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काव्य कुंभ कोंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोरखपुर की कवियत्री सरिता सिंह को "कोंच साहित्य गौरव सम्मान 2021" से किया गया सम्मानित

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  काव्य कुंभ कोंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोरखपुर की कवियत्री  सरिता सिंह को "कोंच साहित्य गौरव सम्मान 2021" से किया गया सम्मानित  गोरखपुर : देश के सबसे बड़े काव्य कुंभ कोंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोरखपुर की कवियत्री  सरिता सिंह ने वर्चुअल काव्य पाठ करके गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया। बहुमुखी  प्रतिभा की  धनी सरिता सिंह ने सुमधुर काव्य पाठ में स्त्रियों की व्यथा कन्या भ्रूण हत्या, जैसे मुद्दों पर कविता के माध्यम से सामाजिक बदलाव की ओर अपनी मुखर ध्वनि से प्रस्तुतीकरण दिया। संस्था द्वारा कोंच साहित्य गौरव सम्मान 2021 प्रदान किया गया उन्होंने कोंच फिल्म फेस्टिवल आयोजनकर्ता  चंद्र प्रकाश गुप्ता ,पारस मणि, भास्कर मणि एवं संयोजको  को धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम में सम्मिलित करने के लिए अपना आभार प्रकट किया।

कोंच काव्य कुँभ गोण्डा के सुधीर श्रीवास्तव को मिला 'साहित्य गौरव सम्मान 2021'

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कोंच काव्य कुँभ गोण्डा के सुधीर श्रीवास्तव को मिला 'साहित्य गौरव सम्मान 2021'   "कोंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल" के तत्वावधान में देश के सबसे बड़े वर्चुअल कवि सम्मेलन 'कोंच काव्य कुंभ' में अपनी सुंदर प्रस्तुति  एवं 27.09.2021 को एपिसोड 6 के शानदार संचालन के लिए उत्तर प्रदेश के गोंडा शहर के जाने-माने कवि/साहित्यकार आ. सुधीर श्रीवास्तव को "साहित्य गौरव सम्मान 2021" प्रदान कर सम्मानित किया गया।  गौरतलब है कि जाने-माने साहित्यकार आ.पारस मणि अग्रवाल जी के संयोजन, प्रभारी आ.भास्कर सिंह माणिक जी व महाप्रभारी आ.चंद प्रकाश गुप्त चंद्र जी के सहयोग से वर्तमान में देश का सबसे बड़ा वर्चुअल कवि सम्मेलन कोंच काव्य कुंभ गतिमान है। इस सम्मेलन में देश/विदेश के 300 शहरों से 1100 साहित्यकार अपनी सुंदर प्रस्तुतियां देकर इस काव्य कुंभ को सफल बनाएंगे। इस काव्य कुंभ में एक से एक वरिष्ठ साहित्यकार ही नहीं नवांकुर भी अपनी काव्य रचनाओं के पुष्प अर्पित कर रहें है एवं इस महायज्ञ में अपनी काव्य आहुति दे रहे हैं।  निश्चय ही यह वर्चुअल कवि सम्मेलन हिंदी साहित

आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना- मधुशाला

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आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना- मधुशाला  "मधुशाला" मेरे अंदर भी है एक मधुशाला । ख्याल मेरे बने हैं साकीबाला । जज्बात समंदर लेता हिलोरे, कलम परोसे कागज पर हाला । लम्हे जो आज बने साकी हैं । जिंदगी में वही रहते बाकी हैं । तसव्वुर में है ठिकाना उनका, जग में यूँ तो सब एकाकी हैं । नशे की आदत सी पड़ जाती । दिनोंदिन यह बढ़ती ही जाती। मिले नहीं कभी चैन पल-भर , लगे हर राह मयकदे को जाती । दिमाग में बसा एक जुनून सा । मिलता उससे एक सुकून सा । हालत हुई आदी शराबी सी, मय के लिए दिल ममनून सा ।। -सीमा वर्णिका  कानपुर, उत्तर प्रदेश

नशा करे चेतना शून्य : सुधीर श्रीवास्तव

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नशा करे चेतना शून्य : सुधीर श्रीवास्तव  (कविता) क्षण भर के आनंद के लिए अपना ही नहीं अपने परिवार का भी जीवन तो मत बिगाड़िए, तन का नाश, मन का विनाश चेतना को शून्य की ओर तो मत ढकेलिए। सबको पता है आप उन्हें क्या क्या बतायेंगे? मगर शून्य की ओर बढ़ती अपनी ही चेतना में चैतन्यता वापस भला कैसे लायेंगे? ईश्वर का वास भी है  इस तन के मंदिर में, अपवित्र रहकर भला  कैसे ईश्वर को रिझायेंगे कैसे रामधुन और आरती गायेंगे, नशे की लत में पड़कर जब तन ही खोखला हो जायेगा फिर भला अपनी चेतना को कैसे सँभाल पायेंगे? नशा करे चेतना शून्य  तब समझकर भी क्या क्या बचा पायेंगे? जब मंदिर ही खंडहर हो जाये तब ईश्वर भला कैसे वहां विराजमान रह पायेंगे? - सुधीर श्रीवास्तव       गोण्डा, उ.प्र.

हादसे में तनु श्री विश्वकर्मा की दुःखद मौत, विश्वकर्मा महासभा ने जताया शोक

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हादसे में तनु श्री विश्वकर्मा की दुःखद मौत, विश्वकर्मा महासभा ने जताया शोक अहरौरा : मिर्ज़ापुर :   ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के वाराणसी जिला अध्यक्ष नंद लाल विश्वकर्मा की भतीजी अहरौरा थाना अंतर्गत भगवती देई निवासी 16 वर्षीय कुमारी तनु श्री विश्वकर्मा पुत्री अलगू राम विश्वकर्मा की आज सुबह अपने घर से कोचिंग पढ़ने के लिए जाते समय तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आने से अत्यंत  दर्दनाक और दुखद मौत हो गई।  उसकी मृत्यु से परिवार में दुख का पहाड़ टूट पड़ा तथा कोहराम मच गया। दुर्घटना की सूचना प्राप्त होते ही  नंद लाल विश्वकर्मा के साथ महासभा के मिर्जापुर जिला अध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार विश्वकर्मा घर पर पहुंचकर शोक संतप्त परिजनों को ढाढ़स बधायां समस्त कानूनी औपचारिकताओं को पूर्ण कर अंत्येष्टि क्रिया संपन्न होने तक उपस्थित रहे। घटना की जानकारी प्राप्त होने पर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति एवं सद्गति तथा दुख की इस घड़ी में परिजनों को शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। इस अवसर पर महास

सीनियर सिटीजन हेल्पलाइन- 14567 के फ़ील्ड रिस्पांस अधिकारी के द्वारा बुजुर्गों को किया गया जागरूक, बाँटी गई मिठाईयाँ

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सीनियर सिटीजन हेल्पलाइन- 14567 के फ़ील्ड रिस्पांस अधिकारी के द्वारा बुजुर्गों को किया गया जागरूक, बाँटी गई मिठाईयाँ  सुकृत, तकिया, सोनभद्र : ( संंवाददाता अनिल विश्वकर्मा की रिपोर्ट) सोनभद्र मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट के सौजन्य से आज दिनांक 28 सितम्बर  2021 को सुकृत पंचायत भवन पर तथा तकिया गाँव के  कोल बस्ती में  मुख्य अतिथि सीनियर सिटीजन हेल्पलाइन के फील्ड रिस्पांस अधिकारी सोनभद्र अभिषेक पाठक के नेतृत्व में ग्राम सभा सुकृत व तकिया के वरिष्ठ नागरिकों (बुजुर्गों) को एल्डर हेल्पलाइन 14567 के बारे में जागरूक किया गया।  मुख्य अतिथि ने बुजुर्गों को संबोधित करते हुए कहा कि इस हेल्पलाइन की सहायता से किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी होती है तो सुबह 8 बजे से रात्रि 8 तक टोल फ्री नंबर पर काल कर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।  जैसे- बीमार होने पर, वृद्धा पेंशन, प्रधान मंत्री आवास, राशन कार्ड, परिवार में प्रताड़ित किया जाना, माता-पिता को बच्चों द्वारा भोजन ना देना, जो आश्रम में रहना चाहता हो, जमीन विवाद संबंधी समस्याओं के समाधान। अंत में ट्रस्ट की तरफ से उपस्थ

व्यंग्य- चोरी बेईमानी द्वेष ईष्या बस और क्या है : कवि विवेक अज्ञानी

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व्यंग्य- चोरी बेईमानी द्वेष ईष्या बस और क्या है : कवि विवेक अज्ञानी  (व्यंग्य) कभी-कभी तो समझ में नहीं आता कि जीवन क्या है?  चोरी बेईमानी द्वेष ईष्या बस और क्या है? हर तरफ़ लूट मार घूसखोरी और दलाली है  वही फूलों का भक्षक है जो बागों का माली है  लगाकर मजहबी आग यहाँ  जलावाते हैं शहर  उनके बंगले बच गये जल गया रामू का घर  आओ यहाँ पुर में जले दंगो में जो घर देखिये  सलोना हो गया उनके कोठी का मंजर देखिये  गाँव में रघ्घु की हालत लाखन का रोना देखिये  उजड़ा आँधियों में छ्न्गे का घर सलोना देखिये  चाल कुछ चलकर वो घटिया बन गये फिर बादशाह  दिन प्रतिदिन निकल रही है बेबस दिलों की कितनी आह ! कवि विवेक अज्ञानी  गोंडा, उत्तर प्रदेश, भारत

अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- तन्हा तन्हा इस शहर में

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अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- तन्हा तन्हा इस शहर में               (गजल) तनहा तनहा इस शहर में  तनहाई ने आवाज दी, तेरा चेहरा याद आया  परछाई ने आवाज दी। छुप ग‌ई पलकों में यूं  शाम की ये रौनकें, दिल ने समझा कि कहीं मैकशीं ने आवाज दी। राहगीरों के मकां थें  हम कहां जातें किधर, उम्रभर के ख़ालीपन में ठोकरों ने आवाज दी। नींद में भी आ के कोई छेड़ता है इस तरह, उठ के बैठें हम सहर अंगड़ाई ने आवाज दी। -अनूप कुमार श्रीवास्तव 

संजीव गौड़ के समाज कल्याण मंत्री बनने से जगी प्रदेश वासियों में आशा

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संजीव गौड़ के समाज कल्याण मंत्री बनने से जगी प्रदेश वासियों में आशा रॉबर्ट्सगंज- सोनभद्र :  संस्कृति, साहित्य, कला की आदिभूमि, आदिवासियों की कर्मभूमि, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों की भौगोलिक, राजनैतिक सीमाओं से घिरा उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर अवस्थित देश के एकमात्र जनपद सोनभद्र में निवास करने वाली आदिवासी, अनुसूचित, अनुसूचित जनजातियों में सोनभद्र जनपद के बिल्ली ग्राम निवासी, ओबरा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचित, कर्मठ, संघर्षशील विधायक, संजीव गौड़ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मंत्री मंडल में शामिल करने एवं उन्हें समाज कल्याण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विभाग का राज्य मंत्री बनाए जाने पर सोनांचल में खुशी की लहर छाई हुई है।    सामाजिक, सांस्कृतिक, कलात्मक, साहित्यिक संगठन विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि-" सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह निर्णय प्रदेश में निवास करने वाले लोगों के लिए हितकारी है, जनपद सोनभद्र सह

कैंडल मार्च निकालकर स्वच्छता के प्रति लोगों को किया गया जागरूक

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कैंडल मार्च निकालकर स्वच्छता के प्रति लोगों को किया गया जागरूक बट- मधुपुर, सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ सोनभद्र बृजेश कुमार सिंह)  करमा ब्लाक अंतर्गत ग्राम सभा बट में कैंडल मार्च निकालकर ग्राम वासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।  यह कार्यक्रम ग्राम प्रधान प्रीति सिंह के नेतृत्व में स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए किया गया।  इस कार्यक्रम में ग्राम सभा के प्रधान प्रतिनिधि मिंटू सिंह सहित सफाईकर्मी, ग्राम सेवक, आशा, एनम, व समाजसेवी‌ जयशंकर सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।  इस दौरान सभी लोगों ने हाथ में कैंडल  लेकर गांव में घूमें और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किए।

आइये पढ़ते हैं कवि प्रदीप कुमार जी द्वारा लिखा - व्यंग्य

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आइये पढ़ते हैं कवि प्रदीप कुमार जी द्वारा लिखा - व्यंग्य व्यंग्य-  अभी तक सोचा नहीं यदि गांव का सच ना लिख सकूं मैं । तो फिर अपना नाम कवि क्यों लिखूं मैं ।। लिखूंगा घोटाले सारे रिश्वतखोरी वाले । कलम ना रोकूंगा चाहे जितने हो रोकने वाले ।। खुले शब्द होंगे बाणो सी मानो बौछार हो । सुनने वाले सहे ना सहे पर वार पर वार हो ।। खुलकर लिखना चाहता हूं आजादी का पंछी हूं । साथ मित्रों का चाहता हूं दुश्मनों की फांसी हूं ।। बस आगे क्या लिखकर बताना किसी को। अब तो काम करके दिखाना है हर किसी को ।। - कवि प्रदीप कुमार   सहारनपुर

आ. संगीता चौबे पँखुड़ी जी एवं आ. सरिता सिंह को जन्मदिन की अशेष बधाइयाँ : सुधीर श्रीवास्तव

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आ. संगीता चौबे पँखुड़ी जी एवं आ. सरिता सिंह को जन्मदिन की अशेष बधाइयाँ : सुधीर श्रीवास्तव  जन्मदिन सदैव स्वस्थ प्रसन्न रहो,  नित नये आयाम गढ़ो, रुकना नहीं, डरना नहीं रोज नये प्रतिमान गढ़ो। बार बार दिन ये आये ये ही मेरी अभिलाषा है, बढ़ते रहें कदम तुम्हारे हिम शिखरों की ओर बढ़ो। जीवन मे खुशियाँ अपार हो कष्ट कभी भी न आये, चमके नाम सदा सर्वदा रोज नये कीर्तिमान गढ़ो। प्रेरक व्यक्तित्व बने तुम्हारा तुम ऐसे नित काम करो, चमके कलम तुम्हारा दिन दिन शब्दों का सुंदर संजाल गढ़ो। बस इतनी सी दुआ मेरी मुस्काती रहो तुम सदा सदा और नहीं कुछ दे सकता हूँ मेरी भी उम्र ले साथ बढ़ो। हर पल हर दिन रास्ता देखें खुशियाँ राह सदा निहारती, उन राहों पर चलते चलते जीवन पथ पर चलो बढ़ो। - सुधीर श्रीवास्तव        गोण्डा, उ.प्र.

बेटी दिवस पर 'नव साहित्य परिवार भारत' का संगीता के ई संकलन 'शब्दोपहार' का विमोचन सम्पन्न

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बेटी दिवस पर 'नव साहित्य परिवार भारत' का संगीता के ई संकलन 'शब्दोपहार' का विमोचन सम्पन्न      नव साहित्य परिवार भारत के संस्थापक एवं अध्यक्ष आ.अमित कुमार बिजनौरी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति, अदम्य उत्साह एवं अथक परिश्रम से संकलित "शब्दोपहार" ई काव्य पुस्तक श्रृंखला के द्वितीय संकलन का आनलाइन विमोचन 26 सितंबर को वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार आदरणीय सुधीर श्रीवास्तव जी के कर कमलों से उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ।           अबूहलीफा, कुवैत निवासी(मूलतः म.प्र.,भारत) कवयित्री और नव साहित्य परिवार की वरिष्ठ सदस्या आ. संगीता चौबे पँखुड़ी जी को साहित्यिक संस्था 'नव साहित्य परिवार भारत' ने 26 सितंबर को उनके जन्मदिन पर उनकी रचनाओं के ई काव्य संकलन "शब्दोपहार" का विमोचन कराकर उन्हें शानदार /यादगार तोहफा दिया है।             पुस्तक का विमोचन करते हुए आदरणीय सुधीर श्रीवास्तव जी ने बताया कि यह पुस्तक आदरणीय अमित कुमार बिजनौरी जी के अथक परिश्रम और चिंतन से तैयार कर दी गई। श्री श्रीवास्तव जी ने श्रीमती संगीता  को जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ देते हुए उ

बेटी दिवस पर विशेष संवाद- बेटियां सुरक्षित कैसे हों : सुधीर श्रीवास्तव

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बेटी दिवस पर विशेष संवाद-  बेटियां सुरक्षित कैसे हों : सुधीर श्रीवास्तव  बेटियों के साथ हो रही दुष्कर्म और हत्या की खबरें को सुनते सुनते सुनते रामधन काका बहुत परेशान थे और सोच रहे थे क्या जमाना आ गया है अब तो यह समाज का और लोगों का भगवान ही मालिक है रामधन काका सोच रहे थे किससे बात करें और क्या बात करें? लेकिन मन नहीं माना तो रामदास से अपने मन की बात कही ही डाली का हो भैया राम दास !देख रहे हो कैसन जमाना आ गया है ? रामदास बोले-क्या हो गया भैया? अब का कही हमैं तौ कुछ समझै नाहीं आवत है।रामधन काका परेशान से होकर बोले।आखिर ई पापियन कै पाप कहाँ समाई।  रामदास बोले-बहुत बुरा समय आ गया है रामधन भैया।समाज में बढ़ रहे पाप की बात तो सही है । रामधन काका रामदास से पूँछ बैठे-आखिर येकर इलाज का है। रामदास के मन में भी आक्रोश था।जिसे रामधन काका ने हवा दे दी। कुछ नहीं भैया बस इसका एक ही इलाज है कि इन पापियों को सार्वजनिक जगहों पर वैसे ही तड़पा तड़पाकर दर्द दिया जाय जैसा कि उसने किसी बहन बेटी के साथ किया हो। रामधन काका की जैसे उत्सुकता बढ़ गई।वे बीच में ही बोल पड़े।मगर ई होई कैसे? रामदास ने रामधन क

101 नवागंतुक कवियों के सम्मान में प्रभा जी ने लिखी कविता, बढ़ाया डॉ सत्या होप टॉक क़ा मान

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101 नवागंतुक कवियों के सम्मान में प्रभा जी ने लिखी कविता, बढ़ाया डॉ सत्या होप टॉक क़ा मान वाराणसी :  काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश के आह्वान पर देश के कोने कोने से जुड़ रहे साहित्यकारों ने शिक्षा अभियान को बल देने के लिए अपना संपूर्ण मन बना लिया है.  आज प्रभा दुबे जो रीवा मध्य प्रदेश से अनुज्ञा सदस्य के रूप में डॉक्टर सत्य प्रकाश जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, उन्होंने नवागंतुक कवियों के लिए स्वागत ध्येय कविता लिखा है, शिक्षा के इस अभियान का महत्व भी बताया है और देश के लिए कितना प्रासंगिक है यह अभियान इसको भी रखा है!  जो सदस्य इस अभियान से जुड़ना चाहते हैं, वे सभी कवि के साथ कॉफी फेसबुक ग्रुप में जुड़ रहे हैं.  ऐसी चौदह 10 दिवसीय कार्यशालाओं को पूरा करने के पश्चात, डॉ सत्य प्रकाश क़ा मानना है, कि समाज के प्रति साहित्यकारों ने जितना अच्छा दायित्व निभाया है, इससे समाज के मानसिक तनाव को दूर करने में बहुत मदद मिली है.  महामारी के इस काल में इस तरह की यह पहली वर्चुअल मीट कार्यक्रम है जिसमें, जुड़ने वाले सदस्य पूरे वर्ष कार्यशाला में भाग लेते रहत

धूमधाम से मनाई गई भगत सिंह की जयंती

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धूमधाम से मनाई गई भगत सिंह की जयंती सोनभद्र :  आजादी के अमृत महोत्सव एवं चौराचौरी शताब्दी समारोह की श्रृंखला के अंतर्गत दिनांक 27 सितंबर 2021 को कंपोजिट विद्यालय पल्हारी नगवा सोनभद्र पर शहीदे आजम भगत सिंह जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई.  इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉक्टर बृजेश कुमार सिंह ब्लॉक स्काउट शिक्षक नगवा सोनभद्र ने बताया कि सरदार भगत सिंह ने स्वतंत्रता की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया थे. एक महान देशभक्त  ने अपने जीवन को देश पर कुर्बान कर दिया.  सुखदेव और राजगुरु के साथ इस महान क्रांतिकारी को अंग्रेजों द्वारा 24 वर्ष की उम्र में फांसी पर चढ़ा दिया गया था. जयंती समारोह में  प्रदीप गुप्ता ज्ञानेश त्रिपाठी रमेश कुमार, शिव शंकर सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए. समारोह में  बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए अंत में प्रधानाध्यापक जय प्रसाद ने सभी का आभार प्रकट करते हुए सभा समापन की घोषणा की.

ब्रह्म बाबा के दर्शन से होती है मनोकामना पूर्ण : दीपक कुमार केसरवानी

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ब्रह्म बाबा के दर्शन से होती है मनोकामना पूर्ण : दीपक कुमार केसरवानी  रॉबर्ट्सगंज-सोनभद्र :  प्रत्येक मांगलिक कार्यों में नगर के कोतवाल कहे जाने वाले ब्रह्म बाबा का दर्शन एवं उनकी अनुमति से ही सारे कार्य किए जाने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। विवाह का प्रथम निमंत्रण, बारात जाते समय दूल्हे द्वारा बाबा का दर्शन, विवाह के पश्चात वर-वधू द्वारा बाबा के आशीर्वाद के लिए मंदिर आना आदि नगर की लोक परंपरा है। मंदिर के पुजारी प्रशांत शुक्ला के अनुसार-"यह मंदिर प्राचीन है और ब्रिटिश काल में एक कसाई गाय को काटने के लिए ले जा रहा था, श्री रूद्र मणि देव पांडे बरेला का मेला देखने जा रहे थे। जब उन्होंने कसाई के हाथों में असहाय गाय की सीकड देखी और उसकी मनसा भागते हुए उन्होंने गाय को छोड़ देने के लिए कहा लेकिन कसाई ने उनकी बात नहीं मानी और मारपीट पर उतारू हो गया अंत में उसने अपने हाथ में लिए हुए हथियार से पंडित जी की हत्या कर दिया गाली देते हुए गाय को लेकर चला गया।    इसके पश्चात रूद्र मणि देव पांडे उसी स्थान पर ब्रह्मा बाबा के रूप में स्थापित किए गए और वहां पर एक चौरा

चकिया, नौगढ़ कार्यक्रम के दौरान समाज के प्रतिष्ठित लोगों से की मुलाकात, सामाजिक एकजुटता पर हुई चर्चा।

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चकिया, नौगढ़ कार्यक्रम के दौरान समाज के प्रतिष्ठित लोगों से की मुलाकात, सामाजिक एकजुटता पर हुई चर्चा। चंदौली  : (जिला ब्यूरो चीफ मदनमोहन की रिपोर्ट ) ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक कुमार विश्वकर्मा जी नेतृत्व में संगठन के पदाधिकारियों ने आज चकिया नौगढ़ कार्यक्रम के दौरान समाज के प्रतिष्ठित और सम्मानित लोगों से मुलाकात किया गया।  इस कड़ी में जय मोहनी रेंज के रेंजर श्री रवि कुमार शर्मा जी, एवं गांव-गिराव अखबार के सम्पादक श्री ओंकार नाथ विश्वकर्मा से मिलकर कई सामाजिक विषयों पर गम्भीर चर्चा हुई, तत्पश्चात हिंदी जगत के महान कवि रामकिशोर शर्मा ( बेहद) जी की अस्वस्थता की जानकारी होने पर उनके आवास पर जाकर उनका कुशल क्षेम जाना गया।  इस दौरान चन्दौली जिलाध्यक्ष श्रीकांत विश्वकर्मा, मिर्जापुर जिलाध्यक्ष डा प्रमोद विश्वकर्मा, वाराणसी जिलाध्यक्ष नंदलाल विश्वकर्मा, भदोही जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर विश्वकर्मा, एड सुरेश विश्वकर्मा, कालिका विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, विष्णु विश्वकर्मा, कैप्टन विजय नारायण विश्वकर्मा, सुरेश विश

घर की शान बेटियां : ओम प्रकाश श्रीवास्तव

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घर की शान बेटियां : ओम प्रकाश श्रीवास्तव  (घर की शान बेटियां ) बेटियां बेटियां बेटियां बेटियां, घर की शान होती है  बेटियां, जग का मान होती है बेटियां, पूजन आधार होती हैं बेटियां। बेटियों को उच्च शिक्षित करना, पुत्र पुत्री में कभी भेद न रखना, पुत्री का आंचल खुशी सें भरना, जीवन को सुखमय तुम करना। जीवन का  मर्म  जो जन जानते, बेटियों  को देवी स्वरूप है मानते, बेटी को हैं हृदय में अपने बसाते, शिक्षा निधि है उनमें वह सजाते। आप भी अंधविश्वास को तोड़ो, बेटा बेटी का विभेद उर से छोड़ो, कह ओम बेटा बेटी सभी पढ़ाओ, संस्कारों से इस जग को सजाओ।। -ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम"  कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश 

"झारखण्ड की बेटियां" भी तो हैं : ममता मनीष सिन्हा

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"झारखण्ड की बेटियां" भी तो हैं : ममता मनीष सिन्हा                            हे विश्व!                            अब यहां मात्र जंगल नही है                            झारखण्ड की बेटियां भी तो हैं।        जब तपते पत्थरों का क्रंदन होता है,        न मरीची सरिता का दर्शन होता है,        जब प्रथम वर्षा हरितक्रांति लाती है,        ये कष्टों में भी स्वयं को उपजाती हैं,                            हे विश्व!                            अब यहां मात्र जंगल नही है                            झारखण्ड की बेटियां भी तो हैं।        सिर मुकुट कर्म का बोझ उठाए,        पीठ बांध भारती भविष्य सटाए,        आत्म साहस को सारथी बनाए,        विहंगम मार्गों को ये रौंदती जाएँ,                            हे विश्व!                            अब यहां मात्र जंगल नही है                            झारखण्ड की बेटियां भी तो हैं।         निर्धनता भरे गलियारों में,         अज्ञानता भरे अंधियारों में,         जला शिक्षा का स्वर्ण ज्योत,         नित्य हीं स्वयं को प्रकाशतीं,                             हे

आकाशी बिजली से एक महिला झुलसी व 3 पशुओं की हुई मौत

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 आकाशी बिजली से एक महिला झुलसी व 3 पशुओं की हुई मौत     राजगढ़- मिर्ज़ापुर : (संंवाददाता सतीश कुमार मिश्रा की रिपोर्ट)       राजगढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा  खोराडीह में मोहल्ला लतरी हवा की रहने वाली महिला कुंती देवी पत्नी वासु कोल उम्र लगभग 70 वर्ष आकाशी बिजली गिरने से गंभीर रूप से झुलस गई हैं। उन्हें  उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजगढ़ लाया गया, जहां उपचार के दौरान कुंती की हालत ठीक है। तथा उसी स्थान पर 3 पशुओं की मौत हो गई है। आपको बता दें कि राम वृक्ष चौहान की 1 बकरी,   लाल व्रत पाल की 2 भैंस तथा कुंती पत्नी बासु की एक बैल  आकाशी बिजली गिरने से मौत हो गई। जैसे हीं घटना की   जानकारी ग्राम प्रधान महोदय महेश प्रसाद को मालूम हुआ।  महेश प्रसाद मौके पर जाकर सभी अधिकारी को सूचना दिए। मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय लेखपाल विनीत तिवारी द्वारा जांच किया गया तथा पशु चिकित्सक अधिकारी आलोक कुमार पांडे जी को सूचना मिली। आलोक कुमार पांडे जी अपने स्थान पर उपस्थित कर्मचारी रोजित अंसारी को भेजकर मौके की जांच कराये।

विश्वकर्मा समाज धोखेबाजों को सबक सिखाने के लिए तैयार, राजनीतिक भागीदारी के लिए भरी हुंकार : अशोक विश्वकर्मा

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विश्वकर्मा समाज धोखेबाजों को सबक सिखाने के लिए तैयार, राजनीतिक भागीदारी के लिए भरी हुंकार : अशोक विश्वकर्मा नौगढ़ चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट)  आज 26 सितंबर 2021 को ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में नौगढ़ के सन सिटी पब्लिक स्कूल परिसर में आयोजित विश्वकर्मा स्वाभिमान जागरूकता सम्मेलन  को संबोधित  करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा वोटों का सौदा करने वाले धोखेबाज  राजनीतिक सौदागरों को विश्वकर्मा समाज आगामी चुनाव में सबक सिखाने को तैयार है।  उन्होंने  जनसंख्या के अनुपात में  राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हुंकार भरते हुए कहा कि  राजनीति में अपनी मजबूत जगह बनाने के लिए समाज को संगठित होकर संघर्ष करना होगा। उन्होंने कहा समाज का आर्थिक विकास एवं राजनीतिक भागीदारी महासभा की सर्वोच्च प्राथमिकता है।दलीयआधार पर आपसी भेदभाव को दूर कर समाज को संगठित होने का समय आ गया है। आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के लिए विश्वकर्मा समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। कार्

नई दुनिया बनायेंगी बेटियाँ : कवि विवेक अज्ञानी

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नई दुनिया बनायेंगी बेटियाँ : कवि विवेक अज्ञानी  एक दिन नई दुनिया बनायेंगी बेटियाँ  अपने  सारे  वादे  निभायेंगी बेटियाँ  आसमाँ पर लिखेंगी नाम तेरा एक दिन  एक दिन भव से पार करायेंगी बेटियाँ  लगता है और भी सुंदर ये संसार बेटी से  होते हैं  सभी  सपने  तो साकार बेटी से। हमको नाज़ है अपने देश की हर बेटी पर  मिलता है सबको माँ का सदा प्यार बेटी से। ऊचीँ छलाँग मारना सिखाती है बेटियाँ। मुश्किलों से लड़कर दिखाती हैं बेटियाँ। जग के सारे रिश्ते नाते बने हैं बेटी से काका नाना मामा   बनाती हैं बेटियाँ। आप सभी को बेटी दिवस की अनंत हार्दिक शुभकामनाएँ तथा ढेर सारी बधाइयाँ।  -कवि विवेक अज्ञानी  गोंडा, उत्तर प्रदेश, भारत

सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना - बेटियाँ

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सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना - बेटियाँ    (बेटियाँ)  उड़े स्वच्छन्द मुक्त गगन में । नभ को छूने की लगन में। बेटियों को अब पँख दे दो, दमके स्वर्ण सी तप अगन में । शिक्षा के शिखर पर जाएँ।  ज्ञान की पताका फहराएँ । हाथों में कलम थमा दो, नया इतिहास रच के आएँ।  माता-पिता का अभिमान । बेटियाँ होती घर की शान । झोली में खुशियां भर दो, होठों पर खेले उनके मुस्कान ।।   -सीमा वर्णिका

वो लोबान की खुशबू मीरा की भजन : अनूप कुमार श्रीवास्तव

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वो लोबान की खुशबू मीरा की भजन : अनूप कुमार श्रीवास्तव  इजाजत मुहब्बत की यूहीं नहीं मिलतीं, जब तक नही गिरतीं दिल पे बिजलियां ।1 हुश्नोंअदाएं उनकीं  छलावों  का  शहर है , बचातें  रहें मकां हुई पत्थरों की आंधियां।2 सुकून ओ चैन के यहाँ  सब है दिवानें , इसी की तलाश में ही बीत गई सदियाँ।3 तेरे मिरे बिगैर  यें दुनियाँ कहां होतीं , जी भर के जंग हुई इश्क़ में लड़ाईयां।4 हम  लुट गयें  के बिक गयें सरे बाजार में,  आदमी  के झूठें शौक में बजीं शहनाईयां।5 बड़ी हिकमत  से खूबसूरत सजाई गई ,   माथें सजीं है बिंदियां कानों में बालियां।6  मन बन गया जबसे ये वृंदावन मेरा, राधा सी घूमतीं हो वो लेकर गोपियां।7 अरसा हुआ फ़लक पे महताब को देखें , दिखनें लगा शहर में इधर  चाँद  दूधियां।8 वों लोबान की खुशबू है  मीरा के भजन सीं, करतीं है मन ही मन में जमके  यूही डांडिया।9 काँधे पे किसी के चढ़नें को राज़ी नहीं है, कब तक बनें रहेंगे सियासतीं बैसाखियां।10 शेरोसुखन का शौक़ भी औ बे अदब भी ,  पसीने-पसीने हुऐं बैठातें रदीफ क़ाफिया  महफ़िलें अदब में आएं है यू फकीर  भी ,  खजाने में इश्क़  है कासे  में सिसकियाँ।10 -अन

मेरी बेटियाँ : सुधीर श्रीवास्तव

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मेरी बेटियाँ : सुधीर श्रीवास्तव   ( मेरी बेटियाँ) जीने के बस यही बहाने ये मेरे अनमोल नगीने। इनकी खुशियों में सब कुछ है बेटे से न ये कम हैं, गौरव का अहसास कराती बेटी बेटे का भेद मिटाती उम्मीदों से आगे बढ़कर गर्व के पल ये हैं लातीं। बेटी बेटे का भेद न मुझको इन पर ही अभिमान है मुझको रहे सशंकित माँ कुछ इनकी पर तनिक नहीं मुझको ग़म है। ये भी अपने भाग्य लिए हैं मेरा भाग्य वश मेरे लिए है पत्नी की चिंता जायज है हर बेटी की माँ डरती है। पर डर डर न जीना मुझको मंजिल इनकी देना मुझको, डर कर आखिर कितने दिन तक पिंजरे में कैद रख सकता इनको। बंधन मुक्त है मेरी बेटियां आगे ही बढ़ रही बेटियां नाम है इनका संस्कृति गरिमा मेरा अभिमान हैं मेरी बेटियां। - सुधीर श्रीवास्तव        गोण्डा, उ.प्र.

पौधों की सुरक्षा हेतु लगवाया गया ट्री गार्ड

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पौधों की सुरक्षा हेतु लगवाया गया ट्री गार्ड रॉबर्ट्सगंज-सोनभद्र : (रावर्टसगंज ब्लॉक ब्यूरो चीफ प्रफुल्ल नरायन सिंह की रिपोर्ट) जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज के नई बस्ती में प्रकृति विधान चैरिटेबल टेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष राजकुमार‌ केसरी के नेतृत्व में पौधारोपण कर पौधों के संरक्षण हेतु ट्री गार्ड लगवाया गया। राजकुमार केसरी ने बताया कि मैं लगभग 2 वर्षों से पेड़- पौधों के संरक्षण हेतु कार्य कर रहा हूँ। और लोगों के जन्मदिन और शादी की सालगिरह पर नि:शुल्क पौधे का वितरण करता हूँ। इस दौरान कृष्ण कुमार पांडेय, विभोर वर्मा, गुलजार अहमद, केसरी विश्वकर्मा, गोलू, विनोद आदि लोग मौजूद रहे।

रश्मि लहर जी द्वारा लिखी रचना- 'अनूठा सपना'

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रश्मि लहर जी द्वारा लिखी रचना-  'अनूठा सपना' थी शीतल हवा और प्रकृति का बिछौना । थीं सुधियां अनेकों तरल मन का कोना । वो बचपन जवानी के सपनो की गठरी । तनिक कड़ुवे अनुभव की बातें भी पसरीं । सुबह फिर ले आई है आहट पुरानी । वो सपनो के राजा लजाती सी रानी । छुपी मिल रही है अठन्नी- चवन्नी । कबूतर से बातें  मोहल्ले की मुन्नी । बड़ा ही अनूठा ये सपना दिखा था.. वो चंदन सा बचपन.. अचानक मिला था । भले गाल आंसू से, भीगे मिले है,  अमर हैं वो रिश्ते, जो जीते मिले हैं.. -रश्मि लहर डॉ सत्या होप होप टाक  (अनुज्ञा सदस्या)  लखनऊ, उत्तर प्रदेश  खबरों व विज्ञापन के लिए संपर्क करें, 9935694130

अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- माँ

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अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- माँ   (माँ) बचपन जिसका मां की बाहों में बीता, मां का आंचल धरती अम्बर लगता है।1 मां की  बातें  गहरीं  बातें  यादों में , अमृत मंथन मौन समंदर लगता है।2 ये जग भी घर लगता सूना पन डसता मां के   बीना खाली मंदर लगता है ।3 अब का  जीना दुष्कर जैसा  लगता है, बदलीं सबकीं आदत  से डर लगता है।4 ममता की क्या कीमत ये जग  दे पाया , मां का  तारा  आश्रम  देकर   लगता है।5  सारे  रिश्तों   में मां   धूरीं   होती   थीं , फ्लैटों  में अब बिस्तर अंदर लगता है।6 पीले  लेने   दो जी  लेने  दो भी कुछ, सीने   में है  दहकें  अक्सर  लगता है।7  मां को शिकवा कब था लेकर कीसी को ,   कहती   बेटा    मेरा   जेवर  लगता  है।8 मेरी    मां थी   जैसें  डाली   फूलों  की ,  आगन का वो दरख्त चश्मेंतर लगता है।9  मां के  होते  मीले   सारे  रिश्तें जो ,  दादी नानी  में अब अंतर लगता है ।10 -अनूप कुमार श्रीवास्तव  कानपुर, उत्तर प्रदेश 

आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखी- गज़ल

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आइये पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखी- गज़ल  (गज़ल) सीखी हमने दुनियादारी तुमसे । जाना क्या होती लाचारी तुमसे । मर जाना आसान नहीं था मेरा,  सीखा जीने की दुश्वारी तुमसे । इतना सहज नहीं था सफ़र अकेले,  दुनिया से जीती पर हारी तुमसे । होठों को सिल कर चलते रहते हैं ,  बोली क्या मेरी खुद्दारी तुमसे । अपनों के तीरों से घायल 'सीमा', देखें न गए जख्म इक बारी तुमसे ।। -सीमा वर्णिका  कानपुर, उत्तर प्रदेश 

सरिता सिंह द्वारा लिखी रचना- कहो साजन, कहाँ तक साथ दोगे ?

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सरिता सिंह द्वारा लिखी रचना-  कहो साजन, कहाँ तक साथ दोगे ? कहो साजन, कहाँ तक साथ दोगे ? क्या केवल उपवन और पुष्प की क्यारियों में । या जीवन की दुश्वारियां में भी साथ दोगे।। क्या जीवन के अनगिनत  आते पड़ाव में । या सुख-दुख के उतार-चढ़ाव में भी साथ दोगे।  कहो साथी क्या केवल संग बैठ मयखाने में ।। या कांटो भरे जीवन के कैदखानो  में भी साथ दोगे। रहोगे पास चमकते तारों के संग चांदनी रातों में। या दुख की काली बरसातों में भी साथ दोगे।। क्या केवल भीड़ भरी सजी महफिलों में ।। या जहमत और जिल्लत की सड़कों पर भी साथ दोगे। क्या रहोगे साथ केवल हुस्न की रौशनाईयों  में।  या ढलती उम्र की निगलती तनहाइयों में भी साथ दोगे। -सरिता सिंह गोरखपुर, उत्तर प्रदेश