जय माँ कालरात्रि- ( सातवां रूप )

जय  माँ  कालरात्रि-  ( सातवां रूप )
**************************
शारदीय  नवरात्र    का  ,  दिन   सातवां    आज  ,
माँ  का   यह  स्वरूप  , वीरता, साहस  का राज  ।

आओ, आज  करें, माँ  कालरात्रि   की  आराधना , 
अधूरी ना रहेगी ,किसी के जीवन में ,कोई कामना ।

अति   शीघ्र  प्रसन्न होती माँ, भक्तों  की पुकार  से , 
हृदय   की   अति  कोमल  माँ , सुनती  मनुहार से ।

रक्षा  किया   माँ   ने  , शुंभ  निशुंभ  अत्याचार  से , 
मानकर आदेश शिव का, बचाया दुष्टों के संहार से। 

भक्तों  को भयहीन बनाती,शुभंकारी जाना  जाता , 
काया  रात्रि अंधकार सम, प्रलयंकारी माना जाता ।

केश  माँ के अस्त व्यस्त, गले शोभित विद्युत माला , 
गर्दभ  सवारी  माँ  की , भुजा  गड़ासा , वज्रवाला  ।

शेष  भुजाएँ  माँ  की ,  वरमुद्रा, अभयमुद्रा  वाली  , 
दैत्यों    का   कर   संहार  , माँ  सृष्टि  बचानेवाली ।

करें  आरती माँ  की , प्यारी  माँ  सब  कष्ट मिटावे , 
आई  विपदा आज मनुज पर ,माँ शीघ्र ही  बचावें ।

कवि- चंद्रकांत  पांडेय,
मुंबई / महाराष्ट्र 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ की टीम ने की गुणवत्ता को जांच

विशिष्ट स्टेडियम तियरा के प्रांगण में विकसित भारत संकल्प यात्रा सकुशल संपन्न

कक्षा एक के शत प्रतिशत (100% निपुण) बच्चों को किया गया सम्मानित