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नि:शुल्क मलेरिया जांच शिविर का हुआ आयोजन

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नि:शुल्क मलेरिया जांच शिविर का हुआ आयोजन ओबरा - सोनभद्र : (तहसील ब्यूरो चीफ अश्विनी कुमार ठाकुर की रिपोर्ट)                                         आज दिनांक 30 नवम्बर 2021 को ग्रामीण विकास विभाग रेनू सागर की मेडिकल टीम द्वारा कैम्प लगाकर ग्रामीणों का मलेरिया की जांच की गई तथा नि:शुल्क दवा का वितरण भी किया गया।  आपको बता दें कि कैम्प में कुल 65 मरीजों की नि:शुल्क मेलेरिया जांच कर निशुल्क दवा का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ सत्यप्रकाश एल.टी. टेक्नीशियन मुन्ना एलेग्जेंडर फार्मासिस्ट महेंद्र एवं रमेश तथा कार्यकर्ता ललिता उपस्थित रहीं।

आइये पढ़ते हैं अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल

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आइये पढ़ते हैं अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल                          गज़ल   उस मुहब्बत  से भरम  उठ जायेगा ,   जख्म अपने अगर हम दिखाने लगे।1  कोई सूरत कोई चेहरा अगर देखूँगा ,  खुआब में किसके हम लुभाने लगे।2 चाहतें दिल की भी यहां रूमानी है, रंग आंखों में भरे आएं मिलाने लगे।3  फिर सरकतीं है उम्मीदें  तन्हाई में ,  फिर कोई आके यही समझाने लगे।4 टूटता कितना है दर्पन सूरत ये लिए, आकर परछाई जो यहां सताने लगे।5 चदं शिकवों की शिकायत हो कैसीं, चंद लम्हों  में तबियत घबड़ानें लगे।6 ना सवालात  ना फरमाइशें अपनीं , पांव कांटो पे रख गुलाब उगाने लगे।7 -अनूप कुमार श्रीवास्तव   

सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना - सम्मान

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सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना - सम्मान                                        सम्मान  भले सम्मान न दीजिए । अनादर नहीं कीजिए । दंश हृदय में चुभ जाते, यह गाँठ बाँध लीजिए । मान पर जब आ जाती। चोट गहरी पहुँचाती ।  आहत मन होता व्यथित , वैमनस्य को  उपजाती। मन दर्द से जब रोता । प्रेम सद्भावना खोता । घावों पर नमक मलकर, संसार विषवृक्ष बोता । मन को खूब समझाना । धैर्य को भी अपनाना  । समय का तापमान पढ़,  उलझे रिश्ते सुलझाना ।। - सीमा वर्णिका 

आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना- मेरी मनसा

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आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना- मेरी मनसा  यह मेरी मनसा मात्र कल्पना नहीं । अटूट विश्वास भी सदा रहा कहीं । विपत्तियां आए भला कितनी भी, संभालता ईश्वर सब बिगड़ी वही । विपदाओं का पहाड़ होता  सामने । मन का धीरज तब लगता हारने । अंधेरे में रोशनी की किरण बन, प्रकट होता अदृश्य प्रभु थामने । सुख का वक्त बीत जाता पलों में । दुःख बैठ जाता भाल के बलों में । भरी भीड़ में अकेले हो जाते सब , आसक्त होता ध्यान मात्र फलों में । परमपिता परमेश्वर की संतति सब । बच्चों की पीड़ा पर प्रभु द्रवित तब । जिसने ईश्वर को रक्षक मान लिया, उनके समस्त कष्टों को हर लो अब ।। -सीमा वर्णिका  कानपुर, उत्तर प्रदेश

अर्चना कोहली जी द्वारा लिखी कहानी- आज तो मेरी दावत हो गई

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अर्चना कोहली जी द्वारा लिखी  कहानी- आज तो मेरी दावत हो गई "साढ़े सात बज गए हैं, अभी तक आपकी लाडली बहू का पता नहीं। रोज़ तो छह, साढ़े छह बजे तक आ जाती है।" राधिका ने बड़बड़ाते हुए अपने पति शेखर से कहा। "आज सुबह भावना ने कहा तो था, आज आने में देरी हो जाएगी। तुम तो जरा-जरा सी बात पर आसमान सिर पर उठा लेती हो।" "पर मैंने भी तो कहा था देर मत करना, जल्दी आ जाना। तभी तो मैं रोहित की शादी घरेलू लड़की से चाहती थी। रोहित की जिद के कारण ही ऐसा करना पड़ा। अब कब बहूरानी आएगी और कब खाना बनेगा!" "तुम्हें तो बस बहूरानी की बुराई करने का कोई अवसर चाहिए। आ जाएगी।" "ऐसा करो, आज तुम ही दाल-चावल बना लो। मैं भी इसमें तुम्हारी मदद कर देता हूँ।" "अब इस उम्र में खाना बनाऊँ! कैसे दिन आ गए हैं। सही ही कहा है, बहू का सुख किस्मतवालों को मिलता है।" "तुमको तो बात का बतंगड़ बनाने की आदत है। काम करने से ठीक ही रहोगी। जुबान की जगह थोड़े हाथ-पैर भी चला लिया करो।" "आपसे तो बात करना ही बेकार है।" "क्या कमी है बहू में। बिना कहे स

ओम प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा लिखी रचना- जल संचयन

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              जल संचयन  कल कल  हर पल, घर पर तल पर। इधर उधर जल नित वृथ बहना। परम धरम यह, मनुज बचत कर। नित जल हर पल  जस यह गहना। मनुज बचत कर, विरथ बहत जल। उचित जगह जल सुबचत करना। नगर शहर भर, वद सब तुम कर। प्रण सब निज कर, जल शुचि रखना।। -ओम प्रकाश श्रीवास्तव कानपुर, उत्तर प्रदेश 

आइये पढ़ते हैं सरिता सिंह द्वारा लिखी भक्ति रचना- नमन कर ले ...

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आइये पढ़ते हैं सरिता सिंह द्वारा लिखी भक्ति रचना-  नमन कर ले ... माला जपती उम्र गई।  गया न मन का फेरा। कर्म करें जो बदले जीवन। डाले ना कहीं पर डेरा। दुखसुख तो जीवन के काज। जो कर्म करे मनु  पाए राज। रात गई अब हुआ सवेरा। सब प्रभु का क्या तेरा मेरा। मत कर मानव तू अभिमान। रमजा भक्ति  ले कुछ ज्ञान। अंदर का तू द्वंद मिटा ले। हृदय की कांति चमका ले। गुरु कुम्हार है शिष्य घड़ा । नमन उसे कर जो है बड़ा । -सरिता सिंह गोरखपुर

पुलिस अधीक्षक चंदौली के द्वारा पुलिस बल के साथ नौगढ़ क्षेत्र के जंगलों में की गई सघन कांबिंग

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पुलिस अधीक्षक चंदौली के द्वारा पुलिस बल के साथ नौगढ़ क्षेत्र के जंगलों में की गई सघन कांबिंग नौगढ़-चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन विश्वकर्मा की रिपोर्ट) आज दिनांक 20 नवंबर 2021 को श्रीमान पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल के नेतृत्व में थाना नौगढ़ थाना प्रभारी राजेश सरोज एवं चकरघट्टा थाना प्रभारी दीनदयाल पांडे के पर्याप्त पुलिस प्रशासन के  साथ नौगढ़ क्षेत्र के व हिनउत घाट के जंगलों में कांबिंग किया गया जिसमें पुलिस अभिसूचना संकलन एवं जनता पुलिस में आपसी सामंजस्य  स्थापित करने के साथ ही अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कांबिंग किया गया। 

जनपद चंदौली के सदर कोतवाली पुलिस ने मध्य प्रदेश पुलिस को चोरी की बरामद 10 कारों में से, शिनाख्त होने पर 3 कारों को लौटाया

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जनपद चंदौली के सदर कोतवाली पुलिस ने मध्य प्रदेश पुलिस को चोरी की बरामद 10 कारों में से, शिनाख्त होने पर 3 कारों को लौटाया  चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन विश्वकर्मा की रिपोर्ट)   जनपद चंदौली के सदर कोतवाली पुलिस ने विगत दिनों कटसिला नहर से कार चोर गैंग का पुलिस ने खुलासा करते हुए 10 कार बरामद किया था।  आपको बता दें कि शातिर चोर मध्य प्रदेश से कारों को चुराकर उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में लाकर फर्जी तरीके से नंबर प्लेट और कागजात बनाकर बेचते थे जिसका खुलासा गत दिनों सदर कोतवाली पुलिस ने किया था, वही मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा संबंधित मुकदमे में बरामद 10 कारों में से 3 कारों के वाहन स्वामी की पहचान होने पर 3 कारों को मध्यप्रदेश पुलिस लेकर लौट गई। 

जिला अधिकारी महोदय ने प्रार्थना पत्रों की भरमार से नौगढ़ तहसील दिवस में लिया बड़ा एक्शन, एडीओ पंचायत नौगढ़ व ग्राम सचिव को किया गया सस्पेंड

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जिला अधिकारी महोदय ने प्रार्थना पत्रों की भरमार से नौगढ़ तहसील दिवस में लिया बड़ा एक्शन, एडीओ पंचायत नौगढ़ व ग्राम सचिव को किया गया सस्पेंड  नौगढ़-चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन विश्वकर्मा की रिपोर्ट) आज दिनांक 20 नवम्बर 2021 को  श्रीमान जिलाधिकारी श्री संजीव सिंह की अध्यक्षता में तहसील नौगढ़ में संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया गया। समाधान दिवस में प्राप्त 110 प्रार्थना पत्र पड़े। जिनमें से 5 प्रार्थना पत्रों का निस्तारण तत्काल कर दिया गया। लंबित शिकायतों के लिए जांच टीम गठित कर गुणवत्तापूर्ण निस्तारण का निर्देश दिया गया। • पंचायत स्तर के कार्यों के निस्तारण  में लापरवाही एवं अनियमितता के लिए सचिव महेंद्र सिंह को निलंबित किया गया तथा सहायक विकास अधिकारी ( पंचायत ) को " प्रतिकूल प्रविष्टि" एवं जिला पंचायत राज अधिकारी को चेतावनी दी गई। • चमेर बांध में विद्युत बिलों की अनियमितता में बिलों को सही कराने एवं दोषियों के खिलाफ़ कारवाई का निर्देश दिया गया। • पात्र लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ ना देने की जन शिकायत पर श्रम विभाग एव

सीमा वर्णिका जी द्वारा सच्ची घटना पर आधारित लिखी कहानी - भिखारिन

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सीमा वर्णिका जी द्वारा सच्ची घटना पर आधारित लिखी कहानी - भिखारिन                  भिखारिन रोज आते - जाते रास्ते में मंदिर के पास बैठी उस भिखारिन पर एक निगाह पड़ जाती थी। कभी-कभी उसे कुछ दे दिया करती थी मैं। वह बदले में अपनी रटी रटाई दुआएं देती.... दिसंबर लग गया था हवा में ठंडक बढ़ने लगी थी। स्कूटी से आने जाने में हल्की सर्दी महसूस होती थी।       उस रोज मंदिर के पास आकर मैंने अपनी स्कूटी रोकी। किनारे एक सुरक्षित जगह देखकर खड़ी कर दी। मंगलवार का दिन था मंदिर में भक्तों की बहुत भीड़ थी। लाइन कुछ लंबी हो चली थी मैं भी लाइन में खड़ी हो गई अपना पर्स फोन बगैरा ठीक से संभाला। अक्सर मंदिरों पर सामान चोरी हो जाता है। अभी मेरा नंबर आने में वक्त था। मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना की फिर थोड़ी देर में नजर इधर उधर भटकने लगी। ऑंखें उस भिखारिन पर पर टिक गई। लोग खाने-पीने का सामान दे रहे थे तो कुछ लोग पैसे भी बांट रहे थे। मैं चुपचाप उसकी हरकतें देख रही थी। कोई कुछ भी देता वह अपने पास रक्खी गठरी में घुसा देती। ऊपर सामने कुछ भी नहीं रखती और आँखों में ऑंसू और चेहरा दयनीय बना फिर से मांगने का सिलस

आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखी कहानी- उपहार

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आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखी कहानी - उपहार                      उपहार  जन्मदिन पर उपहार में दादा जी से दो हजार  रुपए पाकर रीता के पांव खुशी के मारे जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। वह मन ही मन सोच रही थी कि वह इन पैसों को किस तरह से खर्च करेगी । वैसे भी किशोर मन कल्पना से भरपूर होता है।    कॉलबेल बजी उसने देखा उसकी सहेली मीना आई थी। उसका मन अपने जन्मदिन पर अपनी प्रिय सहेली को देख कर खुश हो गया । कैसी हो मीना," रीता ने चहकते हुए पूछा-  'ठीक हूँ' उसने दबी जबान में उत्तर दिया।  अरे! क्या हुआ? कोई बात है क्या? इतनी उदास क्यों हो? प्रश्नों की झड़ी लगा दी रीता ने। मीना की आँखें भर आयीं वह बात टालने लगी। पर रीता कहाँ मानने वाली थी । उसके बहुत आग्रह पर मीना बोली," तुझे तो पता है कल इंटर के फॉर्म भरने की अंतिम तिथि है। माँ बाबूजी से रोज कह रही हूँ पर वह फीस जमा नहीं कर पा रहे। बाबूजी के नौकरी छूट गई है। वैसे ही घर में पैसे की तंगी थी। रीता मेरा पढ़ने का सपना अधूरा रह जाएगा।" यह कह मीना फफक फफक कर रोने लगी ।    रीता ने मीना को सीने से लगा लिया और बोली,"

राजस्थान के मा. राज्यपाल श्री कलराज मिश्रा जी ने माँ विन्ध्यवासिनी के मंदिर में किया दर्शन

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राजस्थान के मा. राज्यपाल श्री कलराज मिश्रा जी ने माँ विन्ध्यवासिनी के मंदिर में किया दर्शन मिर्ज़ापुर : (अरुण कुमार गुप्ता की रिपोर्ट) आज दिनांक 20 नवम्बर 2021 को जनपद मिर्ज़ापुर के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने राजस्थान के मा. राज्यपाल श्री कलराज मिश्रा जी का माँ विन्ध्यवासिनी मंदिर पर स्वागत किया तथा माँ विन्ध्यवासिनी के दर्शन करवाया।  मा.राज्यपाल जी ने दर्शन - पूजन कर, विन्ध्यकारीडोर का अवलोकन करते हुए देश की उन्नति एवं खुशहाली की माँ विन्ध्यवासिनी से कामना की। 

आइये पढ़ते हैं अर्चना कोहली जी द्वारा लिखी हास्य-व्यंग्य कविता

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 आइये पढ़ते हैं अर्चना कोहली जी द्वारा लिखी हास्य-व्यंग्य कविता    हास्य-व्यंग्य कविता रोज सवेरे चाय पर पति से तकरार होती है बिना बात ही बहस-बीज बोती वह रहती है। पीते-पीते चाय पर मुद्दा बड़ा संगीन उठता  सुबह-सवेरे ही मूड़ मेरा बरबाद कर देता।। क्या बनेगा आज नाश्ते में प्रश्न दागा जाता सोच-विचार का कुछ समय मिल न पाता। नाम कुछेक मैं पतिदेव को बतलाती जाती सहमति न किसी पर भी उनकी बन पाती।। आज गरम चाय पीने का मजा बेकार हुआ बिना बात ही वाक-युद्ध का भारी वार हुआ। अंत में कहा, जो खाना है अब बतला भी दो बात का बतंगड़ बनाकर खुंदस न दिलाओ।। क्यों नाश्ते पर हर रोज ही मुझे तंग करते हो बिना कारण ही योद्धा बनकर जंग लड़ते हो। घूमने-फिरने का गत इतवार वादा तुमने किया क्या उससे बच निकलने का बहाना है बनाया।। बेकार की बहस से दिन मेरा हो गया है खराब शॉपिंग में हीरे का हार देकर कर दो हिसाब। नाश्ता भी आगे से हर इतवार तुम्हीं बनाओगे हरजाने में अबसे तनख्वाह हाथ में मेरे दोगे।। -अर्चना कोहली नोएडा (उत्तर प्रदेश)

"आगमन "की संगोष्ठी हुई संपंन्न

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"आगमन "की संगोष्ठी हुई संपंन्न  लखनऊ  :   दिनांक 15 नवम्बर 2021 को  कथा मैदान, आशियाना में चल रहे लखनऊ एक्सपो 2021 में मुनाल उत्तरांचल पूर्वांचल कला उत्सव के तहत  रेखा रावत बोरा के संयोजन में आगमन की संगोष्ठी  आयोजित की गयी। जिसमें मुख्य अतिथि रूहेलखंड व आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मोहम्मद मुज़म्मिल व विशिष्ट अतिथि मुनालश्री विक्रम बिष्ट की उपस्थिति में काव्य पाठ किया गया। कार्यक्रम का आग़ाज़ डॉ अर्चना श्रीवास्तव जी के उद्बोधन व वाणी वन्दना  "हंसारूढ शारदे मां तम में प्रकाश भर, मनोज शुक्ल'मनुज' -ज़ीवन जीने का मंत्र राम, रेखा बोरा- आज क्यों प्रिय मुझसे यह अनुबंध, मंजूषा श्रीवास्तव- इश्क कीजे तो छुपाने की जरूरत क्या है, विक्रम मिश्र 'अनगढ़'- ख़ाक में मिल जाने पर तू दुनिया से क्या चाहे, नीरजा नीरू- छोटू बनता बड़ा तभी जब ज़िम्मेदारी पड़ती है,  वर्षा श्रीवास्तव- हमारी आँख का पानी कहीं पत्थर न हो‌ जाये, डॉ रूबी राज सिन्हा-नारी तू शक्ति है, रश्मि लहर- डुबो दो ख़ुशी में लिखो न उदासी, उपमा आर्य- दुनिया में कोई जात बराबर न आपके, कनक वर्मा- दो दो घ

अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- अपनी आदत में

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अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- अपनी आदत में                गज़ल  अभी बहुत कुछ है अपनी आदत में , ना जाने कबसे हो तुम  मेरी इबादत में । ये शाम और ये सूबह  ठहर गई कबसे , खुलें खुलें से हैं गेसू किस क़यामत में । संभल संभल के तुम चलना इस ज़माने में कोई तो और नहीं हैं तेरी नजाकत में । अब तुमको चाहूं तो कह दूं ये बात भी कैसे ,  डरा डरा सा हूं शायद  इसी शराफ़त में । झुकी झुकी सी हैं  पलकें,  छुपी खुमारी हैं ,  शराब जैसी हों तुम किसी शरारत में । अभी बहुत कुछ है अपनी आदत में , ना जाने कबसे हो  तुम मेरी इबादत में । ये शाम और ये सूबह  ठहर गई कबसे , खुलें खुलें से हैं गेसू किस क़यामत में । संभल संभल के तुम चलना इस ज़माने में कोई तो और नहीं हैं तेरी नजाकत में । अब तुमको चाहूं तो कह दूं ये बात भी कैसे ,  डरा डरा सा हूं शायद  इसी शराफ़त में । झुकी झुकी सी हैं  पलकें,  छुपी खुमारी हैं ,  शराब जैसी हों तुम किसी शरारत में । अब कैसे चूम भी लूं  तुम्हारी यादों को, गुलाब जैसी हों तुम  मेरी रिवायत में । महक रहा हूं अभी तक  तेरी सोहबत से , न‌ई ग़ज़ल सी हो तुम मेरी मोहब्बत में । ना जानता हू

सुधीर श्रीवास्तव द्वारा लिखी रचना- भैयादूज

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सुधीर श्रीवास्तव द्वारा लिखी रचना- भैयादूज                 भैयादूज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को भैया दूज होता है, इसी दिन चित्रगुप्त जी का पूजन भी होता है, भाई यम और बहन यमुना के  अद्भुत मिलन का ये पर्व यम द्वितीया भी कहलाता है। व्यस्त रहा यम बहुत दिनों से बहन से न मिल पाया, जब यम बहन से मिलने आया तभी से यह दिवस भाई बहन के मिलन का शुभदिवस  भैयादूज कहलाया। मान्यता ये भी है कि भाई बहनों के घर जाये, बहन भाई का खुशी खुशी आदर सत्कार करे, रोली अक्षत चंदन से टीका करे आरती उतारे, मिष्ठान खिलाए सुख समृद्धि की मंगल कामना करे प्रेम से भोजन कराये बार बार आने का आग्रह करे। भाई बहन के पैर छूए आशीर्वाद ले ही नहीं, दे भी मायके आने का आमंत्रण भी दे मायके में पूर्ववत सम्मान, अधिकार का पूर्ण विश्वास दिलाए, माँ बाप की कमी न महसूस होने दे बहन ही नहीं बेटी की तरह  दुलार प्यार दे, उपहार दे। भाई दूज की सार्थकता को मजबूत आधार दे। तब भाई ही नहीं बहन का भी निश्चित कल्याण होगा, यम और यमुना का आशीर्वाद मिलेगा दोनों का जीवन खुशहाल होगा। - सुधीर श्रीवास्तव        गोण्डा, उ.प्र.

आइये पढ़ते हैं कुमारी गुड़िया गौतम द्वारा लिखी रचना- गोवर्धन पूजा (कृष्णा की लीला)

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आइये पढ़ते हैं कुमारी गुड़िया गौतम द्वारा लिखी रचना- गोवर्धन पूजा (कृष्णा की लीला)                गोवर्धन पूजा द्वापर युग में श्रीकृष्ण जी ने जन्म लिया, सब अत्याचारियों का विनाश किया, देख गोवर्धन की करते पूजा क्रोधित हुआ इन्द्र, इन्द्र ने मूसलाधार बारिश बरसाया, मथूरा, गोकुल में तूफान मचाया, कृष्ण ने तब गोवर्धन पूजा का मार्ग बताया, इन्द्र को था बड़ा ही अभिमान अहम है भरमाया, कृष्ण ने एक उंगली पर पर्वत है उठाया, और तब इन्द्र के अंहकार को मिटाया, सबकी गाय, वृक्ष, ग्वाल बाल जान को बचाया, घमंडी इन्द्र को  अच्छा पाठ पढ़ाया, कृष्ण ने भी अनोखी लीला रचाया, उठा कर पर्वत को सब जन पर कृपा बसाया, ब्रजवासियों ने ये देख अहसान जताया, सब जन मिलकर कृष्ण की शरण में आये, बड़ा अंहकार था इन्द्र को उसका भी घमंड तोड़ दिखाया, आभास हुआ जब इन्द्र को अपनी भूल का कृष्ण के सामने नतमस्तक  होकर भौग चढ़ाया, दीपावली के दूसरे दिन ये पर्व है आता, तभी से गोवर्धन पूजा सब जन करते आये।। - कुमारी गुड़िया गौतम  (जलगांव) महाराष्ट्र

आइये पढ़ते हैं आरती झा जी द्वारा लिखी रचना- दीपमाला

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आइये पढ़ते हैं आरती झा जी द्वारा लिखी रचना- दीपमाला                    दीपमाला  दीपों की बारात है आई रंगोली ने मुस्कान बिखराई नयनों में सुनहले सपने ऐसे  हर चेहरे पर खुशियाँ छाई झिलमिलाते से हैं ये दीप सपनों के खोले हैं सीप रंगों की है ये छटा घनेरी उर में जगाती है सबके प्रीत दीपों ने जल जल कर बताया  अमावस के बाद आता उजियारा  रंगों ने लेकर रंगीन आकार  परिस्थित से मिलना सिखलाया रंग बाती से सजती है ये थाती छोटे बड़े में ना कोई भेद,बताती खुशी गम में रहना सम भाव सा रंगों संग मिलकर संदेश दे जाती - आरती झा  दिल्ली