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समय चक्र का पहिया

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                                      (कविता)         समय चक्र का पहिया समय चक्र, एक अद्भुत गाड़ी जिसमें ब्रेक नही होता। इसको व्यर्थ बिताने वाला, कहते हैं, सुखी नही होता।। समय की बर्बादी से सबका, निश्चय है भविष्य बर्बाद।                पहचानी कीमत जिसने भी, चमका है उसका सौभाग्य। समय बड़ा ही मूल्यवान है, सोच समझ सबको जीना । वक्त का जिस पर साया होता, सुख उसका न छीना।। अच्छा वक्त तभी आता है, बुरे दिनों का टला अघात।                    असमंजस स्थिति देती है, भ्रमित कल्पना का संघात।। प्रकृति के जितने कृत कारक, मानव का पद है उत्तम।                    सुख का भागी बना तभी वह समय चक्र होता सर्वोत्तम ।। समय अजीब भूमंडल का, फैला आईना बन दिक्काल। समय, समय पर देता सबको, सुख, पीड़ा और अकाल।। समय चक्र मानव जीवन को, करता है वह गति प्रदान। सहज सरल जीवन गुजरे तो, सचमुच होता है उत्थान।। समय, दिलाता राज्य कभी तो , हरता राज्य वही है। जड़ चेतन, ब्रह्मांड में फैला, समदर्शी बन वही सही है।। वक्त का पहिया सदा चलेगा, सब प्राणी उसमें ढलते ।             कभी नही यह रुका है साथी, प्रज्ञावान यही कहते।।