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ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता क्यों?

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ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता क्यों?                    कहते है कि energy pervades nature, यानि प्रकृति ऊर्जा से व्याप्त है।पृथ्वी पर प्रत्येक जीवधारियों का नियमन  ऊर्जा द्वारा ही होता है। हमारे जीवन के कार्यों को संपादित करने हेतु हमे किसी न किसी प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्रकृति व ब्रह्मांड में ऊर्जा का असीमित भंडार विद्यमान है। कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा, जबकि ऊर्जा प्रदान करने की दर को शक्ति कहते है। व्यक्ति अपने शारीरिक कार्यों को भी करने हेतु प्रतिदिन खाद्य ऊर्जा का ही उपयोग करता है। ऊर्जा के दो मुख्य प्रकार में, स्थिति ऊर्जा, जो वस्तु की स्थिति के कारण होती है, उसे स्थिति ऊर्जा, व दूसरी गतिज ऊर्जा, जो वस्तुओं में गति के कारण उत्पन्न होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते है।  ऊर्जा के और कई प्रकार है जिसमे, यांत्रिक ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा, तापीय ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा व परमाणु ऊर्जा, प्रमुख है। आइए थोड़ा इन ऊर्जा के प्रकारों पर विस्तार से जानकारी हासिल करें । विद्युत ऊर्जा, बिजली के कंडक्टर में, इलेक्ट्रॉन द्वारा वहन क

धारा ३०२ जमानती है या नहीं, पढ़ें पूरा लेख

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धारा ३०२ जमानती है या नहीं, पढ़ें पूरा लेख   (आईपीसी की धारा ३०२) हत्या के एक आरोपी को अपराध का दोषी साबित किया गया है, धारा ३०२ ऐसे अपराधियों के लिए सजा का प्रावधान करती है। इसमें कहा गया है कि जिसने भी हत्या की है उसे या तो आजीवन कारावास या हत्या की गंभीरता के आधार पर मृत्युदंड और जुर्माने से दंडित किया जाएगा। इस धारा के तहत मामलों में अभियुक्त का मकसद और इरादा साबित होता है। हत्या के आवश्यक तत्वों में शामिल हैं, इरादा- मौत का कारण बनने का : इरादा होना चाहिए मौत का; कारण : कार्य को इस ज्ञान के साथ किया जाना चाहिए कि कार्य से दूसरे की मृत्यु होने की संभावना है; शारीरिक चोट : ऐसी शारीरिक चोट का इरादा होना चाहिए जिससे मृत्यु होने की संभावना हो। इस धारा के अनुसार जो कोई भी हत्या करता है उसे मृत्युदंड, आजीवन कारावास से दंडित किया जाता है। दोषी पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। एक हत्या के मामले में एक नाबालिग की सजा के मामले में बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों से संबंधित हर मामले में किशोर दोषियों को मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति जो लगभग १७ वर्ष या १८ वर्ष के

शक्ति और संकल्प की जीत का पर्व विजया दशमी : ममता श्रवण अग्रवाल

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शक्ति और संकल्प की जीत का  पर्व विजया दशमी : ममता श्रवण अग्रवाल  अभी अभी हमने दशहरा पर्व मनाया और हम में से बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न अवश्य रहता है कि नौ दिवस तक हमनें माता की आराधना की और दशम दिन हम माँ की मूर्तियों का विसर्जन कर दशहरा क्यों मनाते हैं? तो चलिए हम इस विषय में बात करते हैं। सबसे पहले मैं बताना चाहूँगी कि मैं ईश्वर की निराकार सत्ता को मानती हूँ और यह सत्ता कैसे साकार रूप लेती है, यह मैं बताना चाहूँगी कि वह  यह है कि जैसे इलेक्ट्रिक की पॉवर जिस आकार में प्रवेश कर जाती है, वह उसी का आकर ले लेती है, जैसे यदि वह पॉवर बल्ब में है तो हम बोलते हैं कि बल्ब जल गया और यदि यह पॉवर ट्यूबलाइट में चली तो हम बोलते हैं कि ट्यूबलाइट जल गई। इस प्रकार पॉवर का कोई लिंग नहीं है ।यह जिस लिंग में  प्रवेश कर जाती है, वहाँ जाकर यह वैसी बन जाती है।ठीक इसी प्रकार की शक्ति समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त है और जब यह शक्ति  किसी पुरुष स्वरूप में प्रवेश कर जाती है तो हम उसे देवता कहते हैं और जब यह शक्ति किसी नारी स्वरूप में आ जाती है तब हम उसे देवी कहते हैं ।  अब बात आती है कि क्या ये

बुजुर्गों का सम्मान, क्यों और कैसे : सुधीर श्रीवास्तव

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बुजुर्गों का सम्मान, क्यों और कैसे : सुधीर श्रीवास्तव        आधुनिकता की अंधी दौड़ ने हमें इस कदर अंधा कर दिया है कि हम अपने रीति रिवाज, तीज-त्योहारों, संस्कारों, परंम्पराओं का मजाक उड़ाते ही जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब इस आधुनिकता के क्रूर राक्षस का हमला हमारे परिवार और रिश्तों पर भी प्रहार करने लगा है। दिखावे और स्वछंदता की बढ़ती प्रवृति ने हममें राक्षसत्व सरीखा भाव पैदा करने का कुचक्र  हावी होने का संकेत साफ दिख रहा है।        सच कहें तो इस विषय में कुछ भी कहना, सुनना भी किसी शर्मिंदगी से कम नहीं है। मगर हम सब तो शर्म को घोलकर पी चुके हैं और पूरे बेशर्म ही नहीं बेहया भी हो चुके हैं। हो सकता है कि कुछ लोग मेरी बातों का गलत अर्थ निकालने लगे हों,लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। माना कि आप अपने बुजुर्गों का बड़ा मान सम्मान करते हैं, मगर क्या अपने पड़ोसी द्वारा अपने बुजुर्गों की उपेक्षा और अपमानित करने वाली प्रवृत्तियों का आपने विरोध किया, रोकने की कोशिश की,शायद नहीं और ऐसा न करने की वजह भी है कि किसी और के पारिवारिक मामले में दखल उचित नहीं है। आप सही भी हैं मगर ये सामाजिकता नहीं है।

शिक्षा के कुछ पुष्प मां सरस्वती की सेवा में वंदित कर सका तो यही मेरा अर्पण है : वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय

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मां सरस्वती के पूजन के अवसर पर बसंत पंचमी के दिन साहित्य सम्मान कार्यक्रम कवि के साथ कॉफी का तीसरा भाग डॉ सत्या होप टॉक के कहां से जहां तक की यात्रा पटल  16 से 25 फरवरी  तक प्रसारण किया जाएगा.  पूरे वर्ष मां सरस्वती की पूजन और पूरे समाज को शिक्षा से भरने के लिए चलाए जा रहे, अभिनव प्रयास जिसके निमित्त वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक हैं, अपना सोशल मीडिया अकाउंट और अपने समय का पूरा सदुपयोग  समाज के लिए कर रहे हैं, एक उदाहरण है. उनके द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान से वैश्विक पटल पर छाए हुए मूर्धन्य विद्वान से लेकर शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे हैं नवांकुर सभी लाभ प्राप्त कर रहे हैं.  कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनके द्वारा निवेदित फार्म भी बहुत प्रासंगिक है. DrSatyaHopeTalks  के द्वारा चलाये जा रहे शिक्षा अभियान में भाग लेने के काव्य गंगा होलीकोत्सव 14 मार्च से 28 मार्च के लिए फॉर्म यहां है. ⬇️ https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSd-KGruFk6jU64C-aRwGUdDYIrPJVHXotVbrOohMX1LawS8ag/viewform पूर्व के कुछ कार्यक्रम यहां पर आप सभी के समक्ष