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शिक्षक

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शिक्षक शिष्य का मार्गदर्शक। उसकी चेतना का विस्तारक।। कच्ची मिट्टी की तरह शिष्यों को देता स्वरूप। सच्चा ज्ञान देकर उनका बदलता स्वरूप।। दंभ, घमंड, अहंकार के बादल को हटाते। सच्चाई, ईमानदारी,सदव्यवहार का पाठ पढ़ाते।। शिक्षा रुपी दीप दे जीवन में प्रकाश भरते। अपने शिष्यों को हमेशा मार्गदर्शन करते।। शिष्यों के रुप डॉक्टर,इंजीनियर वकील। सिपाही, शिक्षक,कर्मचारी,सज्जन।। बड़े - बड़े प्रशासनिक पदाधिकारी नेता। घमंडी और चोर उनके गढ़े हुए बर्तन।। पाठ पढ़ाते उत्तम चरित्र ईमान। शिष्य सदाचारी बनें तो होता उनका सम्मान।। गढ़ सके तो शिष्यों में उत्तम सदव्यवहार का करें संचार। आने वाले समय में आपको याद करे संसार।। रचनाकार -प्रेम शंकर शर्मा कैमूर, बिहार