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द्रोपदी! तुम ही कृष्ण बन जाओ

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द्रोपदी! तुम ही कृष्ण बन जाओ आओ द्रोपदी कमान संभालो ।  वस्त्र के साथ अस्त्र भी संभालो।।  स्त्री की मर्यादा संभालो।  पद की गरिमा संभालो।।  माना, बदल गया है युग,  मगर आज भी बैठे है।  सैकड़ो कौरव मौके की राह में।।  आज भी बैठा है सकुनी।  अपनो की आढ़ में ।। लड़ने और लड़ाने को तैयार।  महाभारत रचाने को तैयार।।  आज भी वीवश है गांधारी।  आज भी मौन बैठा है बुधिमानो की टोली।।  पितामह द्रोण और कर्ण भी ।  रिश्ते और सत्ता के वशिभूत हैं।।  विद्या होते हुए भी, मूर्खता से परिपूर्ण है।।  पांडवो की तो बात ही छोड़ो,  जकड़े पड़े है ।। राजमाता को तो।  इस अनर्थ का आभास ही नही़।।  और कृष्ण, श्री कृष्ण तो  कलयुग के प्रवेश से ही पत्थर की मूरत बन बैठे है। मगर आज भी द्रोपदी हो रही, दुर्योधन की शिकार।।  द्रौपदी, तुम ही कृष्ण बन जाओ,  महाकाली सा रन मचाओ।  पापियों को शक्ति याद दिलाओ ।।  रचनाकार- स्मृति सुमन पता- कफन लतीफ़,  मुजफ्फरपुर, बिहार

सुनो गांधारी!!

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सुनो गांधारी!!   सुनो गांधारी,  बात थोड़ी जहरीली है।  पर तुम्हें बतानी जरूरी है।।  पतिव्रता, ममता और भोलेपन का नकाब ओढ़, छिपा नहीं सकती तुम अपना पाप। बच नहीं सकती, तुम द्रौपदी के अभिशाप से।  समाज की धिक्कार से, स्त्रियों की ललकार से।।  अरे! धृतराष्ट्र की अर्धांगिनी थी तुम,  सुख-दुख की संगिनी थी तुम। तुम्हें तो धृतराष्ट्र के नैन बन उसे आइना दिखाना था।  उसे अधर्म के रास्तों से परिचित कराना था।।  अरे मूर्ख, तुम तो खुद अंधी हो।  उसके पाप के रास्तों पर चल पड़ी।।  वह रास्ता जो पाप, अहंकार और स्वार्थ से भरा था। अर्धांगिनी थी ना तुम, तुम्हें तो धृतराष्ट्र को, शकुनि के कूटनीति से बचाना था।।  पर तुम तो खुद संबंध जाल में फंस पड़ी।  भूल यह नहीं कि तुम कौरवों की माता बनी, भूल यह हुई उन्हें संस्कार सिखाने में चुक पड़ी।। भाई- भाई का संबंध तो दूर की बात,  पितामह राजमाता का आदर सम्मान तो दूर की बात,  क्या होती है एक स्त्री की इज्जत !! यह बताने में कैसे चुक पड़ी।। माना चीरहरण के दौरान उपस्थित नहीं थी तुम। या मुख पर पट्टी बांध उठा रही थी तुम भी इस तमाशे का लुत्फ।।  अच्छा माफ करना गंधारी !! उप

खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं : गौतम विश्वकर्मा

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खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं : गौतम विश्वकर्मा   - बच्चों में मिठाई व मोमबत्ती वितरित कर मनाया गया दिवाली का त्योहार।  सुकृत- सोनभद्र : ( संवाददाता अनिल विश्वकर्मा आइ एओएल की रिपोर्ट)  आज दिनांक 24 अक्टूबर 2022 को जनपद सोनभद्र के कर्मा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा सुकृत में स्थित सोनभद्र मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट के केंद्रीय कार्यालय पर ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम विश्वकर्मा के द्वारा दीपावली के पावन पर्व पर बच्चों में मिठाई व मोमबत्ती वितरित कर दिवाली का त्योहार मनाया गया। मिठाई व मोमबत्ती पाकर बच्चे बहुत खुश हुए।  ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विश्वकर्मा ने कहा कि खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं।  अंत में ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम विश्वकर्मा नें सभी को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। इस कार्यक्रम में ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एई अंएऊऊ गौतम विश्वकर्मा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता, जिला सचिव सोनभद्र दिनेश कुमार, सदस्य सरवरे अख्तर, ग्रामीण लोगों में अनिल विश्वकर्मा, गोरखनाथ, रविशंकर, अमन यादव, अनीश यादव, वसीम रजा, मुनीर अहमद

दीप जलाओ नेह का..

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दीप जलाओ नेह का..  तम नहीं फटके द्वार, वंदन हो मेरे राम का,  हो सुन्दरतम संसार। राम की नैया  राम का सागर, राम खिवैया, राम की गागर। राम हैं खेवनहार.. हो सुन्दरतम संसार…। रचनाकार- सुखमिला अग्रवाल भूमिजा  जयपुर, राजस्थान  दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 🪔🪔🪔🪔

नेह द्वार पर दीप जलाएं

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 दीपावली           नेह द्वार पर दीप जलाएं              नारी के सम्मान का                एक दीप रोशन हो                 शहीदों के सम्मान का                           खुशियों की रंगोली हो           वरद हस्त मिले लक्ष्मी का                         अयोध्या में जगमग दीप जले         स्वागत वंदन राम का       मन का कोना कोना रोशन हो         भेदभाव का अंधकार मिटे           एक दीप समर्पित कर दो          देश प्रगति के सोपान का          - दिनेश चंद्र तिवारी  इंदौर

दीपोत्सव

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दीपोत्सव  आओ सब मिल दीप जलाएं, घर आंगन को स्वच्छ बनाएं, रंगोली से घर द्वार सजाकर, मां लक्ष्मी को आज रिझाये।  किसी के होठों में मुस्काने लाकर, जिंदगी रोशन उनकी बनाएं जरूरतमंदों के बने सहायक  सुख सब को हम पहुंचाएं। दरवाजे में तोरण लगाकर मां का स्वागत आज करें, लक्ष्मी से धन-धान्य मांग कर सुख समृद्धि की पूर्ति करें। कोना कोना रोशन कर दें, ऐसे दीपक आज जलाएं, सुख शांति से आलोकित करदे, आशीषे ऐसी हम पाएं । अंधियारे का साम्राज्य मिटाकर, जग उजियारा कर पाए, मुझको ऐसी शक्ति देना, मुस्काने हर चेहरे पर लाएं। समृद्धिशाली देश हमारा हो जग में सुंदर और प्यारा हो भाईचारे का भाव हो मन में चहू ओर उजियारा हो। --------------------------------- प्रभा दुबे, रीवा मध्य प्रदेश ---------------------------------

" दीपोत्सव देश का सम्मान है "

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आज दीपोत्सव के अवसर पर वतन प्रहरी / भारतीय सेना / सैनिकों के सम्मान में दीपावली गीत  भारतीय सेना के सम्मान में प्रेषित ,... " दीपोत्सव देश का सम्मान है " वतन प्रहरियों संग दीपोत्सव देश का सम्मान है देशभक्त जन गण मन का पूरा होता अरमान है मानपत्र लिखती  नहीं मैं सत्ता के सम्मानों का वंदन पूजन करूं सदा मानवता के दीवानों का दिवानी हूं मैं सदा भारतीय सेना के जवानों का याचक कभी बन न सकी सत्ता के अनुदानों का  जला करे मशाल ये दिल में भरा स्वाभिमान है दीपोत्सव वतन प्रहरियों संग देश का सम्मान है भरे सितारे मैंने सदा किसी के मटमैले दामन में खुशियां बरसाया सदा जनमानस के आंगन में सदा मगन रहना सीखा अंतर्मन भीगे सावन में पूजूं क्रांतिवीरों को  जो कुर्बान हुए सत्तावन में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का रखे सदा विश्व में मान है दीपोत्सव वतन प्रहरियों संग देश का सम्मान है  वंदन उन मसीहाओं की जो जनहित में जीते हैं  बरसाते सुधामृत सबको ख़ुद गरल वह पीते हैं शत्रु को पल में करते ख़ाक वह अग्नि पलीते हैं वतन के लिए जीवन जीते अरि का रक्त पीते हैं हर इक बूंद  रक्त की देते मुल्क को अनुदान है दीपोत

दीपावली

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दीपावली   घर-घर फूलों से सजे महके घर अंगना मनभावन सुन्दर  रंगोली सजाती हर घर की महिला  खुद भी सजती, घर भी सजाती।  बच्चो  संग बड़ो को भी तैयार  करती चलो दिपावली मनाए कहती।  पंचदिवसीय यह त्यौहार नही पल भर वह सांस लेती, कोना-कोना  देख सुन्दर साफ-सफाई करती। । हमारे हर त्यौहार की है रहती  इन्हे फिक्र इन्ही से हमारे हिन्दू त्यौहारों पर रहती है रौनक  खन-खन चुडियों से,छम-छम पायल से भर देती सबके दिलों मे प्रेम रस का झंकार ।। मान-सम्मान दे भरपूर प्यार दें  दीपावली पर्व पर इन्हे ढेर सारा  प्यार भरा उपहार दे। करे सहयोग उनका, माँ लक्ष्मी सा  सम्मान दे हर नारी देवी स्वरूप ।। जो घर को घर नही मंदिर बनाए । आओ दीपावली त्यौहार मनाए । दीपोत्सव से घर-घर सजाए  लेखिका- निर्मला सिन्हा  ग्राम जामरी डोंगरगढ छत्तीसगढ से एक सोशल वर्कर, सोनभद्र आश्रम मानव ट्रस्ट की महिला मंडल की छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष, अखंड राम राज्य परिषद की छत्तीसगढ़ प्रभारी साथ ही एक कवियित्री व एक गृहणी।

आदिवासी गरीब बच्चों के साथ वन क्षेत्राधिकारी जय मोहनी रेंज ने मनाई दिवाली

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आदिवासी गरीब बच्चों के साथ वन क्षेत्राधिकारी जय मोहनी रेंज ने मनाई दिवाली नौगढ़- चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट)   आज दिनांक 24 अक्टूबर 2022 को बड़े हर्षोल्लास के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जा रहा है।  इस खुशी के त्यौहार में नौगढ़ क्षेत्र के जय मोहनी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी मकसूद हुसैन ने कुछ इस कदर की दीपावली का त्यौहार मनाया जिसे सुनकर व देखकर काफी गर्व महसूस होता है। उन्होंने ग्राम चुप्पेपुर  में आदिवासी गरीब बच्चों के साथ मिठाइयां गुब्बारे खिलौने इत्यादि देकर दीपावली के त्यौहार में चार चांद लगा दिए। इस कृत्य से ग्रामवासियों ने काफी सराहा।

“दिवाली हो ऐसी अपनी”

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“दिवाली हो ऐसी अपनी” (कविता) एक  दीप  जले  मन  में  ऐसा  कि, जीवन  मुकुलित  हो  जाए। प्रेम  रूपी   अविरल   प्रवाह   में,  जग   प्रफुल्लित   हो   जाए। हर  उत्सव   की   मधुर   घड़ी   में,  एक   संकल्प   उठा  लेना।  राग,   द्वेष,  तम   दूर   भगा   कर,  मानवता    अपना    लेना। हर   घर   रौशन  हो   जगत   में,  यत्न   ऐसा   करते   जाओ। हर   इंसां   के   दामन   को, खुशियों  से  तुम   भरते   जाओ। हर  मनुष्य   के  जीवन   में,   सुख,  शांति   का  उद्गार   करो। इस पावन  राष्ट्र  की  एकता  पर, फिर  से  तुम  विचार  करो। जब  धरा  हो   झिल–मिलाती,  सितारों   के   जैसी  अपनी। जन–जन  हों  खुशहाल   यहां,   दीवाली   हो  ऐसी  अपनी। एक  दीप  जले मन  में  ऐसा कि, जीवन मुकुलित  हो जाए। प्रेम  रूपी  अविरल   प्रवाह   में,  जग  प्रफुल्लित  हो  जाए।                      - श्याम बिहारी मधुर, कवि, शिक्षक एवं समाजसेवी, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश

धनतेरस

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धनतेरस धन लक्ष्मी पूजन धनतेरस को। सुख समृद्धि बरसाए जन को।। नए बर्तन नए भजन पूजन करे भगवती का। दीप जलाए जागरण कर मां धनलक्ष्मी का।। धन बरसाओ स्नेह बरसाओ। मेरा भी मन हर्षाओ।। मैं भी हूं विपन्न। धन्य धान्य स्वास्थ्य से करो संपन्न।। रचनाकार - प्रेम शंकर शर्मा कैमूर, बिहार

प्रेम के दीप जलाएं

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प्रेम के दीप जलाएं आई दीवाली खुशियाँ मनाएं। प्रेम के दीप जलाएं।। घर बार की हुई सफाई। दीप आतिशबाजी से घर जगमगाई।। देवी देवताओं मंदिरों को गया सजाय। कर पूजा-अर्चना दीप जलाय।। बच्चे दीप जलाय फूले न समाय। पकवान और मिष्ठान खात  हर्षात। दीप से दीप जले। दुश्मनी और गम को भुले।। दिवाली की महत्ता को समझे। प्रेम ही सब कुछ है यही बुझै।। बाॅंटे अपनी खुशी गरीबों के साथ। उनके चेहरे खिलाये दीपावली के साथ।। इस दिवाली में करें मन की सफाई। क्रोध लोभ आलस्य त्याग तभी होगी भलाई।। क्या मेरा क्या तेरा रह जाएगा यही झमेला। दीप जलाओ खुशियाॅं बाॅंटो लो प्रेम का घमेला।।     रचनाकार - प्रेम शंकर शर्मा कैमूर, बिहार

ग़ज़ल

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ग़ज़ल  कांटे बिछे हैं राहों में उनसे संभलना है। ऐ ज़िंदगी तुझे वक़्त के साथ चलना है।।  ज़रा मुश्किल है  ये सफ़र ज़िंदगी का।  हर्गिज  में उन मुश्किलों  से लड़ना है।।  बिखरे मोतियों की क़ीमत नहीं होती।  बनकर मोतियों की माला निखरना है।।  ये जवानी उम्र भर  साथ न देने वाली।  आख़िरी पड़ाव  इसे भी  पिघलना है।।  हुस्न पे  इतराना  ठीक नहीं "रहमत"।  एक  दिन तिरा  सूरज भी  ढलना  है।।  - शेख रहमत अली बस्तवी बस्ती (उ, प्र,) 

केंद्रीय राज्यमंत्री वाणिज्य एवं उद्योग अनुप्रिया पटेल ने मंडलीय चिकित्सालय पहुंच डेंगू वार्ड का किया निरीक्षण

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केंद्रीय राज्यमंत्री वाणिज्य एवं उद्योग अनुप्रिया पटेल ने  मंडलीय चिकित्सालय पहुंच डेंगू वार्ड का किया निरीक्षण  मिर्जापुर : (जिला ब्यूरो चीफ बीके तिवारी की रिपोर्ट) दिनांक 16 अक्टूबर 2022 को केंद्रीय राज्यमंत्री वाणिज्य एवं उद्योग अनुप्रिया पटेल ने रविवार की दोपहर मंडलीय चिकित्सालय पहुंच डेंगू वार्ड का निरीक्षण किया।  उन्होंने वार्ड में भर्ती मरीजों व उनके तीमारदारों से बात कर अस्पताल से मिल रही सुविधाओं व व्यवस्थाओं की जानकारी ली। इस दौरान उपस्थित प्राचार्य मेडिकल कालेज डाॅ. आरबी कमल एवं एसआईसी डाॅ. अरविन्द सिंह को निर्देश दिए कि भर्ती मरीजों को समय से चिकित्सक इलाज, देखभाल व दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। कहा कि जिस ग्रामसभा, वार्ड एवं क्षेत्र से डेंगू के अधिक मरीज अस्पताल में आ रहे हों, ऐसे क्षेत्रों को विशेष रूप से चिन्हित कर वहां मलेरिया एवं एंटी लार्वा का छिड़काव कराने के साथ ही नालियों की बेहतर सफाई सुनिश्चित कराई जाए। स्थानीय लोगों को डेंगू से बचाव व रोकथाम के लिए जागरूक भी किया जाए।

करवा चौथ नारी का

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करवा चौथ नारी का भारतीय संस्कृति की अजब कहानी। आंचल में दूध नारी के आंखों में पानी।। क्या नारी तेरी यही कहानी। कभी राधा कभी दुर्गा काली कभी सीता महारानी।। रख करवा चौथ व्रत पति की उम्र बढ़ावे। पति को परमेश्वर समझे लात घुसा खावे।। रहे हमेशा सुहागिन मांगे मन्नत। भूख प्यास से तड़प पति को माने अपनी जन्नत।। चांद निकले पति को देखे चलनी से। नजर न लग जाए देख रही तन्नी से।। छूकर पांव ले आशीर्वाद। धन्य, समझती अपना जीवन आबाद।। हे पुरुष लाज रख इस नारी का। करो सम्मान मान बढ़ाओ सृष्टि की उजियारी का।।     रचनाकार - प्रेम शंकर शर्मा  कैमूर, बिहार