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कहानी - आखा तीज (अक्षय तृतीया)

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कहानी - आखा तीज (अक्षय तृतीया) इस पर्व को आखा तीज, अक्षय तृतीया, अक्ति इत्यादि कहते हैं। अलग-अलग शहर अलग-अलग नाम से संबोधित करते है, कन्याओं में एक अलग ही उत्साह रहता है, वो गुड्डे, गुड़ियों के विवाह करती हैं, तरह-तरह के खेल, इत्यादि। आज कल इसका उत्साह कम हो गया है, कितना सुन्दर था मेरा बचपन, ये सब सोच रही थी राशि। अरे राशि .... चिल्लाते हुए स्वर में उसकी जेठानी अरुणा ने आवाज़ लगाई। अरुणा की आवाज़ इतनी तीव्र थी कि राशि की तंद्रा स्वत: ही टूट गई,  जी भाभी, सिर पर पल्लू रखते हुए, हड़बड़ी में कमरे से बाहर निकलते हुए राशि ने कहा। क्या कर रही हो, रसोई भी खाली है, आज़ खाना नहीं बनेगा क्या? कोई पकवान नहीं बनाने क्या? जो इतनी फुर्सत में बैठी हुई थी, कमर पर हाथ रखकर भोंये ऊंची करके अरुणा ने राशि की ओर सवाल दागा। भाभी, वो.... कहती हुई राशि थोड़ी हिचकिचाई,  वो क्या.. अरुणा ने गुस्से से चिल्लाते हुए पूछा। एक्चुली, वो आज़ अक्षय तृतीया है ना, तो मम्मीजी ने कहा है कि पहले पूजा होगी फिर सभी को खाना मिलेगा। राशि ने झिझकते हुए कहा। हा पता है मुझे, परंतु रसोई में पूजा की कोई तैयारी तो मुझे दि