कान्हा एक बार फिर चले आना...

कान्हा एक बार फिर चले आना...
कहां अब कोई शबरी के झूठे बेर में,
वो अनोखा प्रेम देखता है 
कहां सुदामा के लाए अन्न के दाने को,
देख कोई अश्रु बहाता है
प्रेम अश्रु सबके आंखों में सजा जाना
कान्हा एक बार फिर चले आना...
कहां रख दी तूने वो बांसुरी,
जिसकी धुन से राधा,गोपी दौड़ी चली आती थी
वातावरण खिल खिल सी जाती थी,
सबके हृदय में परस्पर प्रेम अनुराग बिखरे,
बांसुरी की सुरीली धुन छेड़ने फिर चले आना
कान्हा एक बार फिर चले आना...
राधा सा प्रेम,मीरा थी तेरी प्रेम दीवानी
अधर पर कृष्ण,इकतारा पर रटती तेरी कहानी
इस काल में लुप्त होता प्रेम
महिमा प्रेम की समझाने आ जाना
कान्हा एक बार फिर चले आना...
मम्मी से अब मैया कह जाए,
माखन के लिए जिद कर जाए,
वही लल्ला वाला प्यार लिए चले आना
कान्हा एक बार फिर चले आना..
धन अब प्रधान हो कालिया बन गया है,
रिश्तों पर कुंडली मार बैठ गया है,
कर देना कालिया का  अब नाश,
रिश्तों पर मोहिनी मंत्र बिखरा जाना,
कान्हा एक बार फिर चले आना...

- उमा पुपुन
रांची, झारखंड

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