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पति का करवा चौथ : सुधीर श्रीवास्तव

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              (लघुकथा) पति का करवा चौथ : सुधीर श्रीवास्तव  पिछले छः माह से लीना बिस्तर से उठ तक नहीं पा रही थी। उसकी बीमारी का शायद कोई इलाज न था। डाक्टरों के अनुसार उसे कोई बीमारी नहीं है।किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था। लीना के पति रघुवर ने लीना को बहुत सहारा दिया। क्योंकि अब तो लीना की दिनचर्चा बिस्तर पर ही बीत रही थी। लेकिन रघुवर ने बहुत ही सलीके से सब कुछ व्यवस्थित कर रखा था।हालांकि दोनों इस स्थिति में चिंतित थे, पर शायद ईश्वरीय विधान में यही सब था। रघुवर आर्थिक रुप से भी टूटते जा रहे थे।परंतु लीना को इसका अहसास तक नहीं होने देते थे।हर समय उसे खुश रखने और हौसला देने का ही प्रयास करते। ऊपर से दुर्भाग्य ये कि वे बेऔलाद भी थे।     इसी बीच करवा चौथ आ गया।लीना व्रत को लेकर परेशान होने लगी, तब रघुवर ने उसे हौसला दिया कि परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।इस बार का करवा चौथ का व्रत मैं तुम्हारे लिए रखूंगा। पहले तो लीना नाराज हुई फिर मजबूरी में उसे रघुवर की बात मान ली। करवा चौथ के दिन पड़ोसी की बेटी ने आकर लीना के हाथों को सुंदर ढंग से मेंहदी से सजा दिया। लीना बस चुपचाप देखती रह