अभिलाषा
अभिलाषा देश हमारा उन्नति करे, नित रचे नए आयाम , सभी सुखी संपन्न हों, समृद्धि हो अविराम । रहें सुरक्षित देशवासी , विपत्ति कभी न आए , भूकंप, सुनामी , चक्रवात, संक्रामक रोग न छाए । शिक्षा, तकनीक के क्षेत्र में, दुनियाँ में हों सबसे आगे, विश्व गुरु की परंपरा, फिर से बढ़े विरासत आगे । माहौल हो सुख शांति का, अशांति हो कोसों दूर , सभी को रोटी, कपड़ा, मकान , खुशियाँ हों भरपूर। उर्वरा शक्ति बढ़े खेतों की , भरी रहे हरियाली , बेरोज़गार युवा ना हों , चारों ओर छाए खुशहाली । नदियाँ जलयुक्त रहें , सिंचन क्षमता का हो विकास, खाद्यान्न की कमी ना हो, हिंसा का हो विनाश । हिंदी भाषा का गौरव बढ़े, खेलों में बढ़े देश का मान, भारत की कीर्ति बढ़े, हो विश्व में इसका गुणगान। रामराज्य सी प्रजा सुखी हो, रहे प्राणियों में सद्भावना , देशअनुकरण करें हमारा, समृद्ध हो बंधुत्व भावना। रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय मुंबई ( महाराष्ट्र )