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बेटी दिवस पर विशेष संवाद- बेटियां सुरक्षित कैसे हों : सुधीर श्रीवास्तव

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बेटी दिवस पर विशेष संवाद-  बेटियां सुरक्षित कैसे हों : सुधीर श्रीवास्तव  बेटियों के साथ हो रही दुष्कर्म और हत्या की खबरें को सुनते सुनते सुनते रामधन काका बहुत परेशान थे और सोच रहे थे क्या जमाना आ गया है अब तो यह समाज का और लोगों का भगवान ही मालिक है रामधन काका सोच रहे थे किससे बात करें और क्या बात करें? लेकिन मन नहीं माना तो रामदास से अपने मन की बात कही ही डाली का हो भैया राम दास !देख रहे हो कैसन जमाना आ गया है ? रामदास बोले-क्या हो गया भैया? अब का कही हमैं तौ कुछ समझै नाहीं आवत है।रामधन काका परेशान से होकर बोले।आखिर ई पापियन कै पाप कहाँ समाई।  रामदास बोले-बहुत बुरा समय आ गया है रामधन भैया।समाज में बढ़ रहे पाप की बात तो सही है । रामधन काका रामदास से पूँछ बैठे-आखिर येकर इलाज का है। रामदास के मन में भी आक्रोश था।जिसे रामधन काका ने हवा दे दी। कुछ नहीं भैया बस इसका एक ही इलाज है कि इन पापियों को सार्वजनिक जगहों पर वैसे ही तड़पा तड़पाकर दर्द दिया जाय जैसा कि उसने किसी बहन बेटी के साथ किया हो। रामधन काका की जैसे उत्सुकता बढ़ गई।वे बीच में ही बोल पड़े।मगर ई होई कैसे? रामदास ने रामधन क