संदेश

रचना/संपादकीय लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हे! विश्वकर्मन

चित्र
हे! विश्वकर्मन                         (कविता) तू हो प्रतापी वंश के, विश्वकर्मा अंश के। पुरुषार्थ कर आगे बढ़ो, सन्मार्ग पर चलते चलो। हर पंथ में तू मुख्य हो, यांत्रिक गुणों मे पूज्य हो। ना हीन मानो आपको, कौशल परिश्रमी हाथ को। संकल्प ले हर काम कर, उद्धार अपना स्वयं कर। फिर जो विपत्ति आएगी, निश्चिंत हो टल जायेगी। तू सृजक बचपन से हो, इंजीनियर बचपन से हो। संसार में हो वंदनीय, हर कौम में हो पूजनीय। तू सुख दिया संसार को, उन्नत किया औज़ार को। अद्भुत तुम्हारी है कला, करते रहे भू पर भला। उद्योग धंधों के जनक, व्यक्तित्व तेरा है सजग। थामों अनुज के हाथ को, अपने सभी का साथ दो। इतिहास उज्ज्वल है तेरा, न कर कभी तेरा मेरा। मत ना समझ मजबूर हो, बस एकता से दूर हो। आओ जुड़े हम संघ से, जीवन बिताएँ रंग से। तू छोड़ कलुषित आचरण, श्रम को बस करके वरण। शिक्षा पर अब तू ध्यान दे, बच्चों को इसका मान दे। हर जाति में जयकार हो, जब सद्गुणी विचार हो। सब मान देंगे ही तभी, पथ भ्रष्ट ना होना कभी। रचनाकार: डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा                 सुन्दरपुर वाराणसी

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती

चित्र
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती  वीर  रस  के श्रेष्ठ  कवि, दिनकर  जी  का वंदन  है।  राष्ट्रकवि  के जन्म दिन पर,  उनका हार्दिक अभिनंदन है। गद्य  , पद्य  दोनों  ही  विधा में,  दिनकर  हिंदी के  दिव्याकाश।  कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी , उर्वशी,  हुंकार से गूंजा साहित्याकाश।  वह  धन्य सिमरिया  की माटी,  दिनकर  सदृश  दिनकर जन्म लिए।  अपनी  सादर उपस्थिति  से,  हिंद  की  धरती  धन्य किए । एक  ओर दिखाई पड़ती हैं ,  कोमल श्रृंगारिक रचनाएँ ।  दूसरी तरफ वीरता के अमर भाव ,  वीर  रस  युक्त अप्रतिम कविताएँ । चर्चित  उर्वशी रचना हेतु मिला,  साहित्यिक ज्ञानपीठ पुरस्कार।  सामाजिक समानता के रहे पक्षधर,  पद्म भूषण भी  हुआ स्वीकार। जन्मदिवस  पर आज दिनकर को,  श्रद्धा  के  प्रसून  समर्पित हैं ।  एक  छोटे  से  दीपक  हैं  हम,  भावपूर्ण  शब्द  ये  अर्पित  हैं । रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय  मुम्बई/महाराष्ट्र 

श्री गणेश

चित्र
श्री गणेश देवों    के   देव   ,  महादेव   जी  ,  उनके पुत्र श्री गणेश की जय हो ।  गौरीसुत, लंबोदर की कृपामात्र से,  समस्त लौकिक पापों का क्षय हो।  हे    लंबोदर , प्रथमेश्वर , विघ्नेश्वर ,  अवनीश  ,    गदाधर  ,   पीतांबर ।  जय  हो  , विनायक , वक्रतुंड  की ,  रक्षा  करें  ,  गणपति  ,   एकाक्षर ।  भालचंद्र  ,  श्री महागणपति   की ,  सदा     सर्वदा     ही    जय    हो ।  भक्ति  करें श्री गणेश महाराज की ,  गजानन कृपा तो सबकी विजय हो।  रिद्धि  , सिद्धि  सदा  सुख  प्रदात्री ,  ये    देवियाँ  करें  सबका कल्याण ।  भक्त      रक्षक      श्री     गणपति ,  प्रथम    देव       हैं     देव    महान ।  बुधवार  इनका  दिन अति  पवित्र ,  प्रथमेश्वर्      का     पूजन    वार  ।  रक्षा    करें      सदा    विश्व    की  ,  ले     त्रिशूल   ,  पाश   ,  तलवार  ।  भ्राता     उनके    कार्तिकेय   जी  ,  सुपुत्री    दयावान  संतोषी  माता  ।  अधिपति  श्री गणेश  जलदेव  के  ,  मोक्षदायक गजानन भाग्यविधाता ।  भक्तों    के     रक्षक  ,   उद्धारक  ,  मूसक    है    श्री   गणेश  सवारी  ।  प्रिय    भोग   मोदक    है   

गुरु ज्ञान आधार

चित्र
गुरु ज्ञान आधार  करना गुरु की वंदना, करना गुरु का जाप। गुरू ज्ञान की रौशनी, स्वयं गुरू जी आप।। गुरु बिन जीवन व्यर्थ है, गुरु बिन सब बेकार। गुरू ज्ञान जिसको मिला, हुआ जन्म साकार।। अंधकार के फंद से, गुरू छुडावें आन। हित्त-चित्त देकर सुनों, प्यारे गुरु का ज्ञान।। गुरु शिक्षा की देहरी, अद्भुत देवस्थान। ज्ञान ज्योत प्रतिदिन जले,  आलोकित प्रस्थान।।  - सुखमिला अग्रवाल भूमिजा  जयपुर राजस्थान

सोलह आने सच

चित्र
सोलह आने सच  भारत भूमि बड़ी पूज्य भूमि,  विश्व जानता  और मानता।  सोलह आने सच यह बात,  सभ्यता, संस्कृति भी पहचानता।  राम, कृष्ण, सीता की जन्मस्थली ,  बुद्ध, और महात्मा गाँधी।  सोलह आने सच है, उन्ही के दम पर,   फैली देशानुराग की आँधी।  राणा, शिवा, भगत, आजाद का,  त्याग  महके  बनकर चंदन।  सोलह आने यह बात सच है,  ऋणी रहेगा सदा वतन।  ऋषि, मुनियों की यह धरती,  उनका तपोबल कल्याणकारी।  सोलह आने सच बात  यह,  भारत भूमि  चमत्कारी।  रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय मुंबई / महाराष्ट्र 

प्रभाती

चित्र
प्रभाती चीं-चीं करती आती चिड़िया। भोरे हमें जगाती चिड़िया।।                      ‌मीठे गीत सुनाती चिड़िया। मचक-मचक शोर मचाती चिड़िया।। मन को खूब लुभाती चिड़िया।          रोज हमें जगाती चिड़िया।। प्यारी-प्यारी भोली-भाली।       रंग-विरंगें पंखों वाली।। तिनका-तिनका चुन चुनकर।              बनाती घरौंदा बुन बुनकर।।  डाल-डाल पर फुदक-फुदक कर।     दाना चुगती चहक-चहक कर।। अपने अंडो को वह है सेती।              अपना जीवन उसे है देती।।  जीवों का कलरव जो,  दिनभर सुनने में मेरे आवे। प्रभु का ही गुणगान जान,  मन प्रमुदित हो अति सुख पावे।। रचनाकार - डॉ गौरीशंकर उपाध्याय गिरिडीह (झारखण्ड )                      ‌                         

दर्द ए मोहब्बत

चित्र
दर्द ए मोहब्बत  लोग कहते हैं मोहब्बत जिंदगी देती है,  पर हम तो कब के मर चुके हैं॥ जिस दिल में तेरा नाम बसा था,  मैंने वो दिल तोड़ दिया। ना होने दिया बदनाम तुझे,  तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया॥ जा भुला दिया है तुझे तू मेरा जिक्र ना कर,  मेरे खैरियत की अब तू फिक्र ना कर॥ छोड़ दे तन्हा मुझे मेरे हाल पर,  तू दर्द देकर हमदर्द बनने की कोशिश ना कर॥ लेखक- पं० आशीष मिश्र उर्वर कादीपुर, सुल्तानपुर

अखंड सुहाग का वरदान दे दो माँ

चित्र
अखंड सुहाग का वरदान दे दो माँ हे माँ सावित्री, आपके चरणों को छूकर करती हूं प्रणाम..... हे माँ, अखंड सुहाग का हमें दे दो वरदान........ पूरी दुनियां आपकी पति भक्ति की गीत हैं गाती....... आपके सम्मुख बड़े प्रेम से ज्योत है जलाती.... आप प्रेम हैं, तपस्या  हैं, आप ही जगदम्बा हैं... सच्चा प्रेम होने का प्रमाण भी आप स्वयं हैं... वट वृक्ष पर सारी औरतें अखंड सुहाग की कामना कर रही हैं माँ..... स्वयं आकर अपना आशीष दे जाएं मां..... डलिए में कुछ फूल, फल सिंदूर सजाकर लाई.... स्वीकार कर लो माँ, जो भी मैं लाई..... यमराज ने भी आपकी पति भक्ति  के सामने हार मानी.… दिया सत्यवान को जीवन दान, सौ पुत्रों की माँ होने की आशीष भी दे डाली..... सोलह श्रृंगार कर आई हूँ वट वृक्ष के पास......… मेरे सजना हमेशा रहे मेरे साथ........ अपने सजना के दिल में बसी रहूं.... उनका प्यार, आशीष सदैव पाती रहूँ ......। ✍️ उमा "पुपुन" की लेखनी से.. रांची, झारखंड

अक्षय तृतीया की शुभ घड़ी है आई

चित्र
अक्षय तृतीया की शुभ घड़ी है आई ठंडी ठंडी बयार से प्रफुल्लित हुआ मन, पंछी भी कितने चहचहाने लगे, भास्कर का उदित नारंगी संग हुआ आगमन... बादल भी जैसे नारंगी रूई के फाहे से सुशोभित हुईं, प्रकृति ने क्या सुबह की मनोरम बेला बिखराई.. रोज़ की भांति पंछियों के दाना, पानी हमने रखा, क्या बताएं कि मन हमारा कितना खुश हुआ.. अक्षय तृतीया की शुभ घड़ी है आई.. पूजन करें श्री लक्ष्मीनारायण, शिव पार्वती मां का, सुख, सौभाग्य, समृद्धि हेतु शांतचित्त आराधना करें.. कभी खत्म न होने वाली खुशी, क्षय न होने का दिन, तृतीया तिथि को मनाई जाती,अक्षय तृतीया का है वो शुभ दिन.. विशेष इसलिए भी हो जाता है आज का दिन, महर्षि परशुराम के अवतरण का भी है शुभ दिन.. मां गंगा के स्वर्ग से धरती पर अवतरित होने का दिन, राजा भागीरथ के तपस्या साकार होने का है दिन.. महर्षि वेदव्यास के महाभारत लिखने का है शुभ दिन, विवाह, गृह प्रवेश, आभूषणों को खरीदने का है शुभ दिन, पितरों को पिंडदान, तर्पण कर पूर्वजों से आशीष पाने का दिन.. चलो आराधना हम देवी देवताओं  का करें, धूप, दीप प्रज्जवलित कर घर की खुशियाली के लिए प्रार्थना करें.. रचनाका