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ज्योत्सना सिंह द्वारा लिखी रचना- भारतीय नारी के लिए "तीजअखंड सौभाग्य" है।

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ज्योत्सना सिंह द्वारा लिखी रचना-  भारतीय नारी के लिए "तीज अखंड सौभाग्य" है।             (तीज गीत) भारतीय नारी के लिए "तीज अखंड सौभाग्य" है।  शिव को पाने की कठोर तपस्या का सुंदर "परिणाम" है। तीज मांग के "सिंदूर" है ,कंगन और महावर है, सज संवरकर ,कर सोलहों श्रृंगार,लगा मेंहदी। बन ठन कर चली, दुल्हन बन अपने प्यारे "पिया" की, करने पूजन गौरी-पार्वती, कैलाशी   औघरदानी "शिव" की। तीज स्नेह है, तीज प्रेम है, सुहाग की निशानी है, आशा और विश्वास की कहती अमर कहनी है। लेखिका- ज्योत्सना सिंह आगरा, उत्तर प्रदेश अनुज्ञा सदस्य  डॉ सत्या होप टॉक

ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' द्वारा लिखी रचना- भादों की तीज में शिव आते हैं मय परिवार

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ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' द्वारा लिखी रचना- भादों की तीज में शिव आते हैं मय परिवार   (तीज गीत) भादों की तीज में शिव आते हैं मय परिवार, जनमानस में मनता है तब तीज का त्योहार। हरि हरि चुनर ओढ़े नारियां खुद को सजाती हैं, लम्बी हो साजन की आयु शिव से यही मनाती हैं। शिव शिवा के पूजन का अनुपम है यह त्योहार, भादों की तीज में शिव आते हैं मय परिवार। भूखे प्यासे रहकर देखो सब भोले को मनाते हैं, सुंदर सुंदर  वस्त्रों से अपने भोले को सजाते हैं, भोले बाबा हर पल सुनते अपने प्यारे  भक्तों  की पुकार, भादों की तीज में शिव आते हैं मय परिवार।। भादों की तीज में शिव आते हैं मय परिवार, जनमानस में मनता है तब तीज का त्योहार। लेखक-  ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' तिलसहरी, कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश खबरों व विज्ञापन के लिए संपर्क करें, 9935694130

डॉ अरुणा पाठक 'आभा' द्वारा लिखी रचना - हरियाली पावन तीज है आज देखो आई

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डॉ अरुणा पाठक 'आभा' द्वारा लिखी रचना - हरियाली पावन तीज है आज देखो आई हरियाली तीज हरियाली पावन तीज है आज देखो आई सबके मन को कैसी हरियाली लाइ मेहंदी काजल बिछुआ महावर बिंदिया गजरा देखो गोरी के सिंगार में आज लगे हैं न्यारा कैसे ये सबको सुहाई कितना मनभावन कितना पावन तीज अनोखी छाई सज धज कर सब नारी अनुपम सुहाई भूखे प्यासे की सभी सुध भूल गई है प्रेम में कृष्ण की गोपियां बनके सबको दिखाई शंकर जी के पार्वती जी ने विधि विधान से पाई अपने शंकर जी के लिए हर गोरा ने आज धूनी रमाई सब कुछ भूल कर देखो कितने हैं पकवान बनाए पूजा करने को है आतुर पति की उम्र बढ़ाई नवयोवना के श्रृंगार से चारों ओर मधुरता छाई देखो देखो आज सारी सृष्टि में नई हलचल मचाई मन में है सबके विश्वास जीत लेंगी पति का सुहाग सुबह सुबह से नदी तालाबों में नहा शंकर को मनाई, शाम होते होते विश्वास पक्का हो रहा है प्रतिपल प्रतिक्षण समय को हरा अनुभव नया हो रहा है करेंगी पूजा विधि विधान से शंकर पार्वती और पूरे परिवार को मनाएंगे अपने पति के लिए सच्चे मन से सुहाग सजाएंगे तरह-तरह के पकवान विधि विधान से बनाएंगी फल फूल नै

तीज गीत- होए सजना की लंबी उमरिया : सरिता सिंह

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तीज गीत- होए सजना की लंबी उमरिया : सरिता सिंह      (तीज व्रत) हे तीज मैया देना आशीष मुझे। होए सजना की लंबी उमरिया। हे भोले बाबा देना आशीष मुझे। शुभतीज करते ही गुजरे उमरिया। अमर रहे ये सुहाग मेरा। मेरा सेनुरा को न लागे नजरिया। हे तीज मैया देना आशीष मुझे। होए सजना की लंबी उमरिया। लाऊं मैं सुहाग चूड़ी लाल- लाल बिंदिया। जाकर गोरखपुर मैं बजरिया। हे तीज मैया देना आशीष मुझे। होए सजना की लंबी उमरिया। हलवा पूरी लड्डू बनाऊं और ढेरों मिठईयां। हे तीज मैया देना आशीष मुझे। बाटू मैं तो घर-घर नगरिया। हे तीज मैया देना आशीष मुझे। होए सजना की लंबी उमरिया। हे भोले बाबा देना आशीष मुझे। शुभतीज  करते ही गुजरे उमरिया । लेखिका- सरिता सिंह  गोरखपुर, उत्तर प्रदेश  खबरों व विज्ञापन के लिए संपर्क करें- 9935694130

सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना - तीज गीत

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सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना   (तीज गीत) हे आदिदेव! भोले भंडारी। व्रत करती भारतीय नारी। अक्षय सुहाग की कामना,  रहती निर्जला व निराहारी । हरतालिका का पर्व विशेष। लेशमात्र न रहे शंका शेष। भक्त वत्सल परमेश्वर भी, लेते परीक्षा बदल कर भेष। चौक चंदन से सजाएं आँगन। अति सुंदर अवसर यह पावन। शिव पार्वती का करके वंदन, माँगे अखंड सुहागमय जीवन। सखियों संग झूला हैं झूलती। चँद पलों को पीड़ा है भूलती। मेहंदी का चटख रंग देखकर,  मन ही मन में खुशी से फूलती। लोग गीत कजरी मल्हार गाते। प्रिय पर्व को उत्साह से मनाते। प्यारी बेटियाँ अपने घर आतीं ,  पीहर वाले शुभाशीष बरसाते।। लेखिका- सीमा वर्णिका  कानपुर, उत्तर प्रदेश

मुखड़ें पर रेशमी रूआब आ गया : अनूप कुमार श्रीवास्तव

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मुखड़ें पर रेशमी रूआब आ गया :  अनूप कुमार श्रीवास्तव  (तीज गीत) हाथ पांवो है उनकें मेहंदी से रचें मुखड़ें पर रेशमी रूआब आ गया ।1 अलकें पलकों  तले है नई रौशनीं  पुराना शहर आज फिर सज गया।2 व्रत उपवास पूजा है सब मेरे लिए  बंद  टीवी  हुई मोबाइल छूट गया।3 तीज की तर्ज को मधुमास गा रहीं  चांद को देखनें यहां चांद आ गया।4  हर तरफ देखिए तो हरियालीं कहीं   पत्तें वृक्षों में फूल कलियों में  उमंग।5 रिमझिम सावन का मन  गुलाबीं हुआ  उनके दर्पण में  सौ निखार आ गया।6  लेखक- अनूप कुमार श्रीवास्तव     कानपुर, उत्तर प्रदेश  खबरों व विज्ञापन के लिए संपर्क करें- 9935694130

तीज का त्यौहार लाया खुशियाँ अपार : निर्मला सिंहा

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तीज का त्यौहार लाया खुशियाँ अपार : निर्मला सिंहा  हरतालिका तीज  तीज का त्यौहार लाया खुशियाँ अपार,  मायके का दुलार, ससुराल का श्रृंगार  तीज का त्यौहार लाया खुशियाँ अपार।  रखूँ निर्जला व्रत आशीष माँगू गौरी शंकर से अखंड सौभाग्य की। करूँ सोलह श्रृंगार,  मेहंदी लगाऊँ पिया नाम की,  हाथों में भरी रहीं चूड़ियाँ,  छम-छम करें पायल,  पैरों में लगाऊँ लाल-लाल आल्ता,  रहे सब अखंड सौभाग्य ऐसा आशीष माँगू। उसके चेहरे पर कांति हमेशा  प्रकाशवान रहे। उज्जवल भविष्य, स्वस्थ और  निरोग रहें। घर के आँगन में झूला झूलूँ, पिया संग  रहें हमेंशा अचल सुहाग सबका। ऐसी आशीष और कामना से रखूँ  यह व्रत मैं। तीज का त्यौहार लाया खुशियाँ अपार,  सखियों संग मल्हार, सलामत रहे सबका प्यार  दिल से देते दुआयें बार-बार। लेखिका-  निर्मला सिन्हा, साहित्यकार, कवियत्री   डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़