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सुधीर श्रीवास्तव द्वारा रचित गणेश वंदना

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सुधीर श्रीवास्तव द्वारा रचित गणेश वंदना  हे विघ्नहर्ता !  हे गणपति गणपति गणेश हे संकटहर्ता हे विघ्नहर्ता हे विघ्न विनाशक गणपति बप्पा अब आप आ ही गये हो तो हमारा भी कल्याण करो हार रहा है अब प्राणी हे लम्बोदर कुछ तो ख्याल करो हे एकदंत हे सिद्ध विनायक जन जन का अब उद्धार करो हे रिद्धि सिद्धि के दाता अब नहीं सूझता मार्ग कोई हे गणाधीश हे शिव सपूत अब तुमको ही कुछ करना होगा, कोरोना के संकट को अब हे शक्ति पुत्र हरना होगा। अक्षत चंदन रोली पुष्पों संग हाथ जोड़ हम विनय करें, अपने बच्चों के  खातिर बप्पा प्रभु तुम्हरे मूसल की मार से ही अब कोरोना को मरना होगा। - सुधीर श्रीवास्तव        गोण्डा, उ.प्र.     

सुदर्शन शर्मा जी द्वारा गणेश चतुर्थी पर लिखी रचना - गणेश वंदना

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सुदर्शन शर्मा जी द्वारा गणेश चतुर्थी पर लिखी रचना - गणेश वंदना         (गणेश वंदना) हे गज आनन, सुख के चानन बिनती करूँ कर जोड़!  दुविधा हर लो, हे दुख हर्ता विघ्नों का मुख मोड़!  रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता शुभ और लाभ के तुम्हीं प्रदाता गौरी नंदन, निधी ईश्वरम एकाकी नहिं छोड़!  मंगलमूर्ति, हे प्रथमेश्वर हे क्षेमांकर, हे पीताम्बर धूप, दीप नैवेद्य लिये हूँ अब तो नाता जोड़!!  लेखिका- सुदर्शन शर्मा अनुज्ञा सदस्य, डॉ सत्या होप टॉक, नई दिल्ली

आइये पढ़ते हैं उमा शर्मा ''उमंग" द्वारा गणेश चतुर्थी पर लिखी कविता

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आइये पढ़ते हैं उमा शर्मा ''उमंग" द्वारा गणेश चतुर्थी पर लिखी कविता (गणपति  वंदना) हे सुबुद्धि के दाता स्वामी, मंगल मूर्ति मोरया। आन विराजो घर में हमारे गणपति बप्पा  मोरया।  जीवन के सारे काज हमारे, शुभ होते हैं तुमसे। धर कर अपना वरद हस्त, और खुशियाँ  देते मन से। शैल सुता के सुत नंदन, तुम आन  पधारो मोरया। आन विराजो घर में-- गजराज, गजानन  कहलाते, देवों के देव कहाते हो। हर शुभ काम में सबसे, पहले पूजे   जाते हो। विघ्नहर्ता, पालन कर्ता स्वामी, लम्बोदर हे मोरया। आन विराजो घर में-- हर बरस ही तुम आते हो, आ कर के चले जाते हो। भक्तों के दुख को हर लेते, खुशियाँ हजार दे जाते हो। मन में तो रहते हरदम साथ, करते उद्धार तुम मोरया। आन विराजो घर में हमारे, गणपति बप्पा मोरया। हे  सुबुद्धि के दाता  स्वामी, मंगल मूर्ति मोरया।                    लेखिका- उमा शर्मा ''उमंग" अनुज्ञा सदस्य, डॉ सत्या होप टॉक                          झाँसी, उo प्रo