सुहागिनों ने रखा तीज का व्रत, किया पूजा व भजन-कीर्तन

सोनभद्र  :
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को कल सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिये 24 घंटे निर्जला हरितालिका तीज का व्रत किया तथा शिव मंदिरों में विधिवत पूजा अर्चना किया तथा तीज की कथा सुनी व ढोलक के थाप पर लोकगीत, भजन-कीर्तन गाया। इस अवसर पर व्रती महिलाओं ने भगवान शिव- पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के फल- फूल और व्यंजन चढ़ाकर दुग्धाभिषेक किया।
जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज सहित संपूर्ण जनपद में व्रती महिलाओं ने अपने घर पर सर्वप्रथम भगवान शिव- पार्वती की पूजा- पाठ कर मंदिरों में जाकर उनकी पूजा अर्चना कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।‌ तथा इस अवसर पर घरों में अथवा सामूहिक रूप से तीज व्रत संबंधी कथाएं भी व्रती महिलाओं ने सुना।

हरितालिका तीज व्रत की कथा 

आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" ने बताया कि पुराणों में हरितालिका तीज व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है कि-
"एक बार कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिवजी से माता पार्वती जी ने पूछा कि मैंने किस पुण्य से आपको प्राप्त किया है, इस प्रश्न पर शिवजी ने बताया कि सुंदर हिमालय पर्वत पर तुमने बाल्यावस्था में अत्यधिक कठिन तप किया था जिसमें तुम 12 वर्ष नीचे की तरफ मुख करके केवल वायु पान करके जीवित रही, 64 वर्ष सूखे पत्ते खाकर रही, श्रावण माह में वर्षा सहती रही फिर, उधर तुम्हारे पिता हिमाचल तुम्हारे विवाह की चिन्ता में पड़े तुम्हें किस श्रेष्ठ पुरुष से ब्याहे इस चिंता में लीन थे तभी एक दिन देवर्षि नारद जी आए हिमाचल ने और उनका आदर-सत्कार किया फिर नारद ने राज्य की कुशल-क्षेम पूछा और बताया कि श्री हरि विष्णु तुम्हारी कन्या से विवाह करना चाहते हैं। यह सुनकर तुम्हारे पिता हिमाचल बहुत प्रसन्न हुए और विवाह की स्वीकृति दे दिया परन्तु जब पिता द्वारा तुमको यह बात मालूम हुई तो तुम अपनी सखी के पास जा कर रोने लगी और यह बताया कि तुम प्रारम्भ से ही शिव से विवाह करना चाहती हो और पिता तुम्हें विष्णु को समर्पित करना चाहते हैं तब तुम्हारी सखी ने कहा कि चलो मैं तुम्हें ऐसे घने वन में ले चलती हूं जहां तुम्हारे पिता पहुंच ही नही सकते। जब तुम सखी के साथ घने वन में नदी के किनारे पहुंची तो वहां तुमने भाद्रपद शुक्ल पक्ष तीज तिथि को हस्त नक्षत्र में बालू का शिव लिंग बनाकर भक्ति पूर्वक पूजन, भजन, जागरण इत्यादि किया। जिससे मैं प्रसन्न होकर तुम्हारे पास पहुंच गया और तुमसे वर मांगने को कहा तब तुमने कहा कि हे "देव! आप मेरे पति बने" मैं वर देकर कैलाश पर्वत पर आ गया और उदर तुम्हारे पिता तुम्हें ढूंढते- ढूंढते दूसरे दिन वहां पहुंच गए तुम्हें गले से लगाकर बहुत रोए और घर चलने को कहा तब तुमने कहा कि यदि आप शिवजी से मेरा विवाह करें तब मैं घर चल सकती हूं अन्यथा नहीं। तब हिमांचल ने तुम्हे विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा, दूसरे दिन तुमने नदी में पूजा विसर्जित कर पारण किया और सो गई तभी तुम्हारे पिता वहां पहुंचे और तुम्हें अपने राज महल में ले आए फिर शुभ लग्न में तुम्हारा विवाह मुझसे करा दिया।"
इस अवसर कोरोना महामारी के मद्देनजर शिव मंदिरों में व्रती महिलाओं ने सामाजिक दुरी बनाकर पूजा, भजन, कीर्तन इत्यादि किया।


   - ब्यूरो चीफ गोविन्द प्रसाद पाण्डेय की रिपोर्ट 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ की टीम ने की गुणवत्ता को जांच

विशिष्ट स्टेडियम तियरा के प्रांगण में विकसित भारत संकल्प यात्रा सकुशल संपन्न

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ बने विश्व के कीर्तिमान