पिता
पिता रात ना हो तो दिन का महत्व नहीं होता, हार ना हो तो जीत का मजा नहीं होता, संघर्ष वाली जिंदगी में कोई स्वाद नहीं होता, पिता के बिना जीवन , जीवन नहीं होता l हर मोड़ पर उंगली थामे नजर आता है, कंधे पर जिम्मेदारियों का बोझ चुपचाप उठाता है, सहता है बच्चों के ताने फिर भी प्रेम लुटाता है, जीवन में पिता का प्रेम कभी समझ नहीं आता है l कोई लड़का लड़की में फर्क नहीं होता है, पिता के मन में प्यार का बंटवारा नहीं होता है, जहां भी जीवन जगमगाया है, वहां पिता भी मन्नतें मांगते नजर आया है l जिनके होने से मैं खुद को मुकम्मल मानती हूं, मैं खुदा से पहले अपने पिता को जानती हूं, पिता से बड़ा कोई उपहार नहीं होता, पिता के बिना घर परिवार नहीं होता l नींद अपनी भुलाकर सुलाया सबको, जीवन की हर खुशी से मिलाया हमको, दर्द कभी ना देना उनको, खुदा ने पिता बनाया जिनको l रचनाकार- प्रिया जैन, कटक, उड़ीसा