(मजदूर दिवस) नैनों में सजते सपने, हाथ उसके कभी न थकते

            (मजदूर दिवस)
 नैनों में सजते सपने, हाथ उसके कभी न थकते
गर्म हवाओं की थपेड़ों से वो घबराता नहीं,
जाड़े की ठिठुरन लक्ष्य से उसे बाधित करता नहीं...
नैनों में सजते उसके सपने, हाथ उसके कभी न थकते,
किसी की आशियां को बनाते, ख्वाब अपने आशियां की बुनते.
भाग्य का वो स्वयं निर्माता है, मेहनत से जी न चुराता है 
मिट्टी से सने हाथ हर ईंटों से पहचान बनाई है,
मुस्कराया हृदय से वो, खून पसीने की कमाई है..
बच्चों के कपड़े, मुन्नी की अम्मा की साड़ी लाया ,
मिठाई, खिलौने लेकर आया खुशियों की बारिश संग लाया..
उसे अपनी टूटी चप्पल की परवाह कहां है ,
मुन्नी मुन्ने की पढ़ाई की परवाह उसका सारा जहां है,
पढ़ा लिखा कर बच्चों को अफसर बनाना है,
लू और ठिठुरन को उसने दोस्त माना है..
लाख कोई मुसीबत आए , बारिश के संग क्यूं न नहाए,
फौलाद हाथों के संग अपने स्वप्न को सच करना है,
मेहनत हमारी भी एक दिन रंग लायेगी,
बच्चे अफसर बन जाएं, मिठाई मोहल्लों में बांटी जाएगी..
अपने कर्म से अपना भविष्य बनाना है,
नभ, पृथ्वी तुम्हें अपना भगवान हमने माना है...

- उमा पुपुन ✍️
रांची, झारखंड

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