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होली के शुभ अवसर पर मदैनियां गांव में हुआ रामचरित मानस पाठ का आयोजन

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होली के शुभ अवसर पर मदैनियां गांव में हुआ रामचरित मानस पाठ का आयोजन करमा- सोनभद्र :  करमा क्षेत्र अंतर्गत गांव मदैनिया में भव्य राम चरित मानस का आयोजन किया गया। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी होली की समाप्ति पर हनुमान मंदिर पर यह आयोजन किया गया। लोग रंगो के आनंद के साथ ही मानस पाठ का आनंद लेते दिखे। जिसमे राम जन्म का बहुत ही रोचक गायकी बबोल दुबे द्वारा गाई गई जिसमें   उपस्थित सभी लोगों ने राम रस में डूबते हुए दिखे। उपस्थित लोगों में बबोल दुबे के साथ- साथ अर्जुन शुक्ला, लवकुश तिवारी, राकेश तिवारी, दीपक, अरुण कुमार आदि लोग उपस्थित रहे।

निर्मला सिन्हा जी द्वारा लिखा भजन- जय माँ अन्नपूर्णा

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निर्मला सिन्हा जी द्वारा लिखा भजन-  जय माँ अन्नपूर्णा  ( जय माँ अन्नपूर्णा )   करें कल्याण सबका माता अन्नपूर्णा  खुशियों से भरे भंडार माँ अन्नपूर्णा  हे माँ ना सोए कोई भूखे पेट ना रहे  कोई गरीब सब पर अपनी दया दृष्टि रखना समान । हें माँ  है काशी में  आपका दिव्य मंदिर करतीं सबका उध्दार हो । आपके आशीर्वाद की पूर्ति प्रसाद  से भरा रहता  है भंडार मैय्या । ना करों माँ अन्नपूर्णा का अपमान  जिससे भरता है सबका पेट। मेहनत और सच्चाई से अपना धर्म कर्म करों । ख़ुशी और उत्साह से जीवन बदलेगा  जब पूरी निष्ठा से माँ अन्नपूर्णा का  सम्मान करोगे । घरों में धान्य स्थिरता बनेंगी  जब आप साफ स्वच्छ,शांतचित् होकर अपना कार्य करेंगे, और घर  में, रह रही माँ  बेटी का मान सम्मान  करेंगे । बनेंगी कृपा दृष्टि मैय्या की तुम पर। जय माँ अन्नपूर्णा ! खुशियों से भरे सबका भंडार  सब पर अपनी कृपा बरसाओ  ऐसा आशीष हम पर बरसाओ।। रचनाकार- लेखिका निर्मला सिन्हा ग्राम जामरी, डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ 

वो लोबान की खुशबू मीरा की भजन : अनूप कुमार श्रीवास्तव

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वो लोबान की खुशबू मीरा की भजन : अनूप कुमार श्रीवास्तव  इजाजत मुहब्बत की यूहीं नहीं मिलतीं, जब तक नही गिरतीं दिल पे बिजलियां ।1 हुश्नोंअदाएं उनकीं  छलावों  का  शहर है , बचातें  रहें मकां हुई पत्थरों की आंधियां।2 सुकून ओ चैन के यहाँ  सब है दिवानें , इसी की तलाश में ही बीत गई सदियाँ।3 तेरे मिरे बिगैर  यें दुनियाँ कहां होतीं , जी भर के जंग हुई इश्क़ में लड़ाईयां।4 हम  लुट गयें  के बिक गयें सरे बाजार में,  आदमी  के झूठें शौक में बजीं शहनाईयां।5 बड़ी हिकमत  से खूबसूरत सजाई गई ,   माथें सजीं है बिंदियां कानों में बालियां।6  मन बन गया जबसे ये वृंदावन मेरा, राधा सी घूमतीं हो वो लेकर गोपियां।7 अरसा हुआ फ़लक पे महताब को देखें , दिखनें लगा शहर में इधर  चाँद  दूधियां।8 वों लोबान की खुशबू है  मीरा के भजन सीं, करतीं है मन ही मन में जमके  यूही डांडिया।9 काँधे पे किसी के चढ़नें को राज़ी नहीं है, कब तक बनें रहेंगे सियासतीं बैसाखियां।10 शेरोसुखन का शौक़ भी औ बे अदब भी ,  पसीने-पसीने हुऐं बैठातें रदीफ क़ाफिया  महफ़िलें अदब में आएं है यू फकीर  भी ,  खजाने में इश्क़  है कासे  में सिसकियाँ।10 -अन

आइए पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखे भजन

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आइए पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखे भजन भजन  आए हरि तुम्हारे द्वार, कर दो अब मेरा उद्धार। छल प्रपंच का जाल, रोग शत्रु डरावे काल, घबराए बिना अपाल , रक्षा करो हे पालनहार, आए हरि तुम्हारे द्वार, कर दो अब मेरा उद्धार। मन को नहीं है चैन, तड़पे प्राण दिन रैन , दर्शन को तरसे नैन , जीवन हुआ है दुश्वार, आए हरि तुम्हारे द्वार, कर दो अब मेरा उद्धार। न जाने विधि भक्ति की,  क्या गहराई आसक्ति की , दिशाहीन पड़ी शक्ति की, हाथ पकड़ करो भवपार,  आए हरि तुम्हारे द्वार, कर दो अब मेरा उद्धार।।   सीमा वर्णिका  कानपुर, उत्तर प्रदेश