अंजाम
अंजाम खतरों से खेलने वाले , अंज़ाम नहीं ध्यान करते । दिन रात कर्मशील बनते , प्रतिपल उद्देश्य में आगे बढ़ते। सीमा पर तैनात सिपाही , खतरे से नहीं बिल्कुल डरता। जान हथेली पर लेकर , कदम दर कदम आगे बढ़ता। विद्यार्थी पूरी तन्मयता से , निज विद्याभ्यास में लीन रहे । शिक्षक अपनी कक्षाओं में , कर समर्पण तल्लीन रहे । क्या होगा अंज़ाम सोचकर , कभी नहीं घबराया करते । पूरी ताक़त लगा कार्य में , अपनी किस्मत आजमाया करते । अंज़ाम मिले मनमाफिक तो , खुशियाँ दरवाज़े दस्तक देती । असफलता दुर्भाग्य से मिले अगर , फिर प्रयत्न का अवसर देतीं । रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय मुंबई / महाराष्ट्र