ब्रह्म बाबा के दर्शन से होती है मनोकामना पूर्ण : दीपक कुमार केसरवानी

ब्रह्म बाबा के दर्शन से होती है मनोकामना पूर्ण : दीपक कुमार केसरवानी 

रॉबर्ट्सगंज-सोनभद्र : 

प्रत्येक मांगलिक कार्यों में नगर के कोतवाल कहे जाने वाले ब्रह्म बाबा का दर्शन एवं उनकी अनुमति से ही सारे कार्य किए जाने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है।
विवाह का प्रथम निमंत्रण, बारात जाते समय दूल्हे द्वारा बाबा का दर्शन, विवाह के पश्चात वर-वधू द्वारा बाबा के आशीर्वाद के लिए मंदिर आना आदि नगर की लोक परंपरा है।
मंदिर के पुजारी प्रशांत शुक्ला के अनुसार-"यह मंदिर प्राचीन है और ब्रिटिश काल में एक कसाई गाय को काटने के लिए ले जा रहा था, श्री रूद्र मणि देव पांडे बरेला का मेला देखने जा रहे थे।
जब उन्होंने कसाई के हाथों में असहाय गाय की सीकड देखी और उसकी मनसा भागते हुए उन्होंने गाय को छोड़ देने के लिए कहा लेकिन कसाई ने उनकी बात नहीं मानी और मारपीट पर उतारू हो गया अंत में उसने अपने हाथ में लिए हुए हथियार से पंडित जी की हत्या कर दिया गाली देते हुए गाय को लेकर चला गया।
   इसके पश्चात रूद्र मणि देव पांडे उसी स्थान पर ब्रह्मा बाबा के रूप में स्थापित किए गए और वहां पर एक चौरा का निर्माण स्थानीय लोगों ने करा करा दिया।
   इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-"मिर्जापुर जनपद की स्थापना 1830 में हुई थी, 1846 में रॉबर्ट्सगंज नगर की स्थापना मिर्जापुर के डिप्टी कलेक्टर डब्ल्यूबी रॉबर्ट्स ने किया था, उस समय शाहगंज में कुसाचा तहसील का संचालन  हुआ करता था, लेकिन बरसात के दिनों में धान के खेतों एवं बेलन नदी पर पुल न  होने के कारण मिर्जापुर के दक्षिणांचल का प्रशासनिक कार्य ठप पड़ जाता था, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता था। इस समस्या के निदान के लिए अदलगंज के मुखिया भूरालाल केसरवानी ने जिला कलेक्टर मिर्जापुर को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत कराया,तत्पश्चात जिला कलेक्टर द्वारा डिप्टी कलेक्टर रॉबर्ट्स को क्षेत्र में सर्वेक्षण के लिए भेजा गया था कि तहसील मुख्यालय कहां पर निर्मित हो? सर्वेक्षण के पश्चात टांड डौर का चयन किया गया, कछुए के कवच की तरह एक ऐसा स्थान जहां पर पानी जमा न होने पाए, ऐसे स्थल पर  तहसील भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ।"
   स्थानीय बुजुर्ग गुलाबी देवी बताती हैं कि-तहसील का दीवार खड़ा किया जा रहा था लेकिन दिन में दीवार बनाया जाता और रात को गिर जाता था, ऐसा हफ्तों तक चलता रहा ठेकेदार के समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह होता कैसे है एक दिन खुद वह रात को पहरा देने बैठा और जैसे उसकी आंख लगी दीवार अपने आप गिर गई।
    रात को ब्रह्म बाबा ने सपना दिया कि वहां पर मेरे मंदिर का निर्माण कराओ, दूसरे दिन ठेकेदार ने बाबा के आदेशों का पालन करते हुए वहां पर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करा दिया मंदिर निर्माण के पश्चात तहसील की दीवार बनाई जाने लगी और पूरी तहसील की इमारत बन कर तैयार हो गई।
     स्थानीय किदवती के अनुसार-"कई लोगों ने ब्रह्म बाबा का साक्षात दर्शन किया है और उनके क्रोध को भी झेला है।"
   ब्रह्म बाबा मंदिर जीर्णोद्धार समिति द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार कर उसे भव्यता प्रदान कर दी गई है। नगर के कोतवाल के रूप में नगर वासियों की रक्षा करने वाले ब्रह्मा बाबा की महिमा का गुणगान करते हुए लोग नहीं थकते।
    उपरोक्त तथ्यों में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन आज के वर्तमान परिवेश में भी ब्रह्म बाबा की महिमा बरकरार है और सभी मांगलिक कार्यों में उनका दर्शन, पूजन, अर्चन और विवाह के पूर्व उन्हें आमंत्रित करना नगर वासियों के आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है जो आज भी जारी है और भविष्य में भी जारी रहेगा।

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