चलो यादों के गहरे समंदर में उतरते हैं....श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच

चलो यादों के गहरे समंदर में उतरते हैं....श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच

सोनभद्र, उत्तर प्रदेश। 
हिंदी साहित्य की सेवा के लिए समर्पित सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच’ संबद्ध ‘सोनभद्र मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट’ का शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय वर्चुअल कवि सम्मेलन गुरुवार को संपन्न हुआ। 
        प्रथम दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ चेन्नई तमिलनाडु की पावन धरा से पधारी मशहूर कवयित्री प्रतिभा पाण्डेय प्रति ने कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनी सुमधुर वाणी वंदना  से किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता, बाड़मेर राजस्थान से शिरकत कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार व पूर्व विधायक डॉ.तरुण राय कागा ने  किया। 
          कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए रुड़की हरिद्वार से प्रसिद्ध कवयित्री शबा राव ने “जो समाज में हमारी पहचान बनाते हैं, उन्हें हम शिक्षक कहते हैं” सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी।राजस्थान से आशा पंकज मूंदड़ा”, गाजीपुर उत्तर प्रदेश से कवयित्री अर्चना, दिल्ली से दीपा शर्मा, मोहाली पंजाब से अनिल शाश्वत ने शिक्षकों पर बेहतरीन कविता सुनाए। गजियाबाद उत्तर प्रदेश से कवयित्री आयुषी गुप्ता “नहीं हो छल–कपट नफ़रत, वहीं संसार दे दो मां” सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। 
           वहीं दूसरे दिवस के कार्यक्रम में शिक्षा जगत से जुड़े कवि, कवयित्री एवं शायरों ने गुरु और शिष्य के परंपरा का वर्णन करते हुए भाव विभोर कर देने वाली रचना सुनाकर बचपन की यादों में डूब जाने पर विवश कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सोनभद्र की मिट्टी से जुड़े संस्था के राष्ट्रीय सचिव कविवर अवध बिहारी अवध एवं अध्यक्षता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विपुल कुमार भवालिया ने किया। 
         कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इटावा उत्तर प्रदेश से सुविख्यात ग़ज़लकार हरिओम सिंह विमल ने “देख के ये परिवेश लगा ऐसा अब भी, मानवता का पाठ पढ़ाया जा सकता है” सुनाकर समाज को आइना दिखाया। इसी क्रम में दिल्ली से वरिष्ठ कवयित्री सुमन मोहिनी सलोनी, बिहार से सपना अग्रवाल, चंडीगढ़ से किरण शाश्वत, मुंबई से मनीषा श्रेयसी, हरियाणा से सीमा अग्रवाल, बैतूल मध्य प्रदेश से डॉ. पल्लवी सिंह अनुमेहा, सोनभद्र उत्तर प्रदेश से गोपाल सिंह कुशवाहा और कृष्ण कुमार साहनी, वाराणसी से आकांक्षा शुक्ला ने एक से बढ़कर एक रचना सुनाकर कर पटल को गौरवांवित किया। 
          अंत में राष्ट्रीय उप सचिव अचला एस गुलेरिया ने “चलो यादों के गहरे समंदर में उतरते हैं, छोड़ो अहम–वहम का चक्कर, हम प्रेम में संवरते हैं” उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत किया। अंत में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विपुल कुमार भवालिया व संस्थापक श्याम बिहारी मधुर ने सभी साहित्य प्रेमियों का हृदय पटल से आभार प्रकट कर सभी के शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर सभी काव्य मनीषियों को डिजिटल सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।
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