समीक्षक दृष्टि-अनुभूतियों के स्वर : भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार कर रहे हैं, वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय, #सत्याहाॅपटॉक्सपोर्टल से

समीक्षक दृष्टि-अनुभूतियों के स्वर :
भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार कर रहे हैं, वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय, #सत्याहाॅपटॉक्सपोर्टल से

वाराणसी : 
       
भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय जी द्वारा, भिक्षावृत्ति से स्थापित, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की  स्थापना की गई थी। यह अविवादित सत्य है और अब इस सत्य के साथ एक और सत्य भी, इसी के अभिन्न अंग के रूप में जुड़ गया है, वैज्ञानिक -लेखक -कवि- साहित्यकार डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय का, कवि के साथ काफ़ी@डाक्टर सत्य प्रकाश काशी हिंदू विश्वविद्यालय और दिन रात,अपने अथक परिश्रम से, इसे वे बड़े मनोयोग से,सोल्लास संचालित कर रहे हैं। *"शिक्षादान  ही महादान है"। यह उनका उद्घोष है।इसमें सुधिजनों को जोड़ने का लगातार वे प्रयास कर रहे हैं और "शब्द से सृजन" जैसा सुंदर नाम देकर, अपने विभिन्न चैनलों- #कविकेसाथक़ाॅफी, #मीट5, #हमारीबातडाॅसत्याकेेसाथ आदि द्वारा, गहरे चिंतन- मनन से, हृदय रूपी महासागर में डुबकी लगाते हैं,उसकी तलहटी तक जाते हैं और चुन- चुनकर शब्दों के मोती ले आते हैं। अभी तक, चार रविवारों को #सत्याहाॅपटॉक्सपटल से, यूट्यूब के जरिए, चार शब्द मोतियों- #प्रतीक्षा, #कुमकुम-#रचनाकार और #काश पर, 40 से 80 तक की संख्या में, रचनाकारों से सृजन करवाने में सफलता हासिल कर ली है । चारों शब्दों पर, देश भर से आई रचनाओं का पाठ,  उन्होंंने सारगर्भित समीक्षा सहित , एक-एक करके चार रविवारों को अति प्रभावी ढंग से, नियमित किया। स्वयं रचनाकारों को, उनकी रचनाओं पर, सारगर्भित टिप्पणियों सहित, ख़ास शैली में,रचना के विधानुकूल पाठ से,रचनाकारों-स्रोताओं को पूरी गरिमा-दिव्यता के साथ बाँधे रखने में, सत्य प्रकाश जी सिद्धहस्त हैं, ऐसा अनुभव कराया।उन्हें साधुवाद देता हूँ। आख़िरी एपिसोड #काश पर, विगत रविवार दिनांक 13/11/2022 -14/11/2022को ,(रचनाकार-रचनाएँ अधिक  होने के कारण,दो भागों में) वाचक, स्वयं डॉक्टर सत्य प्रकाश  पाण्डेय जी ने,80 रचनाकारों की(कुछ की,एक से चार रचनाओं तक) का पाठ  किया और सभी को मंच से बाँधे रखा। कोई  रचनाकार छूट न जाय, पढ़े जाने से,इसलिए शेेष रचनाओं का पाठ सोमवार को भी किया। क्योंकि कुल रचनाओं का पाठ, दो घंटे से अधिक समय में भी पूरा नहीं हो सका।

"शब्द से सृजन"  सप्ताहिक  कार्यक्रम ने, बीते रविवार तक 4 सप्ताह पूरे कर लिए हैं और इन सभी में प्रदत्त शब्दों पर, बड़ी संख्या में प्राप्त रचनाकारों की रचनाओं को,डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय जी को सुनते समय और साथ ही साथ सहभागी रचनाकारों और श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं से दो-चार होते समय, अनंताकाश में, तैरने जैसी अनुभूति हुई और अनुभूतियों को स्वर दे पाना असंभव तो नहीं, लेकिन कठिन अवश्य लगा। आप कल्पना कर सकते हैं कि, 40 से लगायत 80 रचनाकारों को एक सत्र में, लयबद्ध अथवा सीधे-सीधे भी पढ़ते समय रिद्म का आनंद देना, कितना अद्भुत होता है, जो डॉक्टर सत्य प्रकाश पाण्डेय जी बखूबी कर रहे हैं और किया।  महामना के सपनों को साकार करने के लिए, जन-जन में शिक्षा के महत्व को दर्शाने का एक महाभियान चला रहे हैं, तीन वर्षों से अनवरत-अबाध।

शब्द से सृजन की इस श्रृंखला में, मिली जुली सहभागिता रही। 
अहमदाबाद से मीरा जगनानी जी, वाराणसी से सुविधा पाण्डेय जी, मध्य प्रदेश से डॉक्टर अन्नपूर्णा तिवारी जी, आजमगढ़ से कवयित्री नंदिनी जी, सत्य प्रकाश जी स्वयं वाराणसी से, परिणीता कौशिक जी, ओमप्रकाश खंडेलवाल जी, शाहजहांपुर से सीता तिवारी जी, बिहार से डॉक्टर मीरा भारती जी, कानपुर से आकांक्षा शर्मा जी, बिहार से बबीता कुमारी जी, सूरत से रीता सिंह जी, कोटा- राजस्थान से डॉ रघुनाथ मिश्र 'सहज' (मैं स्वयं), बिहार से डॉक्टर इंदु कुमारी जी, जयपुर से दिशा मिश्रा जी, डॉक्टर ओम प्रकाश मिश्र 'व्यथित' जी, छत्तीसगढ़ से सीएल शर्मा जी, रीवा से अनुज्ञा के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात दुबे जी, शामली से अलका शर्मा जी, नेपाल से सतीश चंद्र जी, धामपुर से डोली रस्तोगी जी, बिजनौर से विशिष्ट कवि नीरज सोती जी, झारखंड से श्रीधर द्विवेदी जी, "सत्या होपटॉक्स कार्यक्रम की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शुचि शर्मा जी, नोएडा से अपर्णा शर्मा जी, मेरठ से जगदीश प्रसाद जी (चार रचनाओं सहित), जबलपुर से भारती शर्मा जी, सच्चिदानंद शलभ जी , श्रीकांत तैैलंंग जी,डॉक्टर दक्षा नियामत जी, सुशीला शर्मा जी, विनीता चौरसिया जी आदि।

चारों शब्दों पर सृजित सभी रचनाओं के समवेेत भावों में, जीवन मूूल्यों, माावीय मूल्यों, मानवसेवा, समाजसेवा, मूल्याधारित आध्यात्मिक शिक्षा, नैतिक मूल्यों की रक्षा, देश-प्रेम, आपसी सद्भाव, होनेपन को सिद्ध करने का संदेश, निजी स्वार्थ से ऊपर उठ कर, व्यष्टिवाद से समष्टिवाद की ओर अग्रसर रहने का संदेश दिया गया है और याद दिलाया गया है कि, मनुष्य जीवन कुछ खास उद्देश्यों के लिए होता है, जिसे हमेशा याद रखना चाहिए। सभी में शिक्षा के महत्व को दर्शाए जाने के साथ, जो शिक्षा हमें मिल रही है, उसका अनुसरण करने की बात मुखर हुई है । समवेत भाव यही कहते हैं , "वही मनुष्य है कि, जो मनुष्य के लिए जिए।"

इस रविवार का विषय है, 'आज' और लगता है, इस पर 100 रचनाकार शामिल होंगे। किसी को भी कम/ज्यादा कह पाना मुश्किल ही नहीं,प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध होगा। ऐसा मेरा मानना है।साथियों की राय, मेरी राय से भिन्न हो सक्ती है,जो स्वाभाविक है। सभी संभागी रचनाकारों का मैं आभारी हूँ।क्योंकि, थोक में पढ़कर, सुन कर,जीवन के रहस्यों, आकर्षण के नियमों,प्राकृतिक सिद्धांतों (सभी पर्यायवाची हैं) को, करीब से सीखने का अवसर मिला।
 कार्यक्रम के माध्यम से सभी को व्यक्तित्व के विकास को करने में भी  भूतपूर्व सफलता मिली है और पिछले दो वर्षों से व्यक्तिगत रूप से जुड़े हुए सदस्यों को ट्रेंड करके जो संयोजन समाज के सामने उन्होंने प्रस्तुत किया है उससे लाखों लोगों को लाभ प्राप्त हो रहा है। देश के कोने कोने से जुड़े हुए  कि जनता के बीच के लोग वक्ता के रूप में स्थापित हो रहे हैं, वह समाज को एक नई दिशा में तत्पर करने के लिए भी आंदोलित है और आने वाले समय में देश को  विचार को और नेतृत्वकर्ताओं को की फौज  प्रदान करने वाला यह कार्यक्रम बनेगा। इस प्रकार के व्यक्तित्व  के साथ जोड़कर और अधिक काम करने के लिए भी लोग अपना समय निकाल रहे हैं, और यह चाहते हैं कि उनको व्यक्तिगत काउंसलिंग के माध्यम से डॉ सत्य प्रकाश का मार्गदर्शन प्राप्त हो। इसके लिए भी एक बड़ी कार्यशाला आयोजित करने के विचार है, जिसके लिए अपनी भूमिका के साथ हम सभी उनके साथ तत्पर हैं। महामना का सपना ही सफलता प्राप्त कर रहा है।
             @डॉक्टर रघुनाथ मिश्र 'सहज'
वरिष्ठ अधिववक्ता/साहित्यकार/कौंसिलर/समीक्षक/संपादक/समालोचक/संपादक/नाट्यकर्मी/अभिनेता/व्यक्तित्व विकास परामर्शी)
संपर्क - 3के-30, तलवण्डी, कोटा-324005 (राजस्थान)
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