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घर की शान बेटियां : ओम प्रकाश श्रीवास्तव

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घर की शान बेटियां : ओम प्रकाश श्रीवास्तव  (घर की शान बेटियां ) बेटियां बेटियां बेटियां बेटियां, घर की शान होती है  बेटियां, जग का मान होती है बेटियां, पूजन आधार होती हैं बेटियां। बेटियों को उच्च शिक्षित करना, पुत्र पुत्री में कभी भेद न रखना, पुत्री का आंचल खुशी सें भरना, जीवन को सुखमय तुम करना। जीवन का  मर्म  जो जन जानते, बेटियों  को देवी स्वरूप है मानते, बेटी को हैं हृदय में अपने बसाते, शिक्षा निधि है उनमें वह सजाते। आप भी अंधविश्वास को तोड़ो, बेटा बेटी का विभेद उर से छोड़ो, कह ओम बेटा बेटी सभी पढ़ाओ, संस्कारों से इस जग को सजाओ।। -ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम"  कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश 

"झारखण्ड की बेटियां" भी तो हैं : ममता मनीष सिन्हा

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"झारखण्ड की बेटियां" भी तो हैं : ममता मनीष सिन्हा                            हे विश्व!                            अब यहां मात्र जंगल नही है                            झारखण्ड की बेटियां भी तो हैं।        जब तपते पत्थरों का क्रंदन होता है,        न मरीची सरिता का दर्शन होता है,        जब प्रथम वर्षा हरितक्रांति लाती है,        ये कष्टों में भी स्वयं को उपजाती हैं,                            हे विश्व!                            अब यहां मात्र जंगल नही है                            झारखण्ड की बेटियां भी तो हैं।        सिर मुकुट कर्म का बोझ उठाए,        पीठ बांध भारती भविष्य सटाए,        आत्म साहस को सारथी बनाए,        विहंगम मार्गों को ये रौंदती जाएँ,                            हे विश्व!                            अब यहां मात्र जंगल नही है                            झारखण्ड की बेटियां भी तो हैं।         निर्धनता भरे गलियारों में,         अज्ञानता भरे अंधियारों में,         जला शिक्षा का स्वर्ण ज्योत,         नित्य हीं स्वयं को प्रकाशतीं,                             हे