संदेश

वृद्धावस्था पर रचना लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वृद्धावस्था : ओम प्रकाश श्रीवास्तव

चित्र
वृद्धावस्था : ओम प्रकाश श्रीवास्तव धीरे धीरे उम्र बढ़े,  वृद्धावस्था सिर चढ़े, एक नया अनुभव तब मानव  है पाता। खेल  में बीता जीवन, युवावस्था  लाया धन, वृद्धावस्था जब आई, बेटा हुकुम चलाता। पूरे घर का था प्यारा, था जो जीवन सहारा, आज है कैसा बदला, निज तात को भगाता। आश्रम भेज माँ बाप, किया अतिशय पाप, फिर भी खुद को वह सामाजिक  है बताता।। -ओम प्रकाश श्रीवास्तव