प्रेम के दीप जलाएं

प्रेम के दीप जलाएं

आई दीवाली खुशियाँ मनाएं।
प्रेम के दीप जलाएं।।
घर बार की हुई सफाई।
दीप आतिशबाजी से घर जगमगाई।।
देवी देवताओं मंदिरों को गया सजाय।
कर पूजा-अर्चना दीप जलाय।।
बच्चे दीप जलाय फूले न समाय।
पकवान और मिष्ठान खात  हर्षात।
दीप से दीप जले।
दुश्मनी और गम को भुले।।
दिवाली की महत्ता को समझे।
प्रेम ही सब कुछ है यही बुझै।।
बाॅंटे अपनी खुशी गरीबों के साथ।
उनके चेहरे खिलाये दीपावली के साथ।।
इस दिवाली में करें मन की सफाई।
क्रोध लोभ आलस्य त्याग तभी होगी भलाई।।
क्या मेरा क्या तेरा रह जाएगा यही झमेला।
दीप जलाओ खुशियाॅं बाॅंटो लो प्रेम का घमेला।।
   
रचनाकार - प्रेम शंकर शर्मा
कैमूर, बिहार

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