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सरदार भगत सिंह जयंती - (28 सितंबर)

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सरदार भगत सिंह जयंती - (28 सितंबर)  कोटि नमन   शहीद  भगत  को ,  जिनका तन, मन, वतन का था । आज  उनकी    ययंती का दिन ,  देश   हेतु  अर्पित  जीवन   था  । अमर  शहीद  भगत  सिंह  को  ,  हार्दिक  पुष्पांजलि  अर्पित  है  ।  जयंती , शहीद  ए आज़म   की ,  भावना  का  पुष्प   समर्पित  है । वीरता    स्वयं   थी     मूर्तिमान ,  थे    स्वतंत्रता     के   मतवाले  ।  जुनून  मात्र   माँ  की  आज़ादी  ,  देश    पर    मर   मिटने   वाले  । जलियांवाले    हत्याकांड    ने  ,  दिया    बहुत   गहरा   आघात ।  सशस्त्र  क्रांति  केवल  विकल्प ,   मन   में   भरा   हुआ  विश्वास । अमर  रहेंगे  सदा  भगत  सिंह  ,  सदा   अमर  उनका  बलिदान  ।  उनकी    गाथा    अमर   रहेगी  ,  याद   उन्हें   करेगा   हिंदुस्तान  । - चंद्रकांत पांडेय मुंबई  / महाराष्ट्र

गौरवमय अतीत भारत का

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गौरवमय अतीत भारत का  गौरवमय  अतीत   देश   भारत  का ,  सभ्यता  ,    संस्कृति    रही   महान।  स्वर्ग     समान     सुंदर     राष्ट्र   का,   अधिकांश     देश    करते   गुणगान ।  देवों, संतों, ऋषि, मुनियों  की  धरती, धरती यह राधा, सावित्री , सीता  की ।  कर्मभूमि   छत्रपति   राजाओं    की  ,  पुरुषोत्तम राम, श्रीकृष्ण के गीता की ।  उत्तर  में  प्रहरी  पर्वतराज  हिमालय  ,  दक्षिण  में   सुशोभित  कन्याकुमारी  ।  पूर्व   में  हरा  - भरा , सुंदर  आसाम  ,  पश्चिम राजस्थान का मरुस्थल भारी ।  एक तरफ़ हिमालय  के  पर्वत प्रदेश  ,  दूसरी ओर  गंगा  यमुना  का  मैदान ।  खाद्यान्न   उगलती   यहाँ  की  धरती  ,  वसुंधरा     तो    रत्नों    की    खान  ।  भाषा  ,   प्रांत   ,   धर्म     में     बँटा  ,  पर भारत की अपनी विशेष पहचान ।  अनेकता  में    भी   एकता   दिखती  ,  अपना    अतीत  सच    में     महान  ।  रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय  मुंबई / महाराष्ट्र  समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करें। WhatsApp No. 9935694130

भौतिक समृद्धता, स्थायी सुख का कारण नहीं : डॉ दयाराम विश्वकर्मा

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भौतिक समृद्धता, स्थायी सुख का कारण नहीं : डॉ दयाराम विश्वकर्मा         (एक आध्यात्मिक चिंतन)            वर्तमान संदर्भ में सुख की अवधारणा अलग अलग व्यक्तियों के लिए अलग अलग होती है, लेकिन आमतौर पर सुख एक भावी और मानसिक स्थिति माना जाता है, जिसमें व्यक्ति को तृप्ति, संतोष और आनंद का अनुभव होता है। सुख की धारणा सभी लोगों के लिए सामान्य रूप से अच्छा स्वास्थ्य, सुखद सामाजिक संबंध, आर्थिक सुरक्षा, परिवार कार्य सुरक्षा, आत्म सम्मान, स्वतंत्रता और  मानसिक सुख आदि के माध्यम से प्राप्त होता है।  आचार्य तुलसी ने राम चरित मानस में लिखा है,  काहू न कोऊ सुख कर दाता।  निज कृत कर्म, भोग सब भ्राता।।      हम जिस नियत को धारण कर कर्म करते है, वैसा ही फल हमें प्राप्त होता है। श्रीमद भागवत पुराण में श्री कृष्ण ने अपने नंद बाबा से कहते है कि,   कर्मणा जायते जंतुः, कर्मणैव प्रलियते।  सुखम, दु:खम, भयम्, क्षेमम्, कर्मणैव भिपद्यते ।।  यानि कर्मों के अनुसार ही सुख दु:ख भय और मंगल की प्राप्ति होती है। वैसे देखें तो जन्म  मरण, सुख, संपत्ति, विपत्ति, कर्म, काल, पृथ्वी, भवन, धन, पुर, परिवार, स्वर्ग, नरक

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती विशेष

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  पंडित दीनदयाल उपाध्याय  जयंती विशेष  पच्चीस    सितंबर    दिन     विशेष , पंडित   दीनदयाल  ने  जन्म  लिया  ।  प्रिय    माता   रामप्यारी   जी   तथा  ,  पिता भगवती प्रसाद को धन्य किया ।  विराट  व्यक्तित्व  संपन्न  पंडित  जी  ,  भारतीय  जनसंघ   के   कर्ता  धर्ता  ।  राष्ट्रीय     स्वयं    सेवक    संघ    के  ,   थे      प्रमुख       संगठन       कर्ता  ।  माननीय     श्री     उपाध्याय      जी  ,  मेधावी       थे       अध्ययन       में   ।  गहरी    रुचि     थी     राजनीति   में  ,  बहुत  लगाव   साहित्य    सृजन   में  ।  माता - पिता    दोनों     की    छाया  ,  छूट     गई        थी     बचपन     में  ।  मानवतावादी  , सहयोगी  विचारधारा ,  बलवती    रही    थी   तन    मन   में । संस्कृति  निष्ठा    का   पाठ  सिखाया ,  माध्यम     बनी      कई     पत्रिकायें  । आर्थिक     नीति      के     रचनाकार  ,  पल्लवित    आज   सकल   कामनाएं । श्रद्धा    के     सुमन   अर्पित  उनको  ,  ऋण उनका  नहीं  कभी  भी भुलाना  ।  किया    जो     उन्होंने    हमारे   लिए  ,  उसको    मिलकर     सभी     चुकाना । परिवर्

बेटी मेरी परछाई है

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बेटी मेरी परछाई है नन्ही सी परी है तू आसमान से आई है।  फूल नहीं कली है तू बेटी मेरी परछाई है।।  आंगन की बिजली है  सुनहरे रंग की तितली है,  भंवरों के पीछे दौड़ने वाली मन मौजी मन चली है।  कोना-कोना महकजाये मुस्काती मंद पुरवाई है।  फूल नहीं कली है तू बेटी मेरी परछाई है।।  तुम्हारी आहट से ही पापा के चेहरे पे मुस्कान है,  तुम पर ओ मेरी गुड़िया मेरा सबकुछ क़ुरबान है।  सूने आंगन में आकर खुशियां तूने फैलाई है।  फूल नहीं कली है तू बेटी मेरी परछाई है।।  - शेख रहमत अली "बस्तवी" बस्ती (उ, प्र,) 

हाल ए दिल बयां करूं भी तो कैसे

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हाल ए दिल बयां करूं भी तो कैसे नानी, दादी के किस्से हो गए फजां से गुम, अब तो दरो दीवार से लोरी की गूंज सुनाई देती है... हमने जरूरत से ज्यादा खुशियां देने की ठानी थी, आंसू के सैलाब में, तन्हाई अब दोस्त हमारी है... पता नहीं गलती से गलती कहां हो गई, अब तो मोबाइल पर भी तस्वीर कहां तुम्हारी है... सोचा था उसके हर पल का हिसाब रखूंगी, गिनने को तो वक्त भी अब कहां बाकी है... हाल ए दिल बयां करूं भी तो कैसे, मेरी दुखती कलम में रोशनाई कहां बाकी है.. शीशे के टूटने की परवाह कौन करे भला, अश्कों के संग बिखरने की बारी हमारी है... उमा पुपुन की लेखनी से... रांची, झारखंड

किसी भी देश की संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासतें उस देश की सभ्यता का पैमाना होता है : डॉ. भरत शर्मा

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किसी भी देश की संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासतें उस देश की सभ्यता का पैमाना होता है : डॉ. भरत शर्मा  उक्त विचार पंचकन्या और संस्था द्वारा आयोजित कला संस्कृति लोक मंच २०२३ के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. भरत शर्मा (सदस्य - सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत सरकार) ने अपने उद्बोधन में कहे । आपने कहा कि भारतीय संस्कृति - वसुदैव कुटुम्बकम्, अहिंसा, त्याग, सत्यमार्ग पर चलने की, देश प्रेम और अपने माता-पिता, गुरु, धर्मपरायणता और अध्यात्म के प्रति समर्पण की संस्कृति है।  सभागार में युवाओं की अधिक संख्या देख उन्होंने आयोजकों को बधाई दी और युवाओं को भारतीयता और भारतीय संस्कृति की जड़ो से जुड़े रहने का आह्वान किया।  देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खचाखच भरे सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री, म. प्र. शासन उषा ठाकुर, झारखंड से महापौर आशा लाकरा, दिल्ली से डॉ. कुमुद शर्मा ने भी उपस्थित सांस्कृतिकर्मी और कलाप्रेमियों को संबोधित किया।  इंदौर से सांसद शंकर लालवानी ने बताया किस तरह उनकी संस्था संस्कृति लोक मंच का गठन हुआ

आओ हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को सीखें

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आओ हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को सीखें   स्मरण रहें कि हृस्व स्वर में केवल एक मात्रा होती है एवं इसका उच्चारण अल्प समय और अल्प ध्वनि में होती है।  इसकी कुल संख्याएं 4 होते हैं :- अ, इ, उ एवं ऋ। काव्य-जगत् में इसकी सांकेतिक भाषा (।) होती है। जबकि, दीर्घ स्वर में दो मात्राएं होते हैं एवं हृस्व स्वर की अपेक्षा इसके उच्चारण में दोगुना समय लगता है। इसकी कुल संख्याएं 7 होते हैं :- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ और औ। काव्य-जगत् में इसकी सांकेतिक भाषा(s)होती है। प्लुत स्वर :- प्लुत स्वर में तीन मात्राएं होती हैं एवं इसका अधिकांश प्रयोग संस्कृत भाषा में की जाती है जिसे देववाणी भी कहते हैं।  ज्ञात हो कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है एवं यह वैदिक काल से बोली जाती है एवं यह आर्यों की भाषा रही है। उदाहरणार्थ :- ओ३म , हरिओ३म इत्यादि। अनुस्वार:- किसी अक्षर या शब्द के ऊपर (.) दिया जाता है एवं इसका उच्चारण नाक से की जाती है। उदाहरणार्थ :- सुंदर, कंचन, वंदना, चंचला इत्यादि। जबकि, अनुनासिक में किसी अक्षर या शब्द के ऊपर चंद्रबिंदु दिया जाता है।  यति :- काव्य-जगत् में जब हम कोई काव्यपाठ करते हैं तो किस

गजल - बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी

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गजल - बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी  इतना बेदर्द बन गया कैसे, बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी। दिल ये टूटा हुआ है अर्से से, ज़ख्म दिल के दुखाने की जरूरत क्या थी। बेवजह रूठ कर जाने वाले, मुझको अपना बनाने की जरूरत क्या थी। तूने हर बार दिया जख्म मुझे, फिर ये एहसास जताने की जरूरत क्या थी। हर सवालात तेरे जख्मी थे, ऐसे हालात में सवालों की जरूरत क्या थी। इतना खुदगर्ज हो गया कैसे, सिलसिले वार पे वार की जरूरत क्या थी। फैसला करते हुए सोचा होता, फासले हो तो फैसलों की जरूरत क्या थी। अक्सर यादों में होस आता है, इस कदर साथ निभाने की जरूरत क्या थी। इतना बेदर्द बन गया कैसे, बेवजह दर्द बढ़ाने की जरूरत क्या थी। साहित्यकार व लेखक-  आशीष मिश्र उर्वर कादीपुर, सुल्तानपुर

ग्राम स्वराज्य समीति चंदौली के द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत भीमराव अंबेडकर कोचिंग सेंटर व CDPO सहित आगंबाडी के साथ हुई बैठक

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ग्राम स्वराज्य समीति चंदौली के द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत भीमराव अंबेडकर कोचिंग सेंटर व CDPO सहित आगंबाडी के साथ हुई बैठक नौगढ़- चंदौली :(जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट)  ग्राम स्वराज्य समीति चंदौली के द्वारा चलाए जा रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत दिनांक 25 सितम्बर 2023 को कार्यकर्ता मदन मोहन के द्वारा मझगाई में भीम राव अंबेडकर कोचिंग सेंटर पर सभी बच्चों और शिक्षकों को  बाल विवाह, नशा मुक्ति, बाल मजदूरी  समाप्त करने एवं  समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों को समाप्त करने के लिए शपथ कराया गया।   आगे यह भी बताया गया कि यदि समाज को आगे ले जाना है तो शिक्षा सबसे जरूरी है। जब तक हम शिक्षित नहीं होंगे हमारा समाज आगे नहीं बढ़ पाएगा । कोचिंग सेंटर के प्रबधक विजेंद्र यादव द्वारा बताया गया कि बच्चों को बाल मजदूरी से रोकने का प्रयास करना होगा तथा जो बच्चे विद्यालय नहीं जा रहे हैं उन्हें जागरूक करने की जरूरत है और आई सी डी एस विभाग में सी डी पी ओ सहित आगंबाडी व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ बाल विवाह, बाल मजदूरी, यौन उत्पीड़न, बाल तस

बेटी दिवस

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  बेटी दिवस  पापा के सिर की पगड़ी मां हाथों की कलछुल बेटी, रिद्धि सिद्धि दो कुल है बेटी। पापा के सिर की पगड़ी, संबन्धों की डोर कड़ी। बाबा की मर्यादा है, नये सृजन का वादा हैं। आजी की है प्राण लली, मन जूही अनखिली कली। भाई का विश्वास है वो, वही करेगी कहेंगे जो। भाभी की चंचला सखी, बोझिल मन की दवा चखी। बच्चों की हमजोली है, कंथा मंथा गोली हैं। अपने चाचा की प्यारी, लाती भोजन की थारी। चाची के है लिए खिलौना, जब तक गोद न आता छौना। पूरे घर की किलकारी, खिला सुमन आंगन क्यारी। इसके बिन न राखी पर्व, जिनके बहन है करता गर्व । नवरात्री दुर्गा माता, करवा चौथ तीज नाता। लक्ष्मी गौरी का प्रतिरूप, कभी है छाया कभी है धूप। बेटी से संस्कृति पहचान, बेटी ने रखा है मान। कभी बनी सीता सावित्री, संतोषी काली गायत्री। बेटी से संसार सृजन, इसकी शिक्षा का लें प्रन। इसे बचायें इसे पढ़ायें, भारत की संस्कृती बचायें।। - डाॅ0 रामसमुझ मिश्र अकेला

शून्य सी चिंतन करती

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शून्य सी चिंतन करती शून्य सी चिंतन करती, क्या उसके जन्म पर शिकन मां पिता के माथे पर बेहिसाब आए होंगे.. पालन पोषण फिर दहेज भाव थोड़ी खुशी थोड़ा गम का  समावेश दिल में छिपाते होंगे.. फिर वही बिटिया जान बन गई मां पिता की मुस्कान बन गई.. कितना बदल गया है अब समय, हर बात पर मनाते हैं उत्सव.. बेटी दिवस पर मनोभाव लिख  अपने प्रेम को अंकित करते बेटी के मस्तिष्क पर, वक्त भी अब बेवक्त हो गया है, कहीं बेटी नहीं, कहीं मां पिता नहीं कौन चूमे उसके ललाट को, गले लगा कर उसे स्नेह कर जाए.. उन पसीने की बूंदों को पोंछ रही होती, अपने वजूद पर खुद इठला रही होती.. देख नहीं पा रही हैं ये अंखियां, बरस रही हैं उनके प्यार की बूंदे अनगिनत, बेहिसाब वैसे ही, मेरे मन में मानो कोई तूफान उठा हो जैसे.. समेट रही हूं उनके स्नेह को आंचल पसार महसूस किया है मेरे ललाट पर  मां पापा के स्नेह का चुम्बन लगाया मुझे भी "बेटी" कहकर आलिंगन  झूम रही हूं उनका स्नेह पाकर वैसे ही, मोरनी झूमती जैसे मेघपुष्प देखकर... - उमा पुपुन की लेखनी से रांची, झारखंड

साँई नाथ कॉलेज आफ फार्मेसी फार्मेसी वीक के तहत ग्राम सभा मानपुर पंचायत भवन में मेडिकल कैंप का किया गया आयोजन

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साँई नाथ कॉलेज आफ फार्मेसी फार्मेसी वीक के तहत ग्राम सभा मानपुर पंचायत भवन में मेडिकल कैंप का किया गया आयोजन  सोनभद्र : (संवाददाता संदीप शर्मा की रिपोर्ट)  आपको बताते चले कि पूरे प्रदेश में दिनांक 17 सितंबर 2023 से 2 अक्टूबर तक आयुष्मान भव सेवा पखवाड़े के आयोजन के संबंध में दिनांक 23 सितंबर 2023  फार्मेसी वीक के दौरान साईनाथ कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी के  छात्रों द्वारा ग्राम सभा मानपुर में पंचायत भवन पर मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया जिसमे सैकड़ों कि संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया ।  इस मेडिकल कैंप में  साईनाथ हॉलिस्टिक हॉस्पिटल की टीम द्वारा लोगों का फ्री चेकअप कर दवा वितरण किया गया इसके पश्चात छात्रों द्वारा ग्राम वासियों में फल वितरण कर लोगों को स्वास्थ्य प्रति जागरूक किया गया। साईनाथ कॉलेज ऑफ फार्मेसी के शिक्षकगण व साईनाथ होलिस्टिक हॉस्पिटल के कर्मचारी व समस्त छात्र छात्राओं के सहयोग से कार्यक्रम को सफल बनाया गया तथा प्रोत्साहित कर लोगों को आयुष्मान गोल्डन कार्ड के बारे में भी बताया गया कि माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय स्तर पर वर्चुअल आयुष

बेटियाँ

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बेटियाँ  बंजर  सी  ज़िंदगी में उपवन हैं बेटियाँ ,  बेटों से तनिक भी नहीं कम हैं बेटियाँ । बहाने बनाते जब सभी हाज़िर हैं बेटियाँ,  परिवार का दुःख बाँटने में माहिर हैं बेटियाँ।  अपना ही परिवार बेटे हैं सवाँरते ।  दो घरों को अकेले सजातीहैं बेटियां।  सुख में खुशियाँ मनाती हैं बेटियां,  दुःख की घड़ी में संबल बन जाती हैं बेटियाँ।  पुष्पों सी हर आँगन में महकती हैं बेटियाँ,  ना जानें कुछ के दिल में क्यों खटकती हैं बेटियाँ। यूँ तो निर्मल मन की होती हैं बेटियाँ,  जरूरत पड़े तो खुद को बदलती हैं बेटियाँ। आज तो हर क्षेत्र में कामयाब बेटियाँ,  आसीन ऊंचे पदों पर नायाब बेटियाँ।  हर रिश्ते को बड़े स्नेह से सवांरती है बेटियाँ, खुद सेतु बनकर दो कुटुंब सँभालतीहैं बेटियाँ।  रचनाकार- चंद्रकांत पाण्डेय मुम्बई/महाराष्ट्र 

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती

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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती  वीर  रस  के श्रेष्ठ  कवि, दिनकर  जी  का वंदन  है।  राष्ट्रकवि  के जन्म दिन पर,  उनका हार्दिक अभिनंदन है। गद्य  , पद्य  दोनों  ही  विधा में,  दिनकर  हिंदी के  दिव्याकाश।  कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी , उर्वशी,  हुंकार से गूंजा साहित्याकाश।  वह  धन्य सिमरिया  की माटी,  दिनकर  सदृश  दिनकर जन्म लिए।  अपनी  सादर उपस्थिति  से,  हिंद  की  धरती  धन्य किए । एक  ओर दिखाई पड़ती हैं ,  कोमल श्रृंगारिक रचनाएँ ।  दूसरी तरफ वीरता के अमर भाव ,  वीर  रस  युक्त अप्रतिम कविताएँ । चर्चित  उर्वशी रचना हेतु मिला,  साहित्यिक ज्ञानपीठ पुरस्कार।  सामाजिक समानता के रहे पक्षधर,  पद्म भूषण भी  हुआ स्वीकार। जन्मदिवस  पर आज दिनकर को,  श्रद्धा  के  प्रसून  समर्पित हैं ।  एक  छोटे  से  दीपक  हैं  हम,  भावपूर्ण  शब्द  ये  अर्पित  हैं । रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय  मुम्बई/महाराष्ट्र