भौम प्रदोष व्रत करने वाले लोग शीघ्र होंते हैं ऋण मुक्त

भौम प्रदोष व्रत करने वाले लोग शीघ्र होंते हैं ऋण मुक्त...

भौम प्रदोष व्रत-

आज 15 सितम्बर 2020 दिन मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है। कहते हैं कि भौम प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय"ध्रुव जी" के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।  मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

शुभ मुहूर्त-

पूजा का शुभ मुहूर्त –15 सितम्बर 2020 मंगलवार सायं 06:26 से 07:36 तक
 
भौम प्रदोष व्रत :

जब मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि का योग बनता है तब यह व्रत रखा जाता है। चूंकि मंगल का एक अन्य नाम भौम भी है अत: इसे भौम प्रदोष भी कहा जाता है। यह व्रत हर तरह के कर्ज से छुटकारा  दिलाता है। कभी कभी कर्ज/ऋण लेने के बाद उसे चुकाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, अत: कर्ज की समस्या दूर करने के लिए भौम प्रदोष व्रत लाभदायी सिद्ध होता है। 
हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है।

भौम प्रदोष के विषय में —

प्रदोष तिथि का विशेष महत्व मंगलवार व शनिवार को माना जाता है।

ॠण मुक्ति दायक होने के कारण मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि "भौम प्रदोष" का महत्व बढ़ जाता है।

इस दिन शाम के समय 108 बार किया गया हनुमान चालीसा का पाठ  लाभदायी सिद्ध होता है।
 
जीवन में मंगल ग्रह के कारण मिलने वाले अशुभ प्रभाव में कमी हो अत: भगवान शिव की पूजा की जाती है।

इस दिन मंगल देव के 21 या 108 नामों का पाठ/जप करने से ऋण से शिघ्र  छुटकारा मिल जाता है तथा मंगल ग्रह की शांति भी हो जाती है।

इस दिन हनुमान मंदिर में 108 बार या यथाशक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करके बजरंग बली को बूंदी के लड्डू अर्पित करके उसके बाद व्रतधारी को भोजन करना चाहिए।

जहां एक ओर भगवान शिव व्रतधारी के सभी दुःखों का अंत करते हैं, वहीं मंगल देवता अपने भक्त की हर तरह से मदद करके उसे उस बुरी स्थिति से बाहर निकालने में उसकी मदद करते हैं।

मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन व्रत रखकर शाम के समय हनुमान जी व महादेव शिव की पूजा की जाती है।

भौम प्रदोष व्रत कथा - 

प्राचीन काल की बात है। एक वृद्ध स्त्री थी, वह भगवान शिव और हनुमान जी की परम भक्त थीं, उनका एक बेटा था, एक दिन हनुमान जी ने वृद्धा की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए साधु का रूप लिया और वृद्धा के घर के बाहर जाकर कहा कि कोई हनुमान भक्त है तो बाहर आए, यह सुनते ही वृद्धा ने घर से बाहर आकर हनुमान जी को प्रणाम किया, साधु ने वृद्धा से कहा हमे बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दो,
वृद्धा जब भोग लेने के लिए घर के अन्दर जाने लगी तब साधु बोले कि हम तुम्हारे बेटे की पीठ पर बना भोजन ही ग्रहण करेंगे, वृद्धा को यह सुनकर बहुत हैरानी हुई लेकिन वह संत भगवान को दुखी नहीं करना चाहती थी इसलिए अपने बेटे को बुलाकर लाई और साधु ने उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाया।
वृद्धा का मन बहुत दुखी था अत: वह वापस अपने घर के अंदर लौट गई, थोड़ी देर बाद साधु ने वृद्धा को आवाज लगाकर बुलाया और कहा कि अपने बेटे को भी बुलाओ वह भी हमारे साथ भोजन करेगा, इतना सुनकर वृद्धा रोने लगी लेकिन फिर भी साधु के बार-बार कहने पर उन्होंने अपने बेटे को आवाज लगाई, आवाज सुनते ही उनका बेटा जीवित हो गया, तब से ही भौम प्रदोष व्रत को बहुत प्रभावशाली माना जाता है।

भौम प्रदोष व्रत हेतु शिवजी की आरती- 

ॐ जय शिव ओंकारा। स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधर्ता।
सुखकर्ता दुखहर्ता जगपालन कर्ता॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ए तीनो एका।।
ॐ हर हर हर महादेव।।

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगे।
अर्द्धांगी, शिवरंगी शिवलहरी गंगे॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

जटा में गंग विराजत, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

काशी में विश्वनाथ विराजे नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ भोग लगावत, महिमा अति भारी॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ हर हर हर महादेव।।

ॐ जय शिव ओंकारा। स्वामी जय शिव ओंकारा।।

ॐ हर हर हर महादेव।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
ॐ हर हर हर महादेव।।

        - हिन्दुस्तान जनता न्यूज की रिपोर्ट 

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