स्मृतियों के झरोखे से

स्मृतियों के झरोखे से

 स्मृतियों के झरोखे से 
जब ख्याल तुम्हारा आया,
आंखें भीगी दिल रोया 
वह पल में ना भुला पायी

वदन की मधुर वो खुशबू,
मुस्कान भरा वह चेहरा,
जिसमें शांति घुली रहती,
वो पल मैं ना भुला पायी।
  
माना कि दूर सभी जाते,
फिर क्या वापिस नही आते,
एक साथ देखे जो सपने,
वह पल मैं ना भुला पायी।

खट्टी मीठी वो बातें,
संग  डूबते सूरज को देखते ,
मंद पवन से बातें करते,
वह पल में ना भुला पायी।

जब भी यादें आ जाती,
देहरी पार अंदर आ जाती,
अंतर्मन को झकझोरती,
वह पल मैं ना भुला पाई।

तुम क्या मुझको भूल सके,
दिल को तुम क्या समझा सके,
स्मृतियों को दूर न कर पाई,
वह पल में ना भुला पाई।

- प्रभा दुबे, रीवा, मध्य प्रदेश
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