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चंद्रमा पर चंद्रयान- 3

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चंद्रमा पर चंद्रयान- 3  खुशियाँ  छाई   संसार  में, चंद्रमा  पर  उतरा चंद्रयान।  अग्रिम पंक्ति  मिली आज, सच  में  अपना देश महान।  प्रयत्न भगीरथ सफल हुआ, वैज्ञानिक हर्षित हुए सभी।   मुँह पर ताले उनके लगे, सपेरों का देश कहते थे कभी।  असंभव आज संभव हुअा, इसरो को कोटि-कोटि नमन।  लक्ष्य अवश्य प्राप्त होता, प्रात्यक्षिक रूप जब धरे कथन।  अद्भुत, स्वर्णिम वह पल, चंद्रयान पहुँचा जब चंद्र धरातल।  करोड़ों आँखें विस्मित थीं, हो गया भारत का स्वप्न सफल।  तन सबका धरती पर था, मन चंद्रयान संग चंद्रमा पर।   चंद्र मिशन की जीत हुई, हुई  जीत बड़ी आसमां पर।  हार्दिक अभिनंदन भारत सरकार का, विज्ञान करे उन्नति।  योगदान सर्वोत्तम सब दें, विकसित भारत करे तरक्की।  रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय मुंबई  /महाराष्ट्र

लखु कथा- तिरंगा

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लखु कथा- तिरंगा                    तिरंगा उठो रजवी मुझे देर हो रही है।  कल मेरी फाइनल परेड है। आज सारी तैयारी करनी है। क्या राज!  इतनी सुबह- सुबह उठा रहे हो। सो जाओ ना थोड़ी देर? अरे उठो रजवी, ये देखो, मैं चाय बना लाया पी कर बताओं कैसी बनी। चाय का कप रजवी के हाथ में देते हुए राज बोला। अरे बाबा आपके हाथ की चाय कभी ख़राब बनती है? बस बस ज्यादा तारीफ़ के पुल न बांधो। जल्दी उठो और तैयार हो कर आज मेरे साथ चलो गार्डन, तुम्हें अपनी परेड दिखाता हूँ। कल तुम्हें साथ नहीं ले जा पाऊंगा। राज एक आर्मी ऑफिसर है। क्या यार मैं तो कल चलूंगी आपको फुल ड्रेस में परेड करते हुए देखना है। नहीं मैं नही साथ ले जा पाऊंगा इसलिए आज का बोल रहा हूं, जल्दी चलो। नही मैं तो कल ही चलूंगी। रजवी ज़िद पकड़ पर बैठ गई। अच्छा बाबा अब गुस्सा शांत करो और चलो आज और कल दोनों दिन साथ चलना, राज लाल साड़ी देते हुए कहता है। जैसे ही परेड के बैंड बजने की आवाज़ टीवी पर रजवी ने सुनी उसके हाथ से चाय का कप नीचे गिर गया और सपना टूट गया। आंखो में आँसू लिए धीरे से टीवी बंद कर दी क्योंकि आज वो ही 15 तारीख है। आज जब राज तिरंगा ओढ़ कर