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कविता - कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब!

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एक गरीब अपने मालिक से क्या कहता है? आइये इस कविता के माध्यम से समझने का प्रयास करें।  (कविता)  कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब!   हम सबकी सुनते हैं, कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब। हम भी परिवार वाले हैं, दो वक्त की रोटी चाहिए जनाब।  सुना था आप बड़े दयालु हैं जनाब, मुझ पर भी एक बार रहम कर दीजिये जनाब।  बरसो से सेवा की है आपकी, एक बार मुझ पर भी तरस खाइए जनाब।  आप बड़े अमीर हैं,   कुछ गरीबों को भी दान कर दीजिये जनाब।  एक दिन महल छोड़ झोपड़ी में आइये जनाब। हम सबकी सुनते हैं, कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब। हम भी परिवार वाले हैं, दो वक्त की रोटी चाहिए जनाब।  - गौतम विश्वकर्मा (प्रधानाचार्य) शिवा एकेडमी, सुकृत- सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) फोटो साभार- गूगल

समीक्षक दृष्टि-अनुभूतियों के स्वर : भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार कर रहे हैं, वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय, #सत्याहाॅपटॉक्सपोर्टल से

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समीक्षक दृष्टि-अनुभूतियों के स्वर : भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार कर रहे हैं, वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय, #सत्याहाॅपटॉक्सपोर्टल से वाराणसी :          भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय जी द्वारा, भिक्षावृत्ति से स्थापित, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की  स्थापना की गई थी। यह अविवादित सत्य है और अब इस सत्य के साथ एक और सत्य भी, इसी के अभिन्न अंग के रूप में जुड़ गया है, वैज्ञानिक -लेखक -कवि- साहित्यकार डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय का, कवि के साथ काफ़ी@डाक्टर सत्य प्रकाश काशी हिंदू विश्वविद्यालय और दिन रात,अपने अथक परिश्रम से, इसे वे बड़े मनोयोग से,सोल्लास संचालित कर रहे हैं। *"शिक्षादान  ही महादान है"। यह उनका उद्घोष है।इसमें सुधिजनों को जोड़ने का लगातार वे प्रयास कर रहे हैं और "शब्द से सृजन" जैसा सुंदर नाम देकर, अपने विभिन्न चैनलों- #कविकेसाथक़ाॅफी, #मीट5, #हमारीबातडाॅसत्याकेेसाथ आदि द्वारा, गहरे चिंतन- मनन से, हृदय रूपी महासागर में डुबकी लगाते हैं,उसकी तलहटी तक जाते हैं और चुन- चुनकर शब्दों के मोती ले आते हैं। अभी तक, चा

सनातन धर्म साहित्य प्रकोष्ठ ने किया पदाधिकारियों का मनोनयन

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सनातन धर्म साहित्य प्रकोष्ठ ने किया पदाधिकारियों का मनोनयन  भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध एवं युवाओं को उचित मार्गदर्शन के लिए कार्य कर रही पंजीकृत संस्था सनातन धर्म साहित्य प्रकोष्ठ की आभासी बैठक वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती अर्चना श्रेया की अध्यक्षता में एवं मुख्य अतिथि /संस्थापक आचार्य कन्हैया प्रसाद नौटियाल के सानिध्य में नव पदाधिकारियों के मनोनयन हेतु 20.11.2022 को आयोजित की गई।  कार्यक्रम में संस्थापक की अनुमति और अध्यक्षा के निर्देश पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्था के राष्ट्रीय महासचिव श्री सुधीर श्रीवास्तव ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को ससम्मान मनोनयन पदभार सौंपा तथा अपने अपने पदों पर यथाशक्ति अपने दायित्वों के निर्वहन की अपील की।  कार्यक्रम का संचालन जानी-मानी कवियित्री श्रीमती प्रतिभा सिंह ने बहुत ही सुंदर ढंग से किया। आज के इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कानपुर नगर के शिक्षक एवं साहित्यकार श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव को राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, शिक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार महेश चंद्र शर्मा को राष्ट्रीय संगठन सचिव, मध्य प्रदेश के साहित्यकार, सतीश

डिजिटल इंडिया

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डिजिटल इंडिया - आधुनिक  तकनीक  डिजिटल   इंडिया,  देश विकास हेतु सुंदर, उपयोगी अभियान।  शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, बैंकिंग क्षेत्र  में,  अनेक   समस्यायों  का  सुंदर  समाधान।  अमूल्य  समय  की   खूब  बचत  हो रही,  बचत  हो  रही प्रतिदिन सभी के धन की।  देश आज विकसित  तीव्र गति से हो रहा,  आकांक्षा पूर्ण  हो  रही  सभी के मन की।  भ्रष्टाचार रोकथाम हेतु अति उपयोगी यह,  अतिदुरुह कार्य भी अब बने बड़े आसान।  हर शहर, नगर सब गाँव-गाँव लाभान्वित,  यह अनगिनत  समस्याओं  का समाधान।  आज  विज्ञान  और तकनीक  के  क्षेत्र  में,  भारत  खड़ा   होना  चाहता  सबसे  आगे।  उत्तम शिक्षा, स्वास्थ्य हर किसी को  मिले,  ताकि अज्ञानता  मिटे, अशिक्षा जल्द भागे।  रचनाकार-  चद्रकांत पांडेय, मुंबई / महाराष्ट्र

दूरदर्शन पर कल प्रसारित होगी दुद्धी के सेनानियों की गौरव गाथा

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दूरदर्शन पर कल प्रसारित होगी दुद्धी के सेनानियों की गौरव गाथा - दूरदर्शन के डीडी यूपी पर 10:30 रात्रि सेनानियों की गौरव गाथा होगा पहली बार प्रसारण। -इतिहासकार दीपक केसरवानी के नेतृत्व में बनी यह टेलीफिल्म। -पहली बार दुद्धी क्षेत्र की स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े स्थलों की झलक दिखेगी। सोनभद्र :  आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत अंग्रेजों द्वारा निर्मित बफर स्टेट दुद्धि के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, स्वतंत्रा आंदोलन, स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हुए स्थलों पर पहली बार वाराणसी दूरदर्शन केंद्र द्वारा निर्मित टेली फिल्म का प्रसारण दूरदर्शन के डीडी यूपी चैनल पर रात्रि 10:30 बजे प्रसारित होगा।   उपरोक्त आशय की जानकारी फिल्म यूनिट मे शामिल इतिहासकार/संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा नामित सदस्य दीपक कुमार केसरवानी देते हुए बताया कि-"इस फिल्म में 1857 से लेकर 1947 तक दुद्धी क्षेत्र में हुए आंदोलन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, स्वतंत्रता आंदोलन के समय के स्थलों को प्रदर्शित किया गया है।  जनपद सोनभद्र के तहसील  दुद्धी का इतिहास एवं  सोनभद्र जनपद की दुद्धी क्षेत्र से स्

चलती बस से दो छात्राओं ने लगाई छलांग, कारण जानकर आप भी हो जाएँगे हैरान...

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चलती बस से दो  छात्राओं ने लगाई छलांग, कारण जानकर आप भी हो जाएँगे हैरान... - कालेज आते समय बस खाली देखकर अनहोनी की आशंका से छात्राओं ने उठाया ऐसा कदम दुद्धी, सोनभद्र : ( विशाल मौर्य की रिपोर्ट)  घटना जनपद सोनभद्र की है। बता दें कि दुद्धी-विंढमगंज मार्ग पर डॉ श्यामा प्रसाद कनहर पूल के निकट दो छात्राएं किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर आज दिनांक 18 नवंबर 2022 दिन शुक्रवार को 11 बजे दिन में  एक चलती निजी बस से कूद गई।  प्राप्त जानकारी के अनुसार भाउराव देवरस राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्नातक द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत क्षेत्र के महुअरिया, फुलवार निवासी सुनीता यादव 18 वर्ष पुत्री रामदास यादव व रंजू यादव 17 वर्ष पुत्री दिनेश यादव निवासी सुई चट्टान जो प्रतिदिन की भांति कॉलेज जाने के लिए फुलवार गोपाल होटल के पास खड़ी थी। विंढमगंज की तरफ से आ रही एक निजी बस को हाथ देने पर बस रुक गई और  वह दोनों छात्राएं उसमें सवार हो गई।  बस में कोई यात्री न देख छात्राओं को इस रूट की बस न लग कर बाहरी बस होने की  शंका हुई। आगे महुली बस स्टैंड पर भी बस के न रुकने व सवारी न लेने पर छा

हठ करता भक्त

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हठ करता भक्त  तेरी ही प्यास इस जगत मे है प्रभु  मिलन की आस इस नैनन में  जैसे जल बिन मछली तड़पे वैसे ही तेरे दर्शन को आत्मा तरसत है प्रभु ।।  कब तक मेरी बिगड़ी बनाओगे  कभी तो अपने पास बुलाओ प्रभु कब तक इस मोह माया के रस्सी से बंधे रहूँ। कभी तो दर्श दे जाओ प्रभु ।। स्वप्न मे खूब निहारती हूँ आपको  कभी हकीकत मे तो सामने आओ प्रभु ।। मन उदास,  अब नही इस तन मे जान,निर्मोही इस जगत से मैं  तेरे चरणों की धूरि माथे लगाऊँ प्रभु ।। दिया सब कुछ तुने,अब सब तुझे  लौटाऊँ प्रभू मैं तेरे पास आना चाहूँ प्रभु ।। हाथ जोड़कर  करूँ प्रार्थना सुन ले विनती मेरी, धीरे-धीरे इस शरीर से निकल रही है अब जान मोरी ।। रह-रहकर तरसी है ये अँखिया खूब, अबकी बार दर्श ना दियो तो भेज दियो पाताल मोहि ।। ना स्वर्ग, ना नरक की इच्छा मोहे ना सुख, दुख की आस, तेरी भक्ति मे काटूँ बची जीवन सारी यही एक अरदास ।। - श्रीमती निर्मला सिन्हा (स्वतंत्र लेखिका) ग्राम जामरी डोंगरगढ छत्तीसगढ से एक सोशल वर्कर

सर्दी का आगमन

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सर्दी का आगमन  सर्दी  का   हो  चुका  आगमन,  मौसम  अब   बदला -  बदला।  खुशनुमा   सी   धूप   हो  चली,  बंद   हुआ   गर्मी   का  हमला।  शरद  ऋतु   में  बड़े  ही  प्यारे,  त्योहार    आ   गए  मनभावन।  तिल, गुण    का   सेवन  करें,  कुंभ   मेला   में   करे  नहावन।  गर्म    कपड़ों   से   लदा  शरीर,  स्वेटर, कंबल, ऊनी  मफलर।  सुबह,   शाम  अलाव   तापते,  ठंड    हो     जाती    छू   मंतर।  शीत  अब   हवा  में    घुल  गई,  धूप      लगे       अति     प्यारी।  तरह - तरह की ताजी सब्जियां,  इस     ऋतु    की      बलिहारी।  बच्चों     और    जवानों     पर,  सर्दी      करे     थोड़ी     रहम।  बूढ़े     और      बीमार    सभी,  परेशान     रहते     हर     दम।  सुंदर  यह  मौसम   सभी   हेतु,  हर    व्यस्था  जिसकी  अच्छी।  लक्ष्मी  जी    की  कृपा   विशेष,  बात  यह  सौ   प्रतिशत  सच्ची।  रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय, मुंबई / महाराष्ट्र

कथनी और करनी

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कथनी और करनी  कथनी   मात्र   एक   प्रस्ताव  ,  करनी   कार्य  का  मूर्त  रूप  ।  जग  महत्व करनी  को  देता  ,  कथनी केवल  शीत की  धूप  ।  मान सम्मान उसका बढ़ जाता,  जिसकी  कथनी  करनी  एक ।  सदा    प्रशंसा   उनकी   होती ,  कर्म ही  जिनका मात्र विवेक  ।  जिनकी  केवल  सुंदर  कथनी  ,  कभी   ना   बन   पाए  नायक  ।  ऐसे  लोग  ना  कभी  आदरित  ,  नाम   रहा  केवल  खलनायक  ।  करनी   जिनकी   अति   सुंदर  ,  लिखा  जाता उनका  इतिहास  ।  लोकप्रियता सदा उनकी बढती  ,  स्तुत्य  बन जाता  सदा  प्रयास  ।  करनी   जिनका   बना   उद्देश्य  ,  कथनी    नहीं    कभी   जरूरी  ।  करनी   पर   ही   रखो   भरोसा  ,  कथनी    तो    केवल   मज़बूरी  ।  करनी  पर   ही    रखो  विश्वास  ,  करनी   सफलता   का  है  मूल  ।  करनी पर ही  टिकी  कामयाबी  ,  कथनी     जैसे     चुभती   शूल  ।  - चंद्रकांत पांडेय,  मुंबई, महाराष्ट्र

देव दीपावली

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देव दीपावली देव दीपावली हर वर्ष  कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती। स्वर्ग में इसे  देव मनाते, धरा पर काशी मे होती। शिव ने आज के ही दिन, वध किया था त्रिपुरासुर का, जिसने आतंक फैलाया था, उसने ब्रह्मा से वर पाया था। शिव ने त्रिपुरासुर का वध करके, देवताओं को सुख पहुंचाया, सभी देव खुशियां मनाने को अनगिनत है दीप जलाया । स्वर्ग से देव धरती पर उतरे, काशी में इस धरा पर आए, गंगा तीर में दीप जलाकर, दीपदान की परंपरा चलाएं। आज के दिन पवित्र नदी में, स्नान करके दीपदान किया जाता, समृद्धि हेतु लक्ष्मी का पूजन, करके दान पुण्य किया जाता। आज के ही दिन विष्णु ने मत्स्य रूप धारण किया धरती की रक्षा करने हेतु बाद में भिन्न अवतार लिया। - प्रभा दुबे, रीवा, मध्य प्रदेश   --------------------------------

शिशु शिक्षा (शैल सुता छंद)

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शिशु शिक्षा (शैल सुता छंद)   नलिन सिता समता  रख के गुरु, मानक रूप रहें मन में।    प्रमुदित भाव रहें शिशु  प्रेरित,  बुद्धि  जगे अपनेपन   में।    बचपन भूख  जगे प्रिय  ज्ञानद,  शिल्प रचे उँगली    शुभदा।   परिधि  प्रभा  बनते सह  धीरज, देकर विज्ञ रहें सुुखदा।    शिशु समुदाय रहें  स्तर भास्कर, विश्व सु-पूजित हो गरिमा।     रुचिर पुरा भुवि ग्राम सु-कौशल, सीख बनें जन धी महिमा।     जनपद सर्व रहें  शिशु उन्नत, त्याग  समत्व  क्षमा  सविता।     प्रतिनिधि हिन्द रखें जग शोधित, पुण्य प्रतीक रहें अजिता।       { सिता= कमल सविता =सूर्य, विज्ञ= विद्वान  भुवि= स्वर्ग}  - मीरा भारती   पटना, बिहार।

श्रद्धा

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श्रद्धा -  अटूट  श्रद्धा   हो  ईश्वर  के प्रति  ,  जिसने     जीवन   उधार   दिया ।  परम   पिता  परमात्मा   जी  ने  ,  बहुत     बड़ा    उपकार  किया  ।  पूर्ण  श्रद्धा  माता पिता  के  प्रति  ,  उन्हीं   की   देन   जीवन  अपना ।  संसार   मिला   घर -द्वार   मिला  , पूर्ण    हुआ    हर   सुंदर   सपना ।  श्रद्धा  हमारी श्री  गुरुवर के  प्रति  ,  जिन्होंने   अज्ञान   विनाश  किया ।  अंधकार     को    दूर     फेंककर  ,  सद्गुणों     का    विकास   किया ।  श्रद्धा   अपनी    हो  मातृभूमि  से  ,  जिस  पर   जीवन  निर्वाह  किया ।  कण  - कण  श्रद्धा   से  शीश चढ़े  ,  जिस    मिट्टी   ने   आबाद  किया  ।  श्रद्धा    के    दीप  समर्पित  आज  ,  अंधियारा     दूर      भगाने     को  ।  अपनी    श्रद्धा     अर्पित    उनको  ,  तत्पर मातृभूमि पर शीश चढ़ाने को।  - चंद्रकांत पांडेय, मुंबई / महाराष्ट्र, 

19-20 नवम्बर को अयोध्या में होगा 'जन रामायण काव्यार्चन', भाग लेंगी जयपुर की कवयित्री सुखमिला अग्रवाल भूमिजा जी

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19-20 नवम्बर को अयोध्या में होगा 'जन रामायण काव्यार्चन', भाग लेंगी जयपुर की कवयित्री सुखमिला अग्रवाल भूमिजा जी  अयोध्या :  देश विदेश के साहित्यकारों का लगेगा महाकुंभ, पूर्व संध्या पर 18 नवम्बर को जन कल्याण हेतु दीपदान। अंतरराष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति संगम साहित्योदय के बैनर तले अयोध्या में आगामी 19-20 नवम्बर को श्री राम लला अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव *जन रामायण काव्यार्चन* का आयोजन किया जाएगा। आयोजन की पूर्व संध्या पर सभी रचनाकार राम की पैड़ी में दीपदान कर आयोजन की सफलता और जन कल्याण हेतु कामना करेंगे। अयोध्या के जानकी महल में आयोजित जन रामायण उत्सव में दुनियाभर के कवि, लेखक, साहित्यकार और कलाकारों का विशाल जमावड़ा लगेगा। इस मौके पर विश्व के सबसे अनूठे साझा महाकाव्य *जन रामायण* सहित कई पुस्तकों का भव्य विमोचन, कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी, सम्मान समारोह और साहित्यिक पर्यटन होगा। दो दिवसीय साहित्य समागम में देश के कई लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और कलाकार शामिल होंगे। जन रामायण महोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में प्रभु श्रीराम को स्थापित किया जाएगा जबकि अन्य सभी विशिष्ट अत

आइये पढ़ते हैं जय प्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखी गज़ल

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गज़ल कुछ सोच समझ फिर वार कर; तू  नाहक  ना  तकरार  कर। मौन साधना  में रत  हैं  हम;  अब इतना तो  स्वीकर कर। दीवार गिराना नहीं है मुश्किल;  बस  सीधा - सच्चा  प्यार कर। अभी- अभी तो मुखर हुए हो;  कुछ वाणी पर अधिकार कर।  कपट-कामनाओं में रत रहकर; अपना जीवन मत दुश्वार  कर। मन की व्यथा सब मिट जायेगी;  सब  झंकृत  मन  के  तार  कर।   अन्तर्मन   को  कर  ले   रोशन;  'जय' जीवन - बेड़ा  पार  कर।     - जय प्रकाश शर्मा        नागपुर, महाराष्ट्र

स्मृतियों के झरोखे से

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स्मृतियों के झरोखे से  स्मृतियों के झरोखे से  जब ख्याल तुम्हारा आया, आंखें भीगी दिल रोया  वह पल में ना भुला पायी वदन की मधुर वो खुशबू, मुस्कान भरा वह चेहरा, जिसमें शांति घुली रहती, वो पल मैं ना भुला पायी।    माना कि दूर सभी जाते, फिर क्या वापिस नही आते, एक साथ देखे जो सपने, वह पल मैं ना भुला पायी। खट्टी मीठी वो बातें, संग  डूबते सूरज को देखते , मंद पवन से बातें करते, वह पल में ना भुला पायी। जब भी यादें आ जाती, देहरी पार अंदर आ जाती, अंतर्मन को झकझोरती, वह पल मैं ना भुला पाई। तुम क्या मुझको भूल सके, दिल को तुम क्या समझा सके, स्मृतियों को दूर न कर पाई, वह पल में ना भुला पाई। - प्रभा दुबे, रीवा, मध्य प्रदेश    -----------------------------

मंज़िल

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मंज़िल अपनी ज़िंदगी में हर कोई एक न एक मंजिल की तलाश में अपने घर-बार को छोड़ कर  एक जगह से दूसरे जगह  और फ़िर तीसरे जगह  निरंतर सफ़र करता ही रहता है,  किसी-किसी को तो उसका  मंजिल मिल जाता है और कोई  उम्र भर भटकता रहता है।  इसका मतलब ये नहीं कि  वो अपना परिवार, गाँव, मोहल्ला,  शहर या फ़िर देश भूल जाता है उसे तो अपनी हर उस चीज  से लगाव होता है जिसकी छाँव में वो पला बढ़ा हो।  आज मैं भी एक बार फिर  ज़िंदगी के इस सफ़र में कई  स्टेशनों को क्रॉस करने के बाद  अपनों के बीच में  पहुँचने का सफ़र कर रहा हूँ,  इस सफ़र में भी सकुशल  मंजिल तक पहुँचने की उम्मीद है।  - शेख रहमत अली "बस्तवी" बस्ती (उ. प्र.) 

प्रेम सुमंगल-धाम

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प्रेम सुमंगल-धाम       प्रेम बनाता हर तरह, जीवन को सम्पन्न । मित्र शांति उत्कर्ष से, रहता नहीं विपन्न।। प्रेम मिटाता दूरियाँ, मन के कलुषित भाव । जोड़े रहता डालकर, शुचि अपनत्व -प्रभाव ।। प्रेम पूर्वक ही सभी, रहते हैं जब साथ । सब कामों में अग्र आ, मुदित बँटाते हाथ ।। प्रेम-आपसी मदद से, खुलते उन्नति -द्वार । चढ़ता प्रगति - पहाड़ पर, यह समाज -संसार।। सज्जनता का वंशधर, प्रेम श्रेष्ठ उपहार। लेते -देते ही रहें, हर जन यामिनि-वार ।। मानवता के मूल्य जो, प्रेम उन्हीं में एक । इसके आगे छल-कपट, घुटने देते टेक ।। अगर जीतना चाहते, जीवन का संग्राम। "निशिहर" सबसे कीजिए, प्रेम सुमंगल-धाम।।      रचनाकार- आचार्य सूर्य प्रसाद शर्मा "निशिहर" कृष्णा नगर, रायबरेली (उ.प्र.)

कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छ०ग० के अध्यक्ष राम रतन श्रीवास "राधे राधे" कालीदास साहित्य सम्मान से सम्मानित हुए

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कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छ०ग० के अध्यक्ष राम रतन श्रीवास "राधे राधे" कालीदास साहित्य सम्मान से सम्मानित हुए महाकाल की नगरी उज्जैन भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख ज्योतिर्लिंग धार्मिक, पौराणिक एवं संस्कृति को समेटे हुए उज्जैन साहित्य महोत्सव का भव्य कार्यक्रम पूर्णोदय साहित्यिक संस्था लहरपुर सीतापुर उत्तर प्रदेश के तत्वधान में 30 अक्टूबर 2022, दिन रविवार को उज्जैन के प्रतिष्ठित श्री उपनिषद आश्रम गऊ घाट निकट जंतर मंतर उज्जैन में हर्षोल्लास के साथ राज कलानवी और पूनम देवी राज की अध्यक्षता एवं आश्रम के मठाधीश स्वामी बीतरांगानंद के सानिध्य में कार्यक्रम आयोजन किया गया।  इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए हुए साहित्यकारों के साथ में छत्तीसगढ़ बिलासपुर से राम रतन श्रीवास "राधे राधे" , प्रिति शुक्ला आदि साहित्यिकारों को "कालिदास साहित्य सम्मान" से सम्मानित किया गया । आपको बता दें "राधे राधे" कई राष्ट्रीय साहित्य मंचों से सम्मानित हो चुके हैं। साहित्य शौर्य सम्मान ,कोरबा मितान सम्मान,  श्री राम सम्मान,