जीत तुम्हारी पक्की होगी

जीत तुम्हारी पक्की होगी
                  (कविता)
जीत तुम्हारी पक्की होगी, असफलता से?  ना घबराओ।
बार-बार यदि मिले तुम्हें तो, अपने लक्ष्य पुनः दुहराओ।।

हो प्रतिज्ञ कि तुम्हें सफलता, मिलनी बिल्कुल तय है।
पूर्ण लगन से करो परिश्रम, त्यागो यदि कोई भय है।।

प्रतिस्पर्धा करना बस छोड़ो, अपने मन में रखकर आस।
पूरी होगी तेरी तमन्ना, छोड़ो विभ्रम,रखकर विश्वास।।

खूब लगन और ऊर्जा के संग, अपना ख़ूब प्रयत्न करो।
जग में जीत तुम्हारी होगी, अपने अंतरमन में धैर्य धरो।।

असफलता ही है सिखलाती, सफलता का सफल मंत्र।
अन्तःकरण पवित्र बनाओ, करो न कोई बस षड़यंत्र ।।

चींटी को देखा है तुमने, लेकर चलती,सहती अति भार।
श्रम करने से मत घबराना,चाहे कितना,विविध हो भार।।

लेकिन लक्ष्य वो पाती है, गतिमान अनवरत, बिना थके।
कठिन परिश्रम, लक्ष्य अडिग हो, तभी पूर्ण हो, स्वप्न सखे।।I 

रचनाकार :  डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
              सुन्दरपुर, वाराणसी

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