महान राजनेता बृजभूषण मिश्र ग्रामवासी की 124 वीं जयंती पर विशेष

महान राजनेता बृजभूषण मिश्र ग्रामवासी की 124 वीं जयंती पर विशेष 

सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट)
पराधीन भारत के उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र में युवाओं में स्वाधीनता की अलख जगाने वाले राजनेता, ग्रामवासी साप्ताहिक समाचार पत्र के संस्थापक/ संपादक  बृजभूषण मिश्र ग्रामवासी का मिर्जापुर के दुद्धी एवं रॉबर्ट्सगंज संयुक्त विधानसभा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। साहित्य, कला, संस्कृति के क्षेत्र में अनवरत रूप से कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक/ इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-" आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आज हम वर्तमान सोनभद्र जनपद में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, संस्कृतिक विकास का श्रेय इस महान विभूति को है। इनका जन्म भाद्रपद कृष्ण ६ [सं० १९५६] (२७ अगस्त १८९९) पं० महेशदत्त मिश्र, हिन्दी, फारसी के विद्वान, संगीतज्ञ के घर, गोपीगंज  (मिर्जापुर जनपद बाद में काशी राज्य में सम्मिलित, वर्तमान समय में स्वतंत्र जनपद संत रविदास नगर) में हुआ था। 
इनकी प्रारम्भिक इमदादीस्कूल गोपीगंज, इण्टर द्वितीय वर्ष  काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुई थी। लेकिन अध्ययन के मध्य में ही गांधी के शंखनाद  पर असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े। जलियांवाला बाग काण्ड के प्रतिरोध में अंग्रेजी दासता से मुक्त, सच्चा स्वतन्त्र भारत बनाने का संकल्प लिया और 'स्वदेश संघ' की स्थापना की।
  ३ मई १९२२ को चचेरे भाई के विदेशी वस्त्र की दुकान पर धरना देने पर क्रिमिनल ला अमेंडमेंट धारा २ के अन्तर्गत गिरफ्तारी, औराई थाने पर मुकदमा १५ माह की सादी कैद ३००/- रु० जुर्माना न देने पर ६ माह और कैद बनारस जिला जेल चौकाघाट में कैद, अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के साथ जेल में बंदी जीवन बिताया।
 ६ महीने के बाद जेल से रिहा हुए। साप्ताहिक समाचार-पत्र निकालने के लिए श्री मोतीलाल नेहरू से भेंट की। लेकिन बात नहीं बनी। मार्च १९२३  में पाक्षिक 'ग्रामवासी' का गोपीगंज से प्रकाशन शुरू किया। 
प्रारंभ में ग्रामवासी साप्ताहिक १/-रु० वार्षिक मूल्य पर छपाई हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज  श्री सांवलादास खन्ना के प्रबंधन में शुरू हुआ। सन १९२४ में "ग्रामवासी" साप्ताहिक, वार्षिक मूल्य २/- रुपया बिना किसी पूंजी के गांव-गांव घूम-घूमकर ग्राहक बनाया। सन १९२८ में ग्रामवासी प्रेस की स्थापना किया।
 सन १९३०-३२ में  नहर रेट वृद्धि के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व करने पर चकिया में १४४ धारा को आठ बार तोड़ा, दफा १८८ में चार-चार महीने की आठ बार ज्ञानपुर जेल में कैद, सन १९३९ में काशी राज्य में 'ग्रामवासी समाचार पर प्रतिबंध और प्रेस बन्द करने का आदेश के बाद प्रशासन का काम बंद हो गया।
 इसके बाद चेतगंज मिर्ज़ापुर से प्रकाशन हुआ लेकिन यहां भी अंग्रेजी सरकार ने 'ग्रामवासी' प्रेस को जप्त कर लिया। तब राजद्रोह पर्चा निकालना शुरू किया। इस राजद्रोह कार्य के लिए ग्रामवासी जी पर मानहानि, अदालत के कई मुकदमे, फरारी, सम्पत्ति जब्ती, निष्कासन सजाओ को  भोगना पड़ा।
सन १९४० में पं० केशवदेव मालवीय गिरफ्तार हुए। उस उपलक्ष्य में टाउन हाल मिर्जापुर में सभा हुई। उसमें अध्यक्षता करने के कारण मुकदमा चला तथा ४ महीने की सजा हुई। सजा समाप्त होने पर बनारस स्टेट ने उन्हें जेल में डिटेन करा दिया। कई महीनों की लिखा पढ़ी के बाद छोड़े गये। 
८ मई १९४२ को महात्मा गांधी से वर्धा, सेवाग्राम मिलने गये। लौट कर आने पर २७ मई को मिर्जापुर में गिरफ्तार हुये ७ महीने नजरबन्दी के बाद नवम्बर में रिहा हुए। सन १९४२ दुद्धी के दौरे पर (क्विट इण्डिया) आन्दोलन के प्रचार में पहले पहल गये साथ में तीन कॉस्टेबल लगाये गये जो इनकी सारी कार्यवाही भाषण रिपोर्ट में करते रहे। वहां से लौटने पर ९ अगस्त " को जैसे कि 'क्विट इण्डिया" आन्दोलन के लिए देश के सभी नेता गिरफ्तार हुये, इन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया तथा १७ महीने नजरबन्द रहे।
 नवम्बर १९२३ में  जेल से रिहा हुए। सन १९४३-१९५९ जिला कांग्रेस कमेटी  मीरजापुर  के कई बार अध्यक्ष निर्वाचित हुये। १९४२ से ५७ तक दूद्धि एवं रॉबर्ट्सगंज संयुक्त विधानसभा के विधायक रहे। १९५९-६९ तक यू०पी० सी०सी० की कार्यकारिणी तथा ए० आई०सी०सी० के निरन्तर सदस्य रहे।
 १९५२ में भूदान समिति के जिला संचालक रहे और २२००० एकड़ जमीन एकत्रित कर पं० नेहरू के हाथों से किसानों को पट्टा बंटवाया। भारत सेवक समाज, हरिजन सेवक समाज मिर्जापुर के संचालक रहे।

सन १९५४ में ग्रामवासी सेवा आश्रम की स्थापना, १९६०  में रिहन्द डैम के विस्थापितों को सरकार से उचित मुआवजा दिलाने तथा पुनर्वास के लिये १३ दिन का अनशन (२० मई १९६० से ३ जून तक ), १९६०-६२ में मिरजापुर जिला परिषद के अध्यक्ष, १९६६-६७ में मिर्जापुर में अकाल के समय में निरन्तर राहत कार्य, राष्ट्रपति श्री जाकिर हुसैन तथा इन्दिरा गाँधी द्वारा मिर्जापुर क्षेत्र का दौरा कराया। भोजनालय खुलवाया, आजीवन गोवध बन्दी, मदिरा बन्दी, अश्लील प्रदर्शन बन्दी, हिन्दी भाषा को प्राथमिकता, लाटरी, जुआ बन्दी, उत्तर प्रदेश में गोवध निषेध विधेयक में पुष्ट संशोधन कराने में प्रमुख योगदान रहा।   लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, पं० मदनमोहन मालवीय ठाकुर रविन्द्र नाथ टैगोर, श्रीमती एनी बेसेन्ट, श्रीप्रकाश,  शिव प्रसाद गुप्त, पं० मोती लाल नेहरू, लाला लाजपत राय,  चितरंजनदास, महात्मा गाँधी, राजगोपालाचारी, शौकत अली, मुहम्मद अली, सरोजनी नायडू, कस्तूरबा गाँधी, निजलिंगप्पा,  पटनायक, डेवर भाई, आचार्य विनोबा, सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, राजेन्द्र लाहिड़ी, राजेन्द्र बाबू, राधाकृष्णन, संजीव रेड्डी, के०एम० मुंशी, शोधजवाहर लाल नेहरू,  इन्दिरा गाँधी,  पराड़कर, प्रेमचन्द, राजर्षि टण्डन, जयप्रकाश आदि देश के नेताओं के साथ रहकर स्वतंत्रता आंदोलन एवं स्वतंत्रता के बाद भारत के विकास में योगदान दिया।
 सेनानी बृजभूषण मिश्रा ग्राम मासी जी आजीवन सोनभद्र जनपद के विकास के लिए संघर्ष करते रहें और सोनभद्र जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में स्थापित करने के लिए सन 1994 में संघर्ष किया था तत्पश्चात जनपद सोनभद्र का मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में १९९६ में स्थापित हुआ।
वर्तमान समय में सोनभद्र जनपद के चोपन नगर के सोनतट स्थित ग्रामवासी सेवा आश्रम की संस्थापक शुभाशा मिश्रा, उनके साहित्य के संकलन एवं प्रकाशन का कार्य कर रही हैं आश्रम में स्थापित ग्रामवासी जी की मूर्ति सोनभद्र युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित कर रही हैं।

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