आइये पढ़ते हैं अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल
आइये पढ़ते हैं अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल गज़ल उस मुहब्बत से भरम उठ जायेगा , जख्म अपने अगर हम दिखाने लगे।1 कोई सूरत कोई चेहरा अगर देखूँगा , खुआब में किसके हम लुभाने लगे।2 चाहतें दिल की भी यहां रूमानी है, रंग आंखों में भरे आएं मिलाने लगे।3 फिर सरकतीं है उम्मीदें तन्हाई में , फिर कोई आके यही समझाने लगे।4 टूटता कितना है दर्पन सूरत ये लिए, आकर परछाई जो यहां सताने लगे।5 चदं शिकवों की शिकायत हो कैसीं, चंद लम्हों में तबियत घबड़ानें लगे।6 ना सवालात ना फरमाइशें अपनीं , पांव कांटो पे रख गुलाब उगाने लगे।7 -अनूप कुमार श्रीवास्तव