प्रभाती

प्रभाती
चीं-चीं करती आती चिड़िया।
भोरे हमें जगाती चिड़िया।।                     
‌मीठे गीत सुनाती चिड़िया।
मचक-मचक शोर मचाती चिड़िया।।

मन को खूब लुभाती चिड़िया।          रोज हमें जगाती चिड़िया।।

प्यारी-प्यारी भोली-भाली।      
रंग-विरंगें पंखों वाली।।

तिनका-तिनका चुन चुनकर।              बनाती घरौंदा बुन बुनकर।। 

डाल-डाल पर फुदक-फुदक कर।    
दाना चुगती चहक-चहक कर।।

अपने अंडो को वह है सेती।              अपना जीवन उसे है देती।। 

जीवों का कलरव जो, 
दिनभर सुनने में मेरे आवे।

प्रभु का ही गुणगान जान, 
मन प्रमुदित हो अति सुख पावे।।

रचनाकार - डॉ गौरीशंकर उपाध्याय गिरिडीह (झारखण्ड ) 
                    ‌                         

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