अपने जज़्बात लिखता हूँ।

शीर्षक - अपने जज़्बात लिखता हूँ।
महज़ मैं कविता नहीं अपने जज़्बात लिखता हूं,
मैं अपनी जिंदगी के ही आस पास लिखता हूं।
मुस्कुराहटों के पीछे छुपे दर्दे आवाज लिखता हूं,
कभी खामोशी तो कभी अपने हालात लिखता हूं।

न कह पाया किसी से जो मैं ऐसी बात लिखता हूं,
कभी मैं जीत लिखता हूं कभी मैं हार लिखता हूं।
तड़प रही सीने में ज्वालामुखी बरसात लिखता हूं,
चेहरे के पीछे के कुछ अनसुलझे राज़ लिखता हूं।

गुज़रे बीते कल की बातें चलो मैं आज लिखता हूं,
पहचान भले हो ख़ूब मेरी मैं अनजान लिखता हूं।
मैं कुछ नहीं बस अपने दिल की आवाज लिखता हूं,
कभी कविता- कहानी तो कभी अखबार लिखता हूं।

साहित्यकार एवं लेखक -
डॉ आशीष मिश्र उर्वर 
कादीपुर, सुल्तानपुर उ.प्र.

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