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अठारह पग चिह्न'

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अठारह पग चिह्न' कहानी संग्रह 'अठारह पग चिह्न' युवा साहित्यकार रश्मि 'लहर' की पहली कृति है। यद्यपि वह हिन्दी साहित्य की अधिकाधिक विधाओं में स्तरीय लेखन कर अपनी पुख्ता पहचान काफी समय पूर्व ही बना चुकी हैं; तो पुस्तक प्रकाशन के लिए यह उनका सराहनीय आत्मसंयम कहा जाएगा।                  रश्मि लहर  हिंदी प्रकाशनों में बोधि प्रकाशन, जयपुर का विशिष्ठ स्थान है, इसी प्रकाशन से यह संग्रह प्रकाशित हुआ है। भूमिका में मायामृग लिखते हैं- "इस पुस्तक की कहानियाॅं जितनी कहानीकार की हैं, उससे अधिक पाठक की हैं। पढ़ने वाले को बस अपनी कहानी चुन लेनी है। ये अपनी कहानियाॅं हैं, अपनेपन की कहानियाॅं हैं, अपनों से जुड़े रिश्तों की, रिश्तों के निर्वाह और टकराव की कहानियाॅं हैं।" उपर्युक्त कहन को संग्रह की आत्मा कह सकते हैं। यह रिश्तों और उनके निर्वाह को जहां तहां देखा और महसूस किया जा सकता है। कहानियों की अतिरिक्त खूबसूरती यह भी है कि उनमें संदेश भी निहित हैं।  'लव यू नानी' कहानी के अंत में नानी द्वारा धेवती वेणी को दी गई पोटली वह खोलती है त