कविता - कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब!

एक गरीब अपने मालिक से क्या कहता है? आइये इस कविता के माध्यम से समझने का प्रयास करें। 

(कविता) 
कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब!  
हम सबकी सुनते हैं, कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब।
हम भी परिवार वाले हैं, दो वक्त की रोटी चाहिए जनाब। 

सुना था आप बड़े दयालु हैं जनाब,
मुझ पर भी एक बार रहम कर दीजिये जनाब। 
बरसो से सेवा की है आपकी, एक बार मुझ पर भी तरस खाइए जनाब। 
आप बड़े अमीर हैं,  
कुछ गरीबों को भी दान कर दीजिये जनाब। 
एक दिन महल छोड़ झोपड़ी में आइये जनाब।

हम सबकी सुनते हैं, कभी हमारी भी सुना कीजिए जनाब। हम भी परिवार वाले हैं, दो वक्त की रोटी चाहिए जनाब। 

- गौतम विश्वकर्मा
(प्रधानाचार्य)
शिवा एकेडमी, सुकृत- सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)

फोटो साभार- गूगल

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