किसी भी देश की संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासतें उस देश की सभ्यता का पैमाना होता है : डॉ. भरत शर्मा

किसी भी देश की संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासतें उस देश की सभ्यता का पैमाना होता है : डॉ. भरत शर्मा 
उक्त विचार पंचकन्या और संस्था द्वारा आयोजित कला संस्कृति लोक मंच २०२३ के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. भरत शर्मा (सदस्य - सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत सरकार) ने अपने उद्बोधन में कहे । आपने कहा कि भारतीय संस्कृति - वसुदैव कुटुम्बकम्, अहिंसा, त्याग, सत्यमार्ग पर चलने की, देश प्रेम और अपने माता-पिता, गुरु, धर्मपरायणता और अध्यात्म के प्रति समर्पण की संस्कृति है। 
सभागार में युवाओं की अधिक संख्या देख उन्होंने आयोजकों को बधाई दी और युवाओं को भारतीयता और भारतीय संस्कृति की जड़ो से जुड़े रहने का आह्वान किया। 

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खचाखच भरे सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री, म. प्र. शासन उषा ठाकुर, झारखंड से महापौर आशा लाकरा, दिल्ली से डॉ. कुमुद शर्मा ने भी उपस्थित सांस्कृतिकर्मी और कलाप्रेमियों को संबोधित किया। 

इंदौर से सांसद शंकर लालवानी ने बताया किस तरह उनकी संस्था संस्कृति लोक मंच का गठन हुआ और संस्था द्वारा किए लोक संस्कृति के उन्नयन, संरक्षण के लिए किए कार्यों पर रोशनी डाली।

झारखंड से पधारी महापौर आशा लाकरा ने भारतीय संस्कृति, लोक संस्कृति और भारतीय परंपराओं पर पौराणिक उदाहरणों से अपना विषय रखा।
दिल्ली से पधारी कुमुद शर्मा ने भारतीय सांस्कृतिक उन्नयन हेतु साहित्यिक महत्व पर अपने विचार रखे ।

म.प्र. संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने संस्था को बधाई दी और ऐसे आयोजन के सामयिक महत्व और भारतीय संस्कृति के प्रति युवाओं के दृष्टिकोण पर अपनी बात रखी।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीपप्रज्वलन से हुई, ओडीशी विधा में गणेश वंदना के पश्चात अतिथि स्वागत, परिचय और आभार आयोजनकर्ता संस्था पंचकन्या वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्षा समीक्षा नायक ने किया । 

उक्त कार्यक्रम में प्रदेश भर से संस्कृतिकर्मी, कलाकार व कलाप्रेमी उपस्थित रहें ।

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