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राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका

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राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका  नेल्सन मंडेला की एक ख़ूबसूरत कहावत है कि, “आज के युवा कल के नेता हैं” जो हर एक पहलू में सही लागू होता है। युवा राष्ट्र के किसी भी विकास की नींव रखता है। युवा एक व्यक्ति के जीवन में वह मंच है, जो सीखने की कई क्षमताओं और प्रदर्शन के साथ भरा हुआ है। जिस तरह से इंजन को चालू करने के लिए इंधन जिम्मेदार होता है; ठीक उसी तरह युवा राष्ट्र के लिए है। यह राष्ट्र की प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है। राष्ट्र का सर्वांगीण विकास और भविष्य, वहां रहने वाले लोगों की शक्ति और क्षमता पर निर्भर करता है और इसमें प्रमुख योगदान उस राष्ट्र के युवाओं का है। वर्तमान युग में युवा राष्ट्र की एक शक्तिशाली संपत्ति है जिसमें प्रचुर मात्रा में ऊर्जा और उत्साह है जो समग्र उन्नति के लिए आवश्यक माना जाता है। युवावस्था विकास की एक महत्वपूर्ण उम्र है, अनिश्चितता की अवधि जब सब कुछ उथल-पुथल में होता है। युवा कल की आशा हैं। वे देश के सबसे ऊर्जावान वर्गों में से एक हैं और इसलिए उनसे बहुत उम्मीदें हैं। सही मानसिकता और क्षमता से युवा देश के विकास में योगदान दे सकते हैं और उस

इग्नू ज्ञानाधारित तथा कौशल विकास शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र है : डॉ अवनि त्रिवेदी भट्ट

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इग्नू ज्ञानाधारित तथा कौशल विकास शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र है : डॉ अवनि त्रिवेदी भट्ट  अहमदाबाद :  इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय कार्यालय, अहमदाबाद के निदेशक डॉ अवनि त्रिवेदी भट्ट ने बताया कि  इग्नू ज्ञानाधारित तथा कौशल विकास शिक्षा का प्रमुख केन्द्र है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) ने दाखिले के लिए आवेदन करने की तिथि बढ़ाई है। इसके बाद अब विद्यार्थी 29 फरवरी तक आवेदन कर सकते हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में एडमिशन के लिए साल में दो बार फार्म भरे जाते हैं। पहला जनवरी सत्र के लिए और दूसरा जुलाई सत्र के लिए। जनवरी 2024 सत्र की एडमिशन प्रक्रिया जारी है।     एक प्रश्न के उत्तर में निदेशक डॉ अवनि त्रिवेदी भट्ट ने बताया कि कौशल विकास और ज्ञानाधारित शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए इग्नू सर्व श्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन के साथ -साथ सर्वतोन्मुखी विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना है। यह विश्वविद्यालय रिमोट एरिया, ग्रामीणांचल के सुषुप्त प्रतिभाओं को गुणवत्तापूर्ण उ

शब्द

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शब्द  शब्दों को हैं, ब्रह्म मानते, शब्द ब्रह्म का, आराधक। दिखती है शब्दों की थिरकन, जग में सब, उसके साधक।। शब्दों के ही उद्बोधन से, अन्तर्मन के उठते स्वर। शब्दों के ही, दिव्य प्रकाश से ज्योतित है त्रैलोक्य अमर।। कभी कभी शब्दों की ऊर्जा देती है अद्भुत धड़कन। शब्दों से रस, स्रावित होता होता रसिक प्रफुल्लित मन।। शब्दों की ख़ुशबू भी फैले,  शब्दों से मिलता है ग़म। शब्द कभी बन मधुप भ्रमर सा करता है चंचल चितवन।। शब्दों के इन महाजाल में बर्बश उलझा कभी यौवन।। कवि शब्दों का सत्य सृजेता करता नित साहित्य सृजन।। शब्दों का वह चित्रकार बन करता मन का चित्रांकन। शब्दों से ही जगमग होता,  कविता का अद्भुत आँगन।। शब्दों की सत्ता में निश्चित, मिलता है वह सुख-निर्वच। शब्दों का सहयोग सृजन में जन जीवन के प्राण कवच।। शब्दों के संयोजन से बनते प्राण स्वाँस के रक्षक मंत्र। शब्दों से ही गीत ग़ज़ल बन महका है, वाणी का तन्त्र।। शब्दों से संसार विनिर्मित, जैसे पुप्ष मधुप संग उपवन। शब्दों का है निखिल विश्व में यत्र तत्र सर्वत्र वहन।। रचनाकार : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा  सुन्दरपुर वाराणसी-05

मौनी अमावस्या को गंगा स्नान तथा पितृ तर्पण अत्यन्त शुभकारी है : डॉ देव नारायण पाठक

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मौनी अमावस्या को गंगा स्नान तथा पितृ तर्पण अत्यन्त शुभकारी है : डॉ देव नारायण पाठक -------------------------------------- अहमदाबाद, गुजरात के ज्योतिर्विद डॉ देव नारायण पाठक ने बताया कि माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या अर्थात् मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन लोग पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। शास्त्रों में इस दिन मौन रहकर दान और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान-पुण्य और पूजन से अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुणा पुण्य प्राप्त होता है और ग्रह दोषों के प्रभाव भी कम होते हैं। इस दिन प्रात: स्नान के बाद सूर्य को दूध, तिल से अर्घ्य देना भी विशेष लाभकारी होता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या कब है? और इसका क्या महत्व है? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ पाठक ने बताया कि हृषीकेष पंचांग के अनुसार इस साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का  प्रारम्भ 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 02 मिनट से होगा। अगले दिन अर्थात् 10 फरवरी को सुबह 4 बज

महिलाओं के सशक्तिकरण के माध्यम : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

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महिलाओं के सशक्तिकरण के माध्यम : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा                                      शिक्षा से ही हम अपने अंतर्निहित शक्तियों का विकास करते हैं, तथा शिक्षा के माध्यम से ही हम विपरीत  परिस्थितियों से निपटने का प्रयास करते हैं। किसी भी परिवार में बालिकाओं को शिक्षित करने का मतलब होता है, पूरे परिवार को शिक्षित करना, इससे पुरुष सदस्यों की सोच में भी बदलाव आता है, देखा जाए तो शिक्षा से एक स्वतंत्र सोच का निर्माण होता है, जिससे आत्म सम्मान के साथ जीने व अन्याय के खिलाफ मुखर होने का साहस पैदा होता है।शिक्षित होकर नारी आज आजीविका पाकर आत्म निर्भर हो रही है, स्वावलंबी होकर आत्म निर्भरता प्राप्त कर रही हैं। राज्य/केंद्र सरकार द्वारा भी महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु कई योजनाएं जैसे कौशल विकास मिशन के अंतर्गत कई कार्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। पिछले दो दशकों में महिलाएं आत्म निर्भर हुई है। आत्मनिर्भरता सिर्फ आजीविका नही, बल्कि स्वाभिमान व आत्म गौरव की अनुभूति भी है। आज समाज का भी दायित्व है की उन्हें आजीविका का विक

द्रुतगामी मन, बंधन व मोक्ष का कारण : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

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द्रुतगामी मन, बंधन व मोक्ष का कारण : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा कहते हैं कि, मन विधाता की अनुपम देन है। चंचलता और स्वच्छंदता मन की नैसर्गिक विशेषता होती है। मानव जीवन के तीन आयामों में शरीर, प्राण व मन की गणना की जाती है। मानव की सबसे बड़ी शक्ति मन को माना जाता है। मन ही मानव को विचारशील बनाता है। शरीर रचना विज्ञानियों का मानना है कि मानव शरीर में लगभग 1300 ग्राम का मस्तिष्क होता है, जिसमें मन विद्यमान रहता है। एक शोध के अनुसार मानव मस्तिष्क में तीस अरब न्यूरॉन्स होते हैं, जिससे शरीर में सूचनाओं का आदान- प्रदान होता रहता है। मानसिक तरंगों की अनुभूतियों, मस्तिष्क की स्मृतियों से आत्मा में कामनाओं का एक जगत का निर्माण होता है, जिसे मन कहा जाता है। मन में प्रत्येक क्षण परिवर्तन होता रहता है। प्रत्येक व्यक्ति का मन ही उसका संसार है। मन का अस्तित्व कामनाओं पर निर्भर रहता है। कामना के न रहने पर मन का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इसीलिए गीता में भगवान कृष्ण ने निष्काम कर्म की बात बताई है। आइए मन को मनीषियों ने कैसे परिभाषित किया है, इस पर ध्यान केंद्रित करें। मन मस्तिष्क की उस क्षमता

बालिकाओं/महिलाओं का सशक्तिकरण कैसे? पढ़ें पूरा लेख...

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बालिकाओं/महिलाओं का सशक्तिकरण कैसे? पढ़ें पूरा लेख... शिक्षा से ही हम अपने अंतर्निहित शक्तियों का विकास करते हैं तथा शिक्षा के माध्यम से ही हम विपरीत परिस्थितियों से निपटने का प्रयास करते हैं। किसी भी परिवार में बालिकाओं को शिक्षित करने का मतलब होता है, पूरे परिवार को शिक्षित करना, इससे पुरुष सदस्यों की सोच में भी बदलाव आता है। देखा जाए तो शिक्षा से एक स्वतंत्र सोच का निर्माण होता है, जिससे आत्म सम्मान के साथ जीने व अन्याय के खिलाफ मुखर होने का साहस पैदा होता है। शिक्षित होकर नारी आज आजीविका पाकर आत्म निर्भर हो रही हैं, स्वावलंबी होकर आत्म निर्भरता प्राप्त कर रही हैं। राज्य/केंद्र सरकार द्वारा भी महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु कई योजनाएं जैसे कौशल विकास मिशन के अंतर्गत कई कार्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है।पिछले दो दशकों में महिलाएं आत्म निर्भर हुईं हैं, आत्मनिर्भरता सिर्फ आजीविका नही, बल्कि स्वाभिमान व आत्म गौरव की अनुभूति भी है। आज समाज का भी दायित्व है कि उन्हें आजीविका का विकल्प देकर उनके विकास में नए पंख लगाने का

महिलाएं आत्मनिर्भर बनें : गीता देवी हिमधर

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महिलाएं आत्मनिर्भर बनें : गीता देवी हिमधर  कोरबा- छत्तीसगढ़ :  सेपवस संस्था के डायरेक्टर फिरत राम सारथी के मार्गदर्शन व संयोजन से ग्राम बुढ़ियापाली विकास खंड करतला में महिला सशक्तिकरण व स्वालंबन हेतु आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्यामलाल कंवर समाज सेवी, अध्यक्षता श्रीमती गीतादेवी हिमधर राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता व समाज सेवी, विशिष्ट अतिथि डाक्टर प्यारेलाल आदिले प्राचार्य जे बी सी कालेज कटघोरा,विशिष्ट अतिथि जगन्नाथ हिमधर राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता व समाज सेवी कपिल कुमार बोध शिक्षक व समाज सेवी मंतोष कुमार बिंझवार शिक्षक व समाज सेवी थे। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीमती गीता देवी हिमधर ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है, वर्तमान में महिलाएं शिक्षा के बदौलत विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर रही हैं । उन्हें स्वरोजगार दिलाना भी आवश्यक है। आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि सेपावस संस्था द्वारा सिलाई- कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर समाज सेवियों के माध्यम से सिलाई मशीन प्रदान किया जा रहा है, मैं भी एक सिलाई मशीन प्रदान किया। श्यामलाल कंवर ने ऐसे कार्यक्रम करते रहने

शिकसा का कार्य सबको प्रेरणा दे रहा है : निधि

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शिकसा का कार्य सबको प्रेरणा दे रहा है : निधि   (संगीत संध्या का हुआ आयोजन)           दुर्ग (छत्तीसगढ़) :                     शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ दुर्ग के द्वारा शिक्षक व छात्रों के लेखन सांस्कृतिक क्षमता को निखारने हेतु मंच प्रदान करने शिकसा संगीत संध्या का आयोजन संयोजक डॉ. शिवनारायण देवांगन "आस" के संयोजन व निधि चन्द्राकर अध्यक्ष छ.ग. उड़ान नई दिशा संस्था  आतिथ्य में संपन्न हुआ ।         कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वंदना राखी चौहान शिक्षिका कोलियापुरी दुर्ग व राजगीत युवरानी वर्मा व्याख्याता मानसरोवर विद्यालय जंजगिरी चरोदा   ने प्रस्तुत कर किया ।                       सर्वप्रथम संयोजक डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस" ने अपने उदबोधन में शिकसा के कार्यक्रम पर प्रकाश डाला ।                   प्रातांध्यक्ष कौशलेन्द्र पटेल ने शिकसा के प्रयास व कार्यक्रम पर अपना विचार प्रगट किया ।              कोषाध्यक्ष बोधीराम साहू ने संस्था के विस्तार को बड़ी उपलब्धि बताये वही निरंतर कार्यक्रम आयोजन करते रहने की बात कहा।                 प्रातांध्यक्ष महिला प्र