश्चंद्र   का  , 
स्वप्न   की  बात  भी   मान  गए । 
शानों   शौकत   छोड़  सिंहासन , 
श्मशान      पर     दास     बनें  ।

पुत्र    प्रेम   में   जननी   अपना  , 
दुर्लभ      जीवन    खर्च    करे  । 
देश    प्रेम    में    वीर   सिपाही  , 
जीवन  सरहद  पर  उत्सर्ग  करे । 

प्रेम   प्रभु  का   जीव   मात्र   से  , 
नित   नूतन  जीव  निर्माण  करें  । 
विस्तृत      इस    भूमंडल    पर  , 
हर    प्राणी   का  कल्याण  करें  ।

- चंद्रकांत पाण्डेय
मुंबई   ( महाराष्ट्र )

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