सृष्टि कर्ता भगवान

सृष्टि कर्ता भगवान
सृजन सृष्टि कर्ता भगवान,
दो सबको बुद्धि सद्ज्ञान ।
           पढ़े लिखे जो अज्ञानी हैं,
           कुल अपना ले तेरा संज्ञान।
नाना मत पंथों में भटके,
हो उनको , तेरी पहचान।
            तुम्हीं एक हो परम पुरुष,
            कहते ऐसा ,वेद पुराण।
माँ के गर्भ में भी पाते हैं,
जीव जन्तु तेरा अवदान।
            सब जीवों को तुम ही देते,
            रूप रंग संग स्वाभिमान।
पालन कर्ता, सुख दाता हो,
जाने,महिमा सकल जहान।
             तुम ही सकल सृष्टि के कर्ता
             तुम सबके हो कृपा निधान।
जो अपने, बहु देव को माने,
रखे, तेरे  चरणों का मान।
     जो भी सृजन जीव करता है,
         उसके दाता तुम्हीं महान।
सब प्राणी के रक्षक तुम ही,
क्षणिक सुखों का क्या अभिमान।

सृजन सृष्टि कर्ता भगवान,
दो सबको बुद्धि सद्ज्ञान ।।

 रचनाकार : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
                       सुन्दरपुर, वाराणसी

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