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झंडा दिवस : सुधीर श्रीवास्तव

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झंडा दिवस : सुधीर श्रीवास्तव आज सशस्त्र सेना झंडा दिवस है सात दिसंबर उन्नीस सौ उनचास को ये मनाया गया था पहली बार तब से सशस्त्र सेना झंडा दिवस देश हर साल मनाता बार बार। यह दिवस है हमें एकजुटता दिखाने का शहीदों और जाँबाज जवानों के प्रति हम सबकी ओर से  उनके प्रति सम्मान दिखाने का। इस दिन पूरे देश में धन जुटाया जाता यह धन सैनिकों के कल्याण में उपयोगार्थ लाया जाता है। गतवर्ष हमनें  सैंतालीस करोड़ जुटाए थे इस वर्ष दिसंबर माह हम गौरव माह के रुप में मना रहे हैं। हर भारतवासी  प्राणप्रण से यथा योगदान जरूर करे, सैनिक और सैनिक परिवारों के प्रति सम्मान का भाव प्रकटकर नमन करे। ये दिन देश के लिए बहुत खास है अपने सैनिकों पर हमें पूरा विश्वास है, हम बेपरवाह न हो जायें अपनी एकजुटता का उन्हें भी आगे बढ़कर सदा ही एहसास करायें। सैनिकों और उनके परिवारों को अपनेपन और उनके साथ हर पल खड़े होने का विश्वास दिलाएं, सम्मान के भाव दिखाएं, झंडा दिवस की सार्थकता का विश्व में भारत का परचम लहराएं। - सुधीर श्रीवास्तव    गोण्डा, उ.प्र.

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भव्य बिरहा का हुआ आयोजन

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सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ बृजेश कुमार सिंह की रिपोर्ट) सोनभद्र जिले के करमा ब्लॉक अंतर्गत ग्रामीण ग्राम सभा लोहरा के पम्पवा बस्ती में स्थित काली माता के मंदिर पर श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया गया।  इस जन्मोत्सव कार्यक्रम में भव्य बिरहा का भी आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की पूजा - अर्चना किए।  इस दौरान तीन गायकों की टीम के द्वारा शानदार बिरहा प्रस्तुत किया गया। इस टीम में  गायक संजय बागी और उनकी टीम अम्मरेश मास्टर, अनिल मास्टर, रामआसरे, धर्मराज भारती, राजेश कवि, दूसरा गायक बुधीराम चौहान और उनकी टीम वीपीन मास्टर, नन्दलाल मास्टर, लालचंद चौहान, गुपूतनाथ, जवाहिर, तीसरी टीम गायक सरोज भारती और उनकी टीम के द्वारा शानदार बिरहा प्रस्तुत किया गया और कार्यक्रम कमेटी के द्वारा गायकों को अंगवस्त्र देकर और माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। इस दौरान व्यवस्थापक के रूप में समस्त क्षेत्रीय लोग और ग्रामीण लोग उपस्थित रहे। इस मौके पर ग्राम सभा लोहरा के ग्राम प्रधान पति सुरेश बाबू, पूर्व जिला पंचाय

आइए पढ़ते हैं क्षमा द्विवेदी द्वारा रक्षाबंधन पर्व पर लिखी कविता- भाई बहन के प्यार का त्यौहार आ गया

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रक्षाबंधन पर्व पर लिखी कविता-  भाई बहन के प्यार का त्यौहार आ गया। रिश्तों का मधुर प्यारा सा संसार आ गया। रेशम के एक धागे की कीमत महान है, बहनों का खूबसूरत आधार आ गया। संकल्प साधना है ये रक्षा जो बहन की,  समझो कि उसका बस यही  अधिकार आ गया। कितना पवित्र भाव है इस डोर के पीछे, सदियों से चला आ रहा ब्यवहार आ गया। ये तो सनातनी परंपरा की छाप है, इस सभ्यता का मूल रुप सार आ गया। आदर है और सम्मान है त्योहार का मक़सद, इसके बहाने खुशियों का भंडार आ गया।       -क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

डॉ बृजेश महादेव ने राखी बधवाई में बहनों को दिए पौधों का उपहार और पौधौ को बाधी राखी

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सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ बृजेश कुमार सिंह की रिपोर्ट) पर्यावरण प्रेमी डॉक्टर बृजेश महादेव द्वारा इस रक्षाबंधन के पावन अवसर पर राखी बधवाई में बहनों को पौधों का उपहार भेंट किया, और कहा कि सभी भाइयों को रक्षाबंधन के अवसर पर एक फलदार अथवा पसंदीदा पौधा जरूर भेंट करना चाहिए साथ ही घर पर उनके हाथों से एक पौधा रोपित भी कराना चाहिए इससे भाई और बहन में प्रेम बढ़ेगा साथ ही मायके में बहनों की यादें भी संरक्षित रहेंगी.  पौधों से ही प्राण वायु मिलती है और उसे हम ऑक्सीजन के रूप में ग्रहण कर जीवित रहते हैं. सभी बहनों ने इस अनोखे उपहार को सहर्ष स्वीकार किया तथा उसे संरक्षित करने का संकल्प लिया और कहा कि जीवन में पहली बार हमें एक अनोखा उपहार मिल रहा है इसे एक यादगार बनाएंगे,  पैसे रुपए कपड़े जेवर तो सभी देते हैं  पर जीवन रक्षक उपहार पहली बार प्राप्त हुआ है. इस अवसर पर राखी बांधने वाली बहनों में प्रेमलता पुष्प लता कुसुमलता मधु लता आराधना एवं साधना ने  बड़े भाई डॉक्टर बृजेश महादेव के इस उपहार को सबसे मूल्यवान बताया. नई पीढ़ी में मंगला इप्सा दीप्ति अंशिका भाग्यश्री ने

शरद पूर्णिमा : समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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शरद पूर्णिमा : समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधी : शरद पूर्णिमा को आरोग्‍य का पर्व कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को अमृतमयी चांद अपनी किरणों में स्‍वास्‍थ्‍य का वरदान लेकर आता है। आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" के अनुसार शरद पूर्णिमा हिंदू पंचांग में सबसे धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण पूर्णिमा की रातों में से एक है। शरद पूर्णिमा इस वर्ष 30 अक्टूबर को है। यह पर्व शरद ऋतु में आता है और यह आश्विन (सितंबर / अक्टूबर) के महीने में पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा की रात) को मनाया जाता है। इस उत्सव को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा को सबसे विशेष महत्‍व खीर खाने का माना जाता है। चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है और किरणों को उसके प्रभाव में पूरी तरह आने के बाद इस खीर को रोगियों को दिया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि खीर के सेवन से रोगों का इलाज हो जाता है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं शरद पूर्णिमा कब है, किस समय से किस समय तक रहेगी, इसकी पूजा की विधि क्‍या है, मंत्र क्‍या है, शुभ मूहूर्त क्‍या है और पूर्णिमा पर खीर का क्‍या महत्‍व है। पूर्णिमा तिथि : 30 अक्टूबर 202

अधिक मास या मलमास का प्रारंभ, महत्व व कथा

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अधिक मास कब प्रारम्भ होगा, महत्व व कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन-: पितृ पक्ष समाप्ति के बाद इस वर्ष 18 सितम्बर 2020 से अधिक मास अर्थात् मलमास आरंभ हो गया है, हिंदू धर्म में अधिक मास का विशेष महत्व है। ऐसे में धार्मिक कार्य करने से विशेष पुण्य होता है, अधिक मास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, सौर वर्ष और चांद्र वर्ष में सामंजस्य बनाने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चान्द्रमास की वृद्धि हो जाती है जिसे अधिक मास, अधिमास, पुरुषोत्तम मास या मलमास कहते हैं। चांद्रवर्ष 354 दिन, 22 घड़ी, 1 पल और 23 विपल का होता है जबकी सौर-वर्ष 365 दिन, 15 घड़ी, 22 पल और 57 विपल का होता है इस प्रकार दोनों वर्षमानों में प्रतिवर्ष 10 दिन, 53 घटी, 21 पल अर्थात लगभग 11 दिन का अन्तर आ जाता है। इस अन्तर में समानता बनाने के लिए चांद्रवर्ष 12 मासों के स्थान पर 13 मास का हो जाता है। जिस चंद्रमास में सूर्य-संक्रांति नहीं पड़ती, उसी को "अधिक मास" की कहा जाता है। अधिक मास का महत्व : आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" के अनुसार अधिक मास में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा

विश्वकर्मा पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व व जन्म की कथा

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विश्वकर्मा पूजा विधी, मुहूर्त, महत्व व जन्म की कथा :- विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही कारखानों और फैक्ट्रियों में औजारों की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा के पूजन-अर्चन किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता, इसी कारण विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होने वाले औजारों, कल-कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है, विश्वकर्मा दिवस के दिन पूजा करने से घर और काम नें सुख समृद्धि आती है, इस दिन सबसे पहले कामकाज में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को साफ करना चाहिए फिर स्नान करके भगवान विष्णु के साथ विश्वकर्मा जी की प्रतिमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए, ऋतुफल, मिष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत का भोग लगाएं, धूप-दीप आदि जलाकर दोनों देवताओं की पूजा करें। विश्वकर्मा भगवान के जन्म की  कथा : भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं- वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा को धरती पर उत्पन्न किया था, वहीं विश्वकर्मा पुुराण के अनुसार आदि देव नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की, भगवान विश

पितृ विसर्जन अमावस्या का महत्व

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          पितृ विसर्जन अमावस्या पितृ विसर्जन अमावस्या हिंदुओं का धार्मिक कार्यक्रम है जिसे प्रत्येक घर में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन हिंदुओं में अपने पूर्वजों जिन्हें पितर कहते हैं की मृत्यु के पश्चात् उनके उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। सनातन धर्म में अपने से बड़ों के प्रति आदर व श्रद्धा का भाव रखा जाता है। आयोजन की तिथि-: यह पर्व आश्विन मास की अमावस्या को मनाया जाता है जिसे हम पितृविसर्जन, सर्वपैत्री अमावस्या या महालया समाप्ति भी कहते हैं। महत्व-: पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध व तर्पण प्रेम से करता है पितृगण उसके कल्याण की कामना करते हुए आशीर्वाद देते हैं। पितृ विसर्जन के दिन धरती पर आए हुए पितरों की विदाई की जाती है। आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" के अनुसार अगर पूरे पितृ पक्ष में पितरों को याद न किया गया हो तो अमावस्या को उन्हें याद करके श्राद्ध, तर्पण, भोजन, दान करने से पितरों को शांति मिलती है। अमावस्या को जन्म लेने वाले पूर्वजों का श्राद्ध या तर्पण किया जाता है। जिन

भौम प्रदोष व्रत करने वाले लोग शीघ्र होंते हैं ऋण मुक्त

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भौम प्रदोष व्रत करने वाले लोग शीघ्र होंते हैं ऋण मुक्त... भौम प्रदोष व्रत- आज 15 सितम्बर 2020 दिन मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है। कहते हैं कि भौम प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय"ध्रुव जी" के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।  मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। शुभ मुहूर्त- पूजा का शुभ मुहूर्त –15 सितम्बर 2020 मंगलवार सायं 06:26 से 07:36 तक   भौम प्रदोष व्रत : जब मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि का योग बनता है तब यह व्रत रखा जाता है। चूंकि मंगल का एक अन्य नाम भौम भी है अत: इसे भौम प्रदोष भी कहा जाता है। यह व्रत हर तरह के कर्ज से छुटकारा  दिलाता है। कभी कभी कर्ज/ऋण लेने के बाद उसे चुकाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, अत: कर्ज की समस्या दूर करने के लिए भौम प्रदोष व्रत लाभदायी सिद्ध हो

सुहागिनों ने रखा तीज का व्रत, किया पूजा व भजन-कीर्तन

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सोनभद्र  : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को कल सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिये 24 घंटे निर्जला हरितालिका तीज का व्रत किया तथा शिव मंदिरों में विधिवत पूजा अर्चना किया तथा तीज की कथा सुनी व ढोलक के थाप पर लोकगीत, भजन-कीर्तन गाया। इस अवसर पर व्रती महिलाओं ने भगवान शिव- पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के फल- फूल और व्यंजन चढ़ाकर दुग्धाभिषेक किया। जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज सहित संपूर्ण जनपद में व्रती महिलाओं ने अपने घर पर सर्वप्रथम भगवान शिव- पार्वती की पूजा- पाठ कर मंदिरों में जाकर उनकी पूजा अर्चना कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।‌ तथा इस अवसर पर घरों में अथवा सामूहिक रूप से तीज व्रत संबंधी कथाएं भी व्रती महिलाओं ने सुना। हरितालिका तीज व्रत की कथा  आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" ने बताया कि पुराणों में हरितालिका तीज व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है कि- "एक बार कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिवजी से माता पार्वती जी ने पूछा कि मैंने किस पुण्य से आपको प्राप्त किया है, इस प्रश्न पर शिवजी ने बताया कि सुंदर ह

शुक्रवार को होगी हरतालिका तीज, जानें मुहुर्त, विधि और पूजा के नियम

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हरतालिका तीज व्रत  कल दिनांक 21 अगस्त 2020 शुक्रवार को मनाया जाएगा। हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को होता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ भगवान गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। इस व्रत से जुड़ी एक खास मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन अनुरूप वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय"ध्रुव जी" के अनुसार सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवा