अपने अस्तित्व की खोज में आज भी है नारी
अपने अस्तित्व की खोज में आज भी है नारी एक नारी जहां बेटी का जन्म लेकर पूर्ण महिला होने तक का सफर तय करती है वह आज भी अपने जीवन मे अपनी ही एक पहचान को तरसती है नारी को आज भी अपने असली अस्तित्व की खोज है बेटी बन पिता की इज्जत, पति का गौरव, बच्चे की मां, दोनों घरों की लक्ष्मी, कुल की परंपरा बन जाती है पर अपना नाम उस घर की नेम प्लेट पर कभी नहीं पाती है, ना जाने कब तक हम महिला दिवस मनाते रहेंगे बस एक दिवस महिला को देकर कब तक खुश करते रहेंगे । तन से है वह कोमल जरूर पर मन की पक्की, जीवन भर एक पिता की बेटी बनी रहती है, एक शराबी पति भी क्यों ना हो तो पत्नी बनी रहती है घर बहु बनी रहती है, भाई की बहाना, लाख बुरा हो बेटा फिर भी एक अच्छी मां बनी रहती है । तन, मन से रिश्ते संस्कार और अपना कर्तव्य निभाती घर का सारा काम भी करती है उसी औरत को ऐसे में कुछ लोग सरे आम पागल भी कह देते हैं पर भी वह घर को सजाती संवारती स्वर्ग सा बनाती है,पति निकम्मा, शराबी क्यों ना हो आय का साधन, बच्चों को पढ़ाने घर घर बर्तन मांज कर भी अपना घर चलाती है । वही आज अगर बेटी पढ़ना चाहे, अच्छे पद को पाना चाहे तो