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सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सरदार भगत सिंह जयंती - (28 सितंबर)

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सरदार भगत सिंह जयंती - (28 सितंबर)  कोटि नमन   शहीद  भगत  को ,  जिनका तन, मन, वतन का था । आज  उनकी    ययंती का दिन ,  देश   हेतु  अर्पित  जीवन   था  । अमर  शहीद  भगत  सिंह  को  ,  हार्दिक  पुष्पांजलि  अर्पित  है  ।  जयंती , शहीद  ए आज़म   की ,  भावना  का  पुष्प   समर्पित  है । वीरता    स्वयं   थी     मूर्तिमान ,  थे    स्वतंत्रता     के   मतवाले  ।  जुनून  मात्र   माँ  की  आज़ादी  ,  देश    पर    मर   मिटने   वाले  । जलियांवाले    हत्याकांड    ने  ,  दिया    बहुत   गहरा   आघात ।  सशस्त्र  क्रांति  केवल  विकल्प ,   मन   में   भरा   हुआ  विश्वास । अमर  रहेंगे  सदा  भगत  सिंह  ,  सदा   अमर  उनका  बलिदान  ।  उनकी    गाथा    अमर   रहेगी  ,  याद   उन्हें   करेगा   हिंदुस्तान  । - चंद्रकांत पांडेय मुंबई  / महाराष्ट्र

गौरवमय अतीत भारत का

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गौरवमय अतीत भारत का  गौरवमय  अतीत   देश   भारत  का ,  सभ्यता  ,    संस्कृति    रही   महान।  स्वर्ग     समान     सुंदर     राष्ट्र   का,   अधिकांश     देश    करते   गुणगान ।  देवों, संतों, ऋषि, मुनियों  की  धरती, धरती यह राधा, सावित्री , सीता  की ।  कर्मभूमि   छत्रपति   राजाओं    की  ,  पुरुषोत्तम राम, श्रीकृष्ण के गीता की ।  उत्तर  में  प्रहरी  पर्वतराज  हिमालय  ,  दक्षिण  में   सुशोभित  कन्याकुमारी  ।  पूर्व   में  हरा  - भरा , सुंदर  आसाम  ,  पश्चिम राजस्थान का मरुस्थल भारी ।  एक तरफ़ हिमालय  के  पर्वत प्रदेश  ,  दूसरी ओर  गंगा  यमुना  का  मैदान ।  खाद्यान्न   उगलती   यहाँ  की  धरती  ,  वसुंधरा     तो    रत्नों    की    खान  ।  भाषा  ,   प्रांत   ,   धर्म     में     बँटा  ,  पर भारत की अपनी विशेष पहचान ।  अनेकता  में    भी   एकता   दिखती  ,  अपना    अतीत  सच    में     महान  ।  रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय  मुंबई / महाराष्ट्र  समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करें। WhatsApp No. 9935694130

भौतिक समृद्धता, स्थायी सुख का कारण नहीं : डॉ दयाराम विश्वकर्मा

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भौतिक समृद्धता, स्थायी सुख का कारण नहीं : डॉ दयाराम विश्वकर्मा         (एक आध्यात्मिक चिंतन)            वर्तमान संदर्भ में सुख की अवधारणा अलग अलग व्यक्तियों के लिए अलग अलग होती है, लेकिन आमतौर पर सुख एक भावी और मानसिक स्थिति माना जाता है, जिसमें व्यक्ति को तृप्ति, संतोष और आनंद का अनुभव होता है। सुख की धारणा सभी लोगों के लिए सामान्य रूप से अच्छा स्वास्थ्य, सुखद सामाजिक संबंध, आर्थिक सुरक्षा, परिवार कार्य सुरक्षा, आत्म सम्मान, स्वतंत्रता और  मानसिक सुख आदि के माध्यम से प्राप्त होता है।  आचार्य तुलसी ने राम चरित मानस में लिखा है,  काहू न कोऊ सुख कर दाता।  निज कृत कर्म, भोग सब भ्राता।।      हम जिस नियत को धारण कर कर्म करते है, वैसा ही फल हमें प्राप्त होता है। श्रीमद भागवत पुराण में श्री कृष्ण ने अपने नंद बाबा से कहते है कि,   कर्मणा जायते जंतुः, कर्मणैव प्रलियते।  सुखम, दु:खम, भयम्, क्षेमम्, कर्मणैव भिपद्यते ।।  यानि कर्मों के अनुसार ही सुख दु:ख भय और मंगल की प्राप्ति होती है। वैसे देखें तो जन्म  मरण, सुख, संपत्ति, विपत्ति, कर्म, काल, पृथ्वी, भवन, धन, पुर, परिवार, स्वर्ग, नरक

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती विशेष

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  पंडित दीनदयाल उपाध्याय  जयंती विशेष  पच्चीस    सितंबर    दिन     विशेष , पंडित   दीनदयाल  ने  जन्म  लिया  ।  प्रिय    माता   रामप्यारी   जी   तथा  ,  पिता भगवती प्रसाद को धन्य किया ।  विराट  व्यक्तित्व  संपन्न  पंडित  जी  ,  भारतीय  जनसंघ   के   कर्ता  धर्ता  ।  राष्ट्रीय     स्वयं    सेवक    संघ    के  ,   थे      प्रमुख       संगठन       कर्ता  ।  माननीय     श्री     उपाध्याय      जी  ,  मेधावी       थे       अध्ययन       में   ।  गहरी    रुचि     थी     राजनीति   में  ,  बहुत  लगाव   साहित्य    सृजन   में  ।  माता - पिता    दोनों     की    छाया  ,  छूट     गई        थी     बचपन     में  ।  मानवतावादी  , सहयोगी  विचारधारा ,  बलवती    रही    थी   तन    मन   में । संस्कृति  निष्ठा    का   पाठ  सिखाया ,  माध्यम     बनी      कई     पत्रिकायें  । आर्थिक     नीति      के     रचनाकार  ,  पल्लवित    आज   सकल   कामनाएं । श्रद्धा    के     सुमन   अर्पित  उनको  ,  ऋण उनका  नहीं  कभी  भी भुलाना  ।  किया    जो     उन्होंने    हमारे   लिए  ,  उसको    मिलकर     सभी     चुकाना । परिवर्

बेटी मेरी परछाई है

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बेटी मेरी परछाई है नन्ही सी परी है तू आसमान से आई है।  फूल नहीं कली है तू बेटी मेरी परछाई है।।  आंगन की बिजली है  सुनहरे रंग की तितली है,  भंवरों के पीछे दौड़ने वाली मन मौजी मन चली है।  कोना-कोना महकजाये मुस्काती मंद पुरवाई है।  फूल नहीं कली है तू बेटी मेरी परछाई है।।  तुम्हारी आहट से ही पापा के चेहरे पे मुस्कान है,  तुम पर ओ मेरी गुड़िया मेरा सबकुछ क़ुरबान है।  सूने आंगन में आकर खुशियां तूने फैलाई है।  फूल नहीं कली है तू बेटी मेरी परछाई है।।  - शेख रहमत अली "बस्तवी" बस्ती (उ, प्र,) 

हाल ए दिल बयां करूं भी तो कैसे

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हाल ए दिल बयां करूं भी तो कैसे नानी, दादी के किस्से हो गए फजां से गुम, अब तो दरो दीवार से लोरी की गूंज सुनाई देती है... हमने जरूरत से ज्यादा खुशियां देने की ठानी थी, आंसू के सैलाब में, तन्हाई अब दोस्त हमारी है... पता नहीं गलती से गलती कहां हो गई, अब तो मोबाइल पर भी तस्वीर कहां तुम्हारी है... सोचा था उसके हर पल का हिसाब रखूंगी, गिनने को तो वक्त भी अब कहां बाकी है... हाल ए दिल बयां करूं भी तो कैसे, मेरी दुखती कलम में रोशनाई कहां बाकी है.. शीशे के टूटने की परवाह कौन करे भला, अश्कों के संग बिखरने की बारी हमारी है... उमा पुपुन की लेखनी से... रांची, झारखंड

किसी भी देश की संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासतें उस देश की सभ्यता का पैमाना होता है : डॉ. भरत शर्मा

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किसी भी देश की संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासतें उस देश की सभ्यता का पैमाना होता है : डॉ. भरत शर्मा  उक्त विचार पंचकन्या और संस्था द्वारा आयोजित कला संस्कृति लोक मंच २०२३ के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. भरत शर्मा (सदस्य - सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत सरकार) ने अपने उद्बोधन में कहे । आपने कहा कि भारतीय संस्कृति - वसुदैव कुटुम्बकम्, अहिंसा, त्याग, सत्यमार्ग पर चलने की, देश प्रेम और अपने माता-पिता, गुरु, धर्मपरायणता और अध्यात्म के प्रति समर्पण की संस्कृति है।  सभागार में युवाओं की अधिक संख्या देख उन्होंने आयोजकों को बधाई दी और युवाओं को भारतीयता और भारतीय संस्कृति की जड़ो से जुड़े रहने का आह्वान किया।  देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खचाखच भरे सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री, म. प्र. शासन उषा ठाकुर, झारखंड से महापौर आशा लाकरा, दिल्ली से डॉ. कुमुद शर्मा ने भी उपस्थित सांस्कृतिकर्मी और कलाप्रेमियों को संबोधित किया।  इंदौर से सांसद शंकर लालवानी ने बताया किस तरह उनकी संस्था संस्कृति लोक मंच का गठन हुआ

आओ हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को सीखें

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आओ हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को सीखें   स्मरण रहें कि हृस्व स्वर में केवल एक मात्रा होती है एवं इसका उच्चारण अल्प समय और अल्प ध्वनि में होती है।  इसकी कुल संख्याएं 4 होते हैं :- अ, इ, उ एवं ऋ। काव्य-जगत् में इसकी सांकेतिक भाषा (।) होती है। जबकि, दीर्घ स्वर में दो मात्राएं होते हैं एवं हृस्व स्वर की अपेक्षा इसके उच्चारण में दोगुना समय लगता है। इसकी कुल संख्याएं 7 होते हैं :- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ और औ। काव्य-जगत् में इसकी सांकेतिक भाषा(s)होती है। प्लुत स्वर :- प्लुत स्वर में तीन मात्राएं होती हैं एवं इसका अधिकांश प्रयोग संस्कृत भाषा में की जाती है जिसे देववाणी भी कहते हैं।  ज्ञात हो कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है एवं यह वैदिक काल से बोली जाती है एवं यह आर्यों की भाषा रही है। उदाहरणार्थ :- ओ३म , हरिओ३म इत्यादि। अनुस्वार:- किसी अक्षर या शब्द के ऊपर (.) दिया जाता है एवं इसका उच्चारण नाक से की जाती है। उदाहरणार्थ :- सुंदर, कंचन, वंदना, चंचला इत्यादि। जबकि, अनुनासिक में किसी अक्षर या शब्द के ऊपर चंद्रबिंदु दिया जाता है।  यति :- काव्य-जगत् में जब हम कोई काव्यपाठ करते हैं तो किस

गजल - बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी

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गजल - बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी  इतना बेदर्द बन गया कैसे, बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी। दिल ये टूटा हुआ है अर्से से, ज़ख्म दिल के दुखाने की जरूरत क्या थी। बेवजह रूठ कर जाने वाले, मुझको अपना बनाने की जरूरत क्या थी। तूने हर बार दिया जख्म मुझे, फिर ये एहसास जताने की जरूरत क्या थी। हर सवालात तेरे जख्मी थे, ऐसे हालात में सवालों की जरूरत क्या थी। इतना खुदगर्ज हो गया कैसे, सिलसिले वार पे वार की जरूरत क्या थी। फैसला करते हुए सोचा होता, फासले हो तो फैसलों की जरूरत क्या थी। अक्सर यादों में होस आता है, इस कदर साथ निभाने की जरूरत क्या थी। इतना बेदर्द बन गया कैसे, बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी। साहित्यकार व लेखक-  आशीष मिश्र उर्वर कादीपुर, सुल्तानपुर

ग्राम स्वराज्य समीति चंदौली के द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत भीमराव अंबेडकर कोचिंग सेंटर व CDPO सहित आगंबाडी के साथ हुई बैठक

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ग्राम स्वराज्य समीति चंदौली के द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत भीमराव अंबेडकर कोचिंग सेंटर व CDPO सहित आगंबाडी के साथ हुई बैठक नौगढ़- चंदौली :(जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट)  ग्राम स्वराज्य समीति चंदौली के द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत दिनांक 25 सितम्बर 2023 को कार्यकर्ता मदन मोहन के द्वारा मझगाई में भीम राव अंबेडकर कोचिंग सेंटर पर सभी बच्चों और शिक्षकों को  बाल विवाह, नशा मुक्ति, बाल मजदूरी  समाप्त करने एवं  समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों को समाप्त करने के लिए शपथ कराया गया।   आगे यह भी बताया गया कि यदि समाज को आगे ले जाना है तो शिक्षा सबसे जरूरी है। जब तक हम शिक्षित नहीं होंगे हमारा समाज आगे नहीं बढ़ पाएगा । कोचिंग सेंटर के प्रबधक विजेंद्र यादव द्वारा बताया गया कि बच्चों को बाल मजदूरी से रोकने का प्रयास करना होगा तथा जो बच्चे विद्यालय नहीं जा रहे हैं उन्हें जागरूक करने की जरूरत है और आई सी डी एस विभाग में सी डी पी ओ सहित आगंबाडी व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ बाल विवाह, बाल मजदूरी, यौन उत्पीड़न, बाल तस

बेटी दिवस

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  बेटी दिवस  पापा के सिर की पगड़ी मां हाथों की कलछुल बेटी, रिद्धि सिद्धि दो कुल है बेटी। पापा के सिर की पगड़ी, संबन्धों की डोर कड़ी। बाबा की मर्यादा है, नये सृजन का वादा हैं। आजी की है प्राण लली, मन जूही अनखिली कली। भाई का विश्वास है वो, वही करेगी कहेंगे जो। भाभी की चंचला सखी, बोझिल मन की दवा चखी। बच्चों की हमजोली है, कंथा मंथा गोली हैं। अपने चाचा की प्यारी, लाती भोजन की थारी। चाची के है लिए खिलौना, जब तक गोद न आता छौना। पूरे घर की किलकारी, खिला सुमन आंगन क्यारी। इसके बिन न राखी पर्व, जिनके बहन है करता गर्व । नवरात्री दुर्गा माता, करवा चौथ तीज नाता। लक्ष्मी गौरी का प्रतिरूप, कभी है छाया कभी है धूप। बेटी से संस्कृति पहचान, बेटी ने रखा है मान। कभी बनी सीता सावित्री, संतोषी काली गायत्री। बेटी से संसार सृजन, इसकी शिक्षा का लें प्रन। इसे बचायें इसे पढ़ायें, भारत की संस्कृती बचायें।। - डाॅ0 रामसमुझ मिश्र अकेला

शून्य सी चिंतन करती

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शून्य सी चिंतन करती शून्य सी चिंतन करती, क्या उसके जन्म पर शिकन मां पिता के माथे पर बेहिसाब आए होंगे.. पालन पोषण फिर दहेज भाव थोड़ी खुशी थोड़ा गम का  समावेश दिल में छिपाते होंगे.. फिर वही बिटिया जान बन गई मां पिता की मुस्कान बन गई.. कितना बदल गया है अब समय, हर बात पर मनाते हैं उत्सव.. बेटी दिवस पर मनोभाव लिख  अपने प्रेम को अंकित करते बेटी के मस्तिष्क पर, वक्त भी अब बेवक्त हो गया है, कहीं बेटी नहीं, कहीं मां पिता नहीं कौन चूमे उसके ललाट को, गले लगा कर उसे स्नेह कर जाए.. उन पसीने की बूंदों को पोंछ रही होती, अपने वजूद पर खुद इठला रही होती.. देख नहीं पा रही हैं ये अंखियां, बरस रही हैं उनके प्यार की बूंदे अनगिनत, बेहिसाब वैसे ही, मेरे मन में मानो कोई तूफान उठा हो जैसे.. समेट रही हूं उनके स्नेह को आंचल पसार महसूस किया है मेरे ललाट पर  मां पापा के स्नेह का चुम्बन लगाया मुझे भी "बेटी" कहकर आलिंगन  झूम रही हूं उनका स्नेह पाकर वैसे ही, मोरनी झूमती जैसे मेघपुष्प देखकर... - उमा पुपुन की लेखनी से रांची, झारखंड

साँई नाथ कॉलेज आफ फार्मेसी फार्मेसी वीक के तहत ग्राम सभा मानपुर पंचायत भवन में मेडिकल कैंप का किया गया आयोजन

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साँई नाथ कॉलेज आफ फार्मेसी फार्मेसी वीक के तहत ग्राम सभा मानपुर पंचायत भवन में मेडिकल कैंप का किया गया आयोजन  सोनभद्र : (संवाददाता संदीप शर्मा की रिपोर्ट)  आपको बताते चले कि पूरे प्रदेश में दिनांक 17 सितंबर 2023 से 2 अक्टूबर तक आयुष्मान भव सेवा पखवाड़े के आयोजन के संबंध में दिनांक 23 सितंबर 2023  फार्मेसी वीक के दौरान साईनाथ कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी के  छात्रों द्वारा ग्राम सभा मानपुर में पंचायत भवन पर मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया जिसमे सैकड़ों कि संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया ।  इस मेडिकल कैंप में  साईनाथ हॉलिस्टिक हॉस्पिटल की टीम द्वारा लोगों का फ्री चेकअप कर दवा वितरण किया गया इसके पश्चात छात्रों द्वारा ग्राम वासियों में फल वितरण कर लोगों को स्वास्थ्य प्रति जागरूक किया गया। साईनाथ कॉलेज ऑफ फार्मेसी के शिक्षकगण व साईनाथ होलिस्टिक हॉस्पिटल के कर्मचारी व समस्त छात्र छात्राओं के सहयोग से कार्यक्रम को सफल बनाया गया तथा प्रोत्साहित कर लोगों को आयुष्मान गोल्डन कार्ड के बारे में भी बताया गया कि माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय स्तर पर वर्चुअल आयुष

बेटियाँ

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बेटियाँ  बंजर  सी  ज़िंदगी में उपवन हैं बेटियाँ ,  बेटों से तनिक भी नहीं कम हैं बेटियाँ । बहाने बनाते जब सभी हाज़िर हैं बेटियाँ,  परिवार का दुःख बाँटने में माहिर हैं बेटियाँ।  अपना ही परिवार बेटे हैं सवाँरते ।  दो घरों को अकेले सजातीहैं बेटियां।  सुख में खुशियाँ मनाती हैं बेटियां,  दुःख की घड़ी में संबल बन जाती हैं बेटियाँ।  पुष्पों सी हर आँगन में महकती हैं बेटियाँ,  ना जानें कुछ के दिल में क्यों खटकती हैं बेटियाँ। यूँ तो निर्मल मन की होती हैं बेटियाँ,  जरूरत पड़े तो खुद को बदलती हैं बेटियाँ। आज तो हर क्षेत्र में कामयाब बेटियाँ,  आसीन ऊंचे पदों पर नायाब बेटियाँ।  हर रिश्ते को बड़े स्नेह से सवांरती है बेटियाँ, खुद सेतु बनकर दो कुटुंब सँभालतीहैं बेटियाँ।  रचनाकार- चंद्रकांत पाण्डेय मुम्बई/महाराष्ट्र 

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती

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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती  वीर  रस  के श्रेष्ठ  कवि, दिनकर  जी  का वंदन  है।  राष्ट्रकवि  के जन्म दिन पर,  उनका हार्दिक अभिनंदन है। गद्य  , पद्य  दोनों  ही  विधा में,  दिनकर  हिंदी के  दिव्याकाश।  कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी , उर्वशी,  हुंकार से गूंजा साहित्याकाश।  वह  धन्य सिमरिया  की माटी,  दिनकर  सदृश  दिनकर जन्म लिए।  अपनी  सादर उपस्थिति  से,  हिंद  की  धरती  धन्य किए । एक  ओर दिखाई पड़ती हैं ,  कोमल श्रृंगारिक रचनाएँ ।  दूसरी तरफ वीरता के अमर भाव ,  वीर  रस  युक्त अप्रतिम कविताएँ । चर्चित  उर्वशी रचना हेतु मिला,  साहित्यिक ज्ञानपीठ पुरस्कार।  सामाजिक समानता के रहे पक्षधर,  पद्म भूषण भी  हुआ स्वीकार। जन्मदिवस  पर आज दिनकर को,  श्रद्धा  के  प्रसून  समर्पित हैं ।  एक  छोटे  से  दीपक  हैं  हम,  भावपूर्ण  शब्द  ये  अर्पित  हैं । रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय  मुम्बई/महाराष्ट्र 

वरिष्ठ नेता लवकुश प्रसाद केसरी का निधन

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वरिष्ठ नेता लवकुश प्रसाद केसरी का निधन सोनभद्र :                  फाइल फोटो  जनपद में केसरवानी वैश्य सभा के संस्थापक, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, वरिष्ठ समाजसेवी लवकुश प्रसाद केसरी का आज सुबह लंबी बीमारी के बाद पैतृक आवास पर निधन हो गया। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए।   पारिवारिक सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार श्री केसरी का इलाज काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से चल रहा था। जुझारू, संघर्षशील व्यक्तित्व वाले श्री केसरी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद कांग्रेस पार्टी में सम्मिलित हुए इसके साथ ही साथ इन्होंने वैश्यों की राजनीति की कमान को भी संभाला। जनपद में केसरवानी वैश्य सभा, तरुण केसरवानी वैश्य सभा, तरुण महिला केसरवानी वैश्य सभा का गठन कर संगठन को गति दिया।

अंतर्राष्ट्रीय श्रेया क्लब धार्मिक परिषद का भजन संध्या आयोजन संपन्न

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अंतर्राष्ट्रीय श्रेया क्लब धार्मिक परिषद का भजन संध्या आयोजन संपन्न        अंतर्राष्ट्रीय श्रेया क्लब धार्मिक परिषद द्वारा दिनांक २१.०९.२०२३ को पावन पर्वों के मध्य "एक शाम प्रभु के नाम" भजन संध्या का आनलाइन आयोजन किया गया।        कार्यक्रम का शुभारंभ डा. अर्चना श्रेया द्वारा गणेश वंदना और डा. कमलेश मलिक द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ हुआ      भजन संध्या में आ. मनीषा श्रीवास्तव, प्रयागराज, आर. एन. सिंह( रुद्र संकोची) कानपुर, डॉ शशिकला अवस्थी, डाॅ. कमलेश मलिक, सोनीपत, अंशी कमल, श्रीनगर गढ़वाल, श्रीमती संतोष तोषनीवाल इंदौर, शोभारानी तिवारी इन्दौर , राम निवास तिवारी आशुकवि, निवाड़ी, प्रवीण पांडे,लखनऊ, डॉ आनन्दी सिंह रावत, आशा झा, ऋतु दीक्षित वाराणसी, शिखा पाण्डेय, डॉ. पुष्पा जैन ,गीता कुमारी गुस्ताख़, विनीता लावानियां बेंगलूरु सतीश शिकारी रतलाम ने अपने भक्तिमय गीतों से मंच को भक्तिमय कर दिया।         आयोजन के दौरान परिषद की संस्थापिका डा. अर्चना श्रेया, संयोजक सुरेंद्र वैष्णव, कार्यकारी अध्यक्ष विनीता लावानियां, संरक्षक सुधीर श्रीवास्तव, पटल प्रभारी सतीश शिका

लक्ष्य

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लक्ष्य  सफलता     प्राप्ति     हेतु   ,  लक्ष्य    बनाना    होता  है  ।  लक्ष्य   प्राप्ति    हेतु    हमें  ,  कर्तव्य  निभाना  होता  है  ।  सफलता राह चलते मिलेगी,  यह  सोचना  भी  जड़ता है ।  इस     मामले    में    सदा  ,  मुँह  की   खाना  पड़ता  है । बिना    किसी    लक्ष्य   के ,  व्यक्ति   खुद   भटकता  है ।  सभी     लोगों    को     ही  ,  उसका  कार्य  खटकता  है ।  असफलता  अंततः  इसका  ,  दुष्परिणाम   ही    बनती है  ।  जीवन   पर्यंत   यह   क्रिया  ,  उसे  पीड़ा  बन  अखरती है । रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय   मुंबई ( महाराष्ट्र)

श्री गणेश

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श्री गणेश देवों    के   देव   ,  महादेव   जी  ,  उनके पुत्र श्री गणेश की जय हो ।  गौरीसुत, लंबोदर की कृपामात्र से,  समस्त लौकिक पापों का क्षय हो।  हे    लंबोदर , प्रथमेश्वर , विघ्नेश्वर ,  अवनीश  ,    गदाधर  ,   पीतांबर ।  जय  हो  , विनायक , वक्रतुंड  की ,  रक्षा  करें  ,  गणपति  ,   एकाक्षर ।  भालचंद्र  ,  श्री महागणपति   की ,  सदा     सर्वदा     ही    जय    हो ।  भक्ति  करें श्री गणेश महाराज की ,  गजानन कृपा तो सबकी विजय हो।  रिद्धि  , सिद्धि  सदा  सुख  प्रदात्री ,  ये    देवियाँ  करें  सबका कल्याण ।  भक्त      रक्षक      श्री     गणपति ,  प्रथम    देव       हैं     देव    महान ।  बुधवार  इनका  दिन अति  पवित्र ,  प्रथमेश्वर्      का     पूजन    वार  ।  रक्षा    करें      सदा    विश्व    की  ,  ले     त्रिशूल   ,  पाश   ,  तलवार  ।  भ्राता     उनके    कार्तिकेय   जी  ,  सुपुत्री    दयावान  संतोषी  माता  ।  अधिपति  श्री गणेश  जलदेव  के  ,  मोक्षदायक गजानन भाग्यविधाता ।  भक्तों    के     रक्षक  ,   उद्धारक  ,  मूसक    है    श्री   गणेश  सवारी  ।  प्रिय    भोग   मोदक    है   

हिन्दी दिवस महा महोत्सव कवि सम्मेलन वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र भट्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश की अध्यक्षता में संपन्न

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हिन्दी दिवस महा महोत्सव कवि सम्मेलन वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र भट्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश की अध्यक्षता में संपन्न। संस्थाध्यक्ष डॉ० एस.पी. रावत एंव सुरेश कुमार राजवंशी के द्वारा आयोजित सितम्बर माह की मासिक गोष्ठी एवं सरस कवि सम्मेलन का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ जगन्नाथ भारती,  उन्नाव तथा विशिष्ट अतिथि जी श्री एल गाँधी, सीतापुर व अति विशिष्ट अतिथि प्रो• जयनाथ सिंह, गया, बिहार रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन सुरेश कुमार राजवंशी लखनऊ ने किया।  कवि सम्मेलन का शुभारम्भ रश्मि लहर जी लखनऊ की वाणी वन्दना से हुआ। उपस्थित सभी कवियों एवं कवयित्रियों ने अपनी-अपनी प्रतिनिधि रचनाएं सुनाकर श्रोताओं और कवियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकारों में सर्वश्री राम रतन यादव,  उत्तराखण्ड,संजय सागर,  लखनऊ,एल• एल• दरसन,  मध्य प्रदेश, जयवंती शोभा रंगू,  मॉरीशस, सुनील कुमार वर्मा,  भूटान, डाॅ० मेहंदी हसन ख़ान फ़हमी,  लखनऊ, नवीन चंद्र बैसवारी,  लखनऊ, संतोष सिंह हंसौर, बाराबंकी, इन्दु भार्गव, जयपुर, राजस्थान, प्रेम शंकर शास्त्री,  लखनऊ, डाॅ इन्दु कु

भगवान विश्वकर्मा जयंती/अभियंता दिवस (१७ सितंबर) पर विशेष

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भगवान विश्वकर्मा जयंती/अभियंता दिवस (१७ सितंबर) पर विशेष (ब्रह्माण्ड के पहले शिल्पकार) आज सत्रह सितंबर है आज ही सृष्टि के सृजन कर्ता  यंत्रों के देवता और ब्रहांड के प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती है, हर वर्ष कन्या संक्रान्ति को विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष्य में भगवान विश्वकर्मा जी और यंत्रों, अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है। सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ जो सृजन के देवता माने जाते हैं, एक अन्य प्रसंग में आता है कि जब क्षीरसागर में शेष शैय्या पर भगवान विष्णु प्रकट हुए, तब उनके नाभि कमल से ब्रह्मा जी दृश्यमान हुए, जिनके के पुत्र धर्म और धर्म के पुत्र वास्तुदेव उत्पन्न भये। वास्तुदेव और उनकी पत्नी अंगिरसी से विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ। पौराणिक कथाओं में सोने की लंका और  द्वारिका के निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था। विश्वकर्मा जी को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार  और दिव्य इंजीनियर कहा जाता है, विश्वकर्मा जी ने ही मशीनों और कलपुर्जों का निर्माण किया था। इस दिन कल कारखानों, औजारों , हथियारों को साफ सुथरा कर

अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी के पदाधिकारियों द्वारा कराया गया विश्वकर्मा पूजन

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अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी के पदाधिकारियों द्वारा कराया गया विश्वकर्मा पूजन वाराणसी :  जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि सृष्टि के रचयिता भगवान विश्वकर्मा का पूजन समारोह हर वर्ग, जाति व संप्रदाय के लोग अपने- अपने घरों, कल - कारखानों, प्रतिष्ठानों में दिनांक 17 सितम्बर को बड़े धूम धाम व  हर्षोल्लास के साथ मनाते रहे हैं। वास्तव में भगवान विश्वकर्मा का कृत्य निराकार को आकार देना रहा है।  जितने सृजन के कार्य हैं, उनकी प्रेरणा भगवान विश्वकर्मा  ही प्रदान करते हैं। जगत को सुखमय बनाने में जितने प्रकार की अभियांत्रिकी व निर्माण के कार्य हैं उनके पीछे भगवान विश्वकर्मा की ही कृपा होती है। भगवान विश्वकर्मा के पांच मुख जो प्रकृति के पांच महाभूतों को इंगित करता है। पंच महाभूतों से ही जीवन का निर्माण होता है और इन्ही तत्वों के विघटन से विनाश। आज भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी द्वारा अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर  "प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना" की भी शुरुआत की गई है, जो विश्वकर्मा भगवान के सर्जनात्मक शक्ति को प्रदर्शित कर लोगों, विशेष कर कामगारों की सृजनात्मक

कुछ भी साथ न जाएगा : चंद्रकांत पाण्डेय

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कुछ भी साथ न जाएगा  गुजरा  बचपन  बीती  जवानी  ,  लाभ मिला क्या हुई क्या हानि ?  सपनों    का   संसार  सजाया  ,  काया   तो   अब    हुई  पुरानी ।  मन  में   सपने  रंगीन  चुने  थे  ,  आशाओं का न  कोई पारावार ।  थोड़ी   झोली   ही   भर  पायी ,  रूठ    गए   अपने    सरकार  ।  वृद्धावस्था  खुद   एक  बीमारी  ,  राह   पड़े   ना   कोई   दिखाई  ।  अपने  भी  सब   दूर  हो  लिए  ,  कैसे      होगी    मेरी    विदाई  ।  अकेला   जीवन    महान   कष्ट  ,  दुःख  भी  अपने   बोल  न पाते ।  भेद  दिलों   के  खुद   ले  घुटते ,  अनुभव की गठरी खोल न पाते ।  अक्सर  लोगों का हाल ये  होगा ,  देख   दशा  मेरा   मन   मुस्काये ।  जी लो  जीवन औरों  के ख़ातिर ,  साथ  किसी  के कुछ  ना जाए  ।  - चंद्रकांत पांडेय  मुंबई  / महाराष्ट्र

ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता क्यों?

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ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता क्यों?                    कहते है कि energy pervades nature, यानि प्रकृति ऊर्जा से व्याप्त है।पृथ्वी पर प्रत्येक जीवधारियों का नियमन  ऊर्जा द्वारा ही होता है। हमारे जीवन के कार्यों को संपादित करने हेतु हमे किसी न किसी प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्रकृति व ब्रह्मांड में ऊर्जा का असीमित भंडार विद्यमान है। कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा, जबकि ऊर्जा प्रदान करने की दर को शक्ति कहते है। व्यक्ति अपने शारीरिक कार्यों को भी करने हेतु प्रतिदिन खाद्य ऊर्जा का ही उपयोग करता है। ऊर्जा के दो मुख्य प्रकार में, स्थिति ऊर्जा, जो वस्तु की स्थिति के कारण होती है, उसे स्थिति ऊर्जा, व दूसरी गतिज ऊर्जा, जो वस्तुओं में गति के कारण उत्पन्न होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते है।  ऊर्जा के और कई प्रकार है जिसमे, यांत्रिक ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा, तापीय ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा व परमाणु ऊर्जा, प्रमुख है। आइए थोड़ा इन ऊर्जा के प्रकारों पर विस्तार से जानकारी हासिल करें । विद्युत ऊर्जा, बिजली के कंडक्टर में, इलेक्ट्रॉन द्वारा वहन क

आशीष मिश्र उर्वर के जन्मदिन पर रीता गुलाटी ऋतंभरा ने किया आविर्भावांजलि पत्रिका का विमोचन

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आशीष मिश्र उर्वर के जन्मदिन पर रीता गुलाटी ऋतंभरा ने किया आविर्भावांजलि पत्रिका का विमोचन  10 सितम्बर दिन रविवार को नवोदय वैश्विक प्रज्ञान साहित्यिक मंच के मीडिया प्रभारी साहित्यकार आदरणीय आशीष मिश्र उर्वर के जन्मदिन के शुभअवसर पर उन्हें मंच के द्वारा आविर्भावांजलि पत्रिका अंक-16 उपहार स्वरूप प्रदान की गयी। आविर्भावांजलि पत्रिका का विमोचन चंडीगढ़ की धरा से सुप्रसिद्ध कवयित्री, मधुर स्वर की धनी रीता गुलाटी ऋतंभरा ने फेसबुक लाइव के माध्यम से किया। उन्होंने शानदार और सारगर्भित तरीके से पत्रिका के विमोचन को सम्पन्न किया और अपने मुखारविंदो से जन्मदिन पर शुभाशीष प्रदान किया। इस पत्रिका का संपादन मंच की पंचपरमेश्वरी रंजना बिनानी एवं मंच की सह-सचिव प्रीती द्विवेदी ने संयुक्त रूप से किया। मंच के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कृष्ण कान्त मिश्र ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित किया। तथा मंच के संस्थापक/अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश मिश्र मधुब्रत ने आशीष को अपना शुभकामना स्वरूप आशीष प्रदान किया। और बताया कि मंच के सभी पदाधिकारियों के जन्मोत्सव पर उन्हें उपहार के रुप में यह पत्रिका प्रदान की जाती है। इसी कड़

बंधन

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  बंधन  हर   प्राणी   का  नाता  जग  से ,  ईश्वर    को   शत - शत   नमन  ।  संसार     जाल    संबंधों     का  ,  बड़ा    अटूट    इसका    बंधन  ।  माता    पिता    का    बच्चों  से  ,  रक्त       का      सुदृढ़     नाता  ।  मर  मिटते  सदा  एक  दूजे  पर  ,  यह   देख  जग  भी  सुख पाता  ।  बंधन  भक्त    का   भगवान  से  ,  अटूट  जुड़े   आत्मा  परमात्मा  ।  राधा  रानी  का  कृष्णा  जी  से   ,   प्रभु  जी  का  हर जीवात्मा  से  ।  मधुर    बंधन    पति   पत्नी  का  ,  एक    दूजे   पर    जान   लुटाएँ  ।  सुख  दुःख  दोनों  में  साथ  खड़े  ,  बंधन    में    रह    उम्र    बिताएँ  ।  भाई   बहन   का    प्यारा  बंधन  ,  नंगे     पाँव      दौड़े     बनवारी  ।  आकर  बहन  की  लाज   बचाए  ,  कथा   जानती     दुनियाँ   सारी  ।  - चंद्रकांत  पांडेय  मुंबई  ( महाराष्ट्र  )

15 वालेंटियरों का हुआ साक्षात्कार

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15 वालेंटियरों का हुआ साक्षात्कार  सोनभद्र : ( जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट) नीति आयोग, भारत सरकार के सर्वे मुताबिक आकांक्षी ज़िलों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए पिरामल फाउंडेशन द्वारा जनपद सोनभद्र के दो विकास खण्डों में ग्रामीण इलाकों के 50 विद्यालयों में छात्रों को शारीरिक मानसिक विकास के लिए छलांग परियोजना संचालित किया जाना है जिसमें बच्चों को क्षेत्रीय खेलकूद से जोड़कर रूचिपूर्ण शिक्षा बनाना है परियोजना के तहत शिक्षको, समितियों से समन्वय सहयोग कर किया जाना है जिसमें आज दिनांक 11 सितम्बर 2023 को  दक्षता के आधार पर संस्था द्वारा साक्षात्कार सम्पन्न हुआ।  जनपद सोनभद्र में  पिरामल फाउंडेशन के सहयोग से SPACE सोसाइटी, सोनभद्र के कार्यालय पर  छलांग परियोजना हेतु प्रोजेक्ट मैनेजर, फिल्ड कोर्डिनेटर पद हेतु साक्षात्कार किया गया।  पिरामल फाउंडेशन टीम सोनभद्र से अनुप्रिया सिंह जी, विरेन्द्र जी,सृष्टि जी, प्रिया जी के नेतृत्व में किया गया जिसमें शार्ट लिस्टिंग कर 15 वालेंटियरों का साक्षात्कार हुआ। उपरोक्त जानकारी  राजकुमार शर्मा समाजिक कार्यकर्ता सोनभद्

कविता - समय बहाकर ले जायेगा

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समय बहाकर ले जायेगा                 (कविता) समय बहाकर ले जाता है, सबका एक दिन नाम निशान। व्यर्थ का, क्यों ही अहम पालते, वहम को त्यागे हे, श्रीमान।। बाद आप के, कर्म मुबारक, मरण जीव का चीर विश्राम।     कर्म तुम्हारे, यदि शुभ होंगे, शुभ व लाभ, होगा अविराम।। शून्य, शिफर से यहां विभूषित, सब चीजें व साज सामान। पर उपकार में जीवन गुजरे, ऐसा उपक्रम करो, उर मान।। कोई ठग ले तुमको यारों,  पर ठगने का, न रखे,जुबान। पापाचर   ठगी   चोरी  से, सद जीवन का, है नुकसान ।।  थोड़ी उम्र वही है पाता , कृत्य पाप , करता अभिमान। त्यागी जीवन जीना सीखें, सुख का है,अविरल पैगाम।। ऊंचे पद  कुल,  काम न आते, सद कर्मों का, लें संज्ञान। सद विचार, सद व्यवहारों से, संभव हैअतुलित बल ज्ञान।। यह जीवन बस थोड़ा ही है, ईश प्रदत्त, इसे बस जान । निर्मल रखें, सदा तन मन को, पर निंदा है, पाप की खान।। वाणी बोले हितकर प्रियकर, ठकुर सोहाती को रख ध्यान। पथ आलोकित रहे निरंतर, बन जीवन के  पथिक महान।। कर्मों से मिलता जीवन में, सुख  व दुख, मान अपमान। चंचल है, जीवन, छाया, मन, धन, प्रभुत्व, यौवन यह मान।।                           रचन

शिकसा में हर कार्यक्रम का होता है आयोजन : टीकाराम सारथी

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शिकसा में हर कार्यक्रम का होता है आयोजन : टीकाराम सारथी  (मेरे तो गिरधर गोपाल कार्यक्रम का हुआ आयोजन) दुर्ग - (छत्तीसगढ़) :             शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर मेरे तो गिरधर गोपाल.. कार्यक्रम का आयोजन संयोजक डाॅ. शिवनारायण देवांगन "आस" के संयोजन व कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार प्रधान की उपस्थिति व टीकाराम सारथी प्राचार्य चुरतेली व सलाहकार शिकसा के अध्यक्षता में हुआ ।                     कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना सरोजनी साहू सहा. शिक्षक बरभाठा बिलाईगढ़ व राजगीत कांती यादव व्याख्याता जांजगीर ने प्रस्तुत कर किया।                   सर्वप्रथम संस्थापक व संयोजक डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस" कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां हर कार्यक्रम का आयोजन होता है। शिकसा ही एक ऐसा मंच है जहां हर त्यौहार व पर्व को मिलकर मनाते है और भाईचारा व अपनी संस्कृति का निर्वहन करते हैं।           वही प्रातांध्यक्ष कौशलेन्द्र पटेल, कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार प्रधान, संयुक्त सचिव संजय कुमार मैथिल, प्रमोद आदित्य सला

सोहर ( कृष्ण जन्म )

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 सोहर ( कृष्ण जन्म ) यशोदा नंद देवकी के लाल का खेलावंय। प्रभु की लीला कोउ न जानै जन जन का बतलावंय।। उदर माह नौ जेका पालीं,जेल व्यथा बिच सजग सभांलीं। वहि नवजात शिशू जीवन हित उमगी जमुन पठावंय।।यशोदा..... धन्य भाग कालिंदी जल की,नंद यशोदा प्रीति अटल की। उछल लहर चरनन का चूमैं पुनि पुनि माथ लगावंय।।यशोदा........ सकल पहरुआ नींद में सोये,कोऊ न जाना कान्हा रोये। मुक्त हुए वसुदेव सूप ले शिशु सिर गोकुल पठावंय।।यशोदा........... प्रात बधइया नंद घर बाजी,द्वार गोप बालाएं नाची। मगन देवकी जेल प्रभू से ,प्रभु की खैर मनावंय।।यशोदा............... सुबह यशोदा कन्या रोदन,सुनि जागे प्रहरी कर्मी जन। यह संदेश कंस घर द्रुतगति पहरेदार पठावंय।। यशोदा......... - डाॅ0 रामसमुझ मिश्र अकेला

सोनभद्र नगर में कृष्ण जन्मोत्सव झांकी की परंपरा प्राचीन है : दीपक कुमार केसरवानी

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सोनभद्र नगर में कृष्ण जन्मोत्सव झांकी की परंपरा प्राचीन है : दीपक कुमार केसरवानी    सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट) जनपद मुख्यालय सोनभद्र नगर की झांकी की परंपरा प्राचीन है।   प्राचीन काल में श्री कृष्णा जन्मोत्सव के रूप में सारे देश भर में प्रसिद्ध है। स्थानीय निवासी/इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-" रॉबर्ट्सगंज नगर में श्री राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण नगर के रईस, व्यापारी, आजाद भारत के नोटिफाइड एरिया के प्रथम अध्यक्ष बलराम दास केसरवानी ने कराया था और सार्वजनिक रूप से इस मंदिर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी मनाने की परंपरा का आरंभ हुआ जो आज भी जारी है। उत्तर मोहाल में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी की शुरुआत से पहले बच्चे पुराने खिलौने की मरम्मत, झडी-पतंगी बनाना शुरू कर देते थे और नए खिलौने खरीदने के लिए पैसे का एकत्रीकरण आरंभ हो जाता था। सबसे ज्यादा उत्साहित होते थे, बच्चे, आपस में मिलकर सभी बच्चे रुपया- पैसा एकत्रित कर जन्माष्टमी की तैयारी शुरू कर देते थे।     इस झांकी में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले माता प्रसाद के अनुसार-"आज से लगभग स

कान्हा एक बार फिर चले आना...

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कान्हा एक बार फिर चले आना... कहां अब कोई शबरी के झूठे बेर में, वो अनोखा प्रेम देखता है  कहां सुदामा के लाए अन्न के दाने को, देख कोई अश्रु बहाता है प्रेम अश्रु सबके आंखों में सजा जाना कान्हा एक बार फिर चले आना... कहां रख दी तूने वो बांसुरी, जिसकी धुन से राधा,गोपी दौड़ी चली आती थी वातावरण खिल खिल सी जाती थी, सबके हृदय में परस्पर प्रेम अनुराग बिखरे, बांसुरी की सुरीली धुन छेड़ने फिर चले आना कान्हा एक बार फिर चले आना... राधा सा प्रेम,मीरा थी तेरी प्रेम दीवानी अधर पर कृष्ण,इकतारा पर रटती तेरी कहानी इस काल में लुप्त होता प्रेम महिमा प्रेम की समझाने आ जाना कान्हा एक बार फिर चले आना... मम्मी से अब मैया कह जाए, माखन के लिए जिद कर जाए, वही लल्ला वाला प्यार लिए चले आना कान्हा एक बार फिर चले आना.. धन अब प्रधान हो कालिया बन गया है, रिश्तों पर कुंडली मार बैठ गया है, कर देना कालिया का  अब नाश, रिश्तों पर मोहिनी मंत्र बिखरा जाना, कान्हा एक बार फिर चले आना... - उमा पुपुन रांची, झारखंड

जय मुरलीधर

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जय मुरलीधर  हे माखनचोर , नंदकिशोर  सदा आपकी  जय हो  । हे  विश्वात्मा  , हे परमात्मा  सदा आपकी जय हो  ।  हे कमलनाथ, हे जगन्नाथ  सदा  आपकी  जय  हो।  हे कंसदलन , हे कमलनयन  सदा आपकी जय हो।  हे मधुसूदन  , हे मनमोहन   सदा आपकी  जय हो ।  हे  दामोदर  , हे मुरलीधर   सदा  आपकी  जय हो ।  हे  राधेश्वर्  , हे  सर्वेश्वर   सदा  आपकी  जय  हो  ।  हे बनवारी, हे बांकेबिहारी  सदा आपकी  जय हो  ।  हे  जगदीश्वर्  , हे श्यामसुंदर  सदा आपकी जय हो ।  हे मुरारी  , हे  सुदर्शनधारी  सदा  आपकी  जय हो  ।  हे  गोपाल , हे नंदलाल     सदा   आपकी  जय  हो  ।  हे  निरंजन , हे कुंजलोचन  सदा  आपकी  जय  हो ।  हे   मनोहर  , हे   योगेश्वर   सदा  आपकी  जय हो  ।  हे  देवकीनंदन, हे यशोदानंदन सदा आपकी जय हो ।  - चंद्रकांत  पांडेय   मुंबई ( महाराष्ट्र )

शिक्षक दिवस - 5 सितंबर

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शिक्षक दिवस - 5 सितंबर  शिक्षक  ज्ञान का सुंदर वाहक ,  करता ज्ञान का सर्वोत्तम प्रसार।  खुद  दीपक  सा  जलकर  भी ,  पूरे समाज का  करे  उद्धार । अनगढ़ पत्थर को मूर्ति बनाना,  शिक्षक का कार्य  बड़ा दुष्कर ।  अज्ञान  के  घोर तिमिर से ,  दूर निकाले खुद हो  तत्पर ।  शिक्षक सदा  पूजित समाज में,  समस्त गुरुजन को सादर नमन।  उपाधि ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश  की  ,  कल्याणकारी है जिनका कथन ।  विद्या माता  के  सदृश हमारी ,  पिता  सम  शिक्षक को  जानिए।  यह परम ज्ञान  मनु  ने दिया  ,  उन्हें आदि गुरु सम  मानिए ।   राम गुरु वशिष्ठ ,कृष्ण गुरु सांदीपनी,  शिक्षक  एक  से   एक  महान ।  ईश्वर  को  भी  शिष्य बनाए  ,  स्थापित  किया  उत्तम स्थान।  शिक्षक कर्मठता की प्रतिमूर्ति,  बच्चों  को आदर्श बनाता है।  प्रेरित करता, निरंतर छात्रों  को,  उन्नत मार्ग दिखाता  है।  शिक्षक  स्वयं  राष्ट्र निर्माता है ,  खुद ही इतिहास बनाता है ।  प्रत्येक विषय का ज्ञान  कराकर  ,  राष्ट्र निर्माण  सिखाता है  ।  शिक्षक दिवस के अवसर पर ,  समस्त गुरुजन को सादर  नमन।  चरितार्थ करें अपने उपाधि  को,  यही सभी का नम्र निवेदन।  -

गुरु ज्ञान आधार

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गुरु ज्ञान आधार  करना गुरु की वंदना, करना गुरु का जाप। गुरू ज्ञान की रौशनी, स्वयं गुरू जी आप।। गुरु बिन जीवन व्यर्थ है, गुरु बिन सब बेकार। गुरू ज्ञान जिसको मिला, हुआ जन्म साकार।। अंधकार के फंद से, गुरू छुडावें आन। हित्त-चित्त देकर सुनों, प्यारे गुरु का ज्ञान।। गुरु शिक्षा की देहरी, अद्भुत देवस्थान। ज्ञान ज्योत प्रतिदिन जले,  आलोकित प्रस्थान।।  - सुखमिला अग्रवाल भूमिजा  जयपुर राजस्थान

हाय ! मैं क्या बोलूं

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हाय ! मैं क्या बोलूं  नफरत, फितरत, मजहब, संगीनें मै क्या बोलूं घुटता दम इंकलाब का अब मै क्या बोलूं छदम लोकतंत्र, छदम राष्ट्रवाद, छदम राष्ट्रहित, हाय! कैसी ये मज़बूरी है चलती लेखनी अब सोने के सिक्कों पर मैं क्या बोलूं बंदेमातरम सिर्फ मंचों पर इंकलाब अब घुटनों पर है सम्बाद, धरने, विरोध, प्रदर्शन सब तय करती संगीने अब क्या बोलूं संविधान पर  धूल जमा है न्याय देते अब बुलडोजर हाय!मै अब क्या-क्या  बोलूं युवा साहित्यकार-  वैभव पाण्डेय कादीपुर, सुल्तानपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सोनभद्र के छपका खंड का वनविहार कार्यक्रम हुआ संपन्न

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सोनभद्र के छपका खंड का वनविहार कार्यक्रम हुआ संपन्न सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सोनभद्र के छपका खंड का वनविहार कार्यक्रम बहुत ही हर्षोल्लास के साथ  पंचमुखी महादेव मंदिर पर बाबा भोलेनाथ के दर्शन के साथ प्रारंभ हुआ। सोनभद्र विभाग के विभाग बौद्धिक प्रमुख नंदलाल ने बौद्धिक उद्बोधन में कहा कि समाज में चरित्रवान व्यक्ति की आवश्यकता है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शक्ति दिन प्रतिदिन लगने वाली शाखा है। संघ की प्रार्थना में हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे ईश्वर हमें अजेय शक्ति दें। इस जीवन में कई प्रकार के  असामान्य संकट आने वाले हैं।  कंटका किर्ण मार्ग पर चलने के लिए मुझे ऐसा ज्ञान दीजिए कि हम विचलित ना हो, मेरा ध्येय कहीं से न टूटे, जीवन पर्यंत संघ कार्य करते रहें। संघ का कार्य विशुद्ध रूप से ईश्वरीय कार्य है। भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि,  ''परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥''  संघ का स्वयंसेवक भी वही कार्य करता है। वह