श्रद्धा

श्रद्धा - 

अटूट  श्रद्धा   हो  ईश्वर  के प्रति  , 
जिसने     जीवन   उधार   दिया । 
परम   पिता  परमात्मा   जी  ने  , 
बहुत     बड़ा    उपकार  किया  । 

पूर्ण  श्रद्धा  माता पिता  के  प्रति  , 
उन्हीं   की   देन   जीवन  अपना । 
संसार   मिला   घर -द्वार   मिला  ,
पूर्ण    हुआ    हर   सुंदर   सपना । 

श्रद्धा  हमारी श्री  गुरुवर के  प्रति  , 
जिन्होंने   अज्ञान   विनाश  किया । 
अंधकार     को    दूर     फेंककर  , 
सद्गुणों     का    विकास   किया । 

श्रद्धा   अपनी    हो  मातृभूमि  से  , 
जिस  पर   जीवन  निर्वाह  किया । 
कण  - कण  श्रद्धा   से  शीश चढ़े  , 
जिस    मिट्टी   ने   आबाद  किया  । 

श्रद्धा    के    दीप  समर्पित  आज  , 
अंधियारा     दूर      भगाने     को  । 
अपनी    श्रद्धा     अर्पित    उनको  , 
तत्पर मातृभूमि पर शीश चढ़ाने को। 

- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई / महाराष्ट्र, 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ की टीम ने की गुणवत्ता को जांच

विशिष्ट स्टेडियम तियरा के प्रांगण में विकसित भारत संकल्प यात्रा सकुशल संपन्न

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ बने विश्व के कीर्तिमान