ब्रह्म द्रव्य है, यह पानी

ब्रह्म द्रव्य है, यह पानी  
जल तो केवल बूंद नहीं है, ब्रह्म द्रव्य है यह पानी।
इसकी बर्बादी को रोकें, कहते सभी, संत स्वामी।।

माँ की भांति यह पोषक है, ऊर्जा का भंडार सही।
यह तो कल्याणक सबका, जीवन का आधार यही।।

जल पवित्र करता है सबको, यह औषधि रसायन है।
सेवन से मिलती है ऊर्जा, जीवन का तो विधायन है।।

देव स्वरूप हम इसे मानकर, करते है इसकी पूजा।
जल बिन जीवन दुर्लभ है, जल सा द्रव्य नहीं दूजा।।

अनुपम जल है, एक धरोहर मान गए न्यायालय भी।
इसके अतिदोहन को रोकें, बच्चे, बूढ़े और   सभी।।

जल के भंडारण को सोचो, आओ करें, विचार सभी।
जल के प्रति व्यवहार को बदलें, रोकें अत्याचार सभी।।

पानी है तो जीवन सबका, पानी से ही सबका पानी ।
पानी का बस मोल जान लो, नहीं तो याद आए नानी।।

रचनाकार : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
                सुंदरपुर, वाराणसी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ की टीम ने की गुणवत्ता को जांच

विशिष्ट स्टेडियम तियरा के प्रांगण में विकसित भारत संकल्प यात्रा सकुशल संपन्न

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ बने विश्व के कीर्तिमान