राजनीति के चक्कर में : ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम"
राजनीति के चक्कर में : ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम" (राजनीति) राजनीति के चक्कर में देखो कैसे - कैसे खेल होते हैं। चुनाव के पहले होता विरोध चुनाव बाद मेल होते हैं। जो शासन करते हैं जब सत्ता पर, बहुतेरे वादे भूला करते हैं। जब सत्ता से दूर वही होते हैं, सबके शुभ चिंतक बनते हैं। इन सभी खोखली बातों में देखो, मतदाता भ्रमित होते हैं। राजनीति के चक्कर में देखो कैसे - कैसे खेल होते हैं। सरकार सदा जो भी पद पर आये , मुखिया बन निर्णय लेती है। कुछ एक फैसले मीठे मीठे तो, कुछ कड़वे भी वह लेती है। मीठे सभी फैसलों पर चुप्पी पर, कड़वे पर हल्ले गुल्ले होते हैं। राजनीति के चक्कर में देखो कैसे - कैसे खेल होते हैं। मुखिया कोई भी बने देश या घर, निर्णय सब लेने पड़ते हैं। राजनीति के चक्कर में देखो सब, कैसे नित लड़ते रहते हैं। ओम कहे राजनीति में टक्कर पर, दिल से खूब मेल होते हैं। राजनीति के चक्कर में देखो कैसे - कैसे खेल होते हैं। - ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम"