मुखड़ें पर रेशमी रूआब आ गया : अनूप कुमार श्रीवास्तव

मुखड़ें पर रेशमी रूआब आ गया : 
अनूप कुमार श्रीवास्तव 


(तीज गीत)

हाथ पांवो है उनकें मेहंदी से रचें
मुखड़ें पर रेशमी रूआब आ गया ।1

अलकें पलकों  तले है नई रौशनीं 
पुराना शहर आज फिर सज गया।2

व्रत उपवास पूजा है सब मेरे लिए 
बंद  टीवी  हुई मोबाइल छूट गया।3

तीज की तर्ज को मधुमास गा रहीं
 चांद को देखनें यहां चांद आ गया।4

 हर तरफ देखिए तो हरियालीं कहीं 
 पत्तें वृक्षों में फूल कलियों में  उमंग।5

रिमझिम सावन का मन  गुलाबीं हुआ
 उनके दर्पण में  सौ निखार आ गया।6

 लेखक- अनूप कुमार श्रीवास्तव 
   कानपुर, उत्तर प्रदेश 
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